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ਖੰਨਾ ਵਾਲਾ ਜੱਟ
"आज पता चला के पहले की महिलायें परदे में क्यों रखी जाती थी! आज के जमाने मे मरियादा बहुत महंगी वस्तु है जो आज की महिलायें विलुप्त हो गई है !" यथार्थ :- शादी के बाद पहली रात "सुहागरात" को भी पढ़े लिखे लोग कैमरे में उतारते ! अगर इसको Modernization बोलते है तो तो ऐसे लोगो की सोच पर मूतना उचित रहेगा! ©ਖੰਨਾ ਵਾਲਾ ਜੱਟ सही है, फ़िर मैं modern नही हूँ! समय के साथ सोच में परिवर्तन करना ग़लत नही किन्तु जब बात घर की इज़्ज़त हो तो 100 बार सोचने में संकोच नही! ल
ਸੀਰਿਯਸ jatt
संगीत कुमार
धरती है इतिहासों की धर्म ,ज्ञान के भंडारों की विद्वानों की महानायक की वीरों और बलवानों की भाषा की संस्कृति की अधिकारियों की कर्मवीरों की बिहार है पहचानों की ऋषियो की भगवानों की धर्म और विचारों की धरती है बलिदानो की बिहार तो है सबके सम्मान की ©संगीत कुमार #HappyRoseDay धरती है इतिहासों की धर्म ,ज्ञान के भंडारों की विद्वानों की महानायक की वीरों और बलवानों की भाषा की संस्कृति की अधिकारियों की क
Anuj Ray
सुबह की चाय की चुस्की" एक तुम्हारी चाह जैसे, सुबह की चाय की चुस्की बना देती है दिन मेरा, किरण हो जैसे सूरज की। बिना मांगे ही मिल जाते , अनमोल सागर के खिले मोती काश ! छू करके तुम्हें ,महसूस कर पाता, असल की ज़िन्दगी होती। ©Anuj Ray सुबह की चाय की चुस्की"
HARSH369
मन कि व्यथा मन ही जाने, ना तुम जान सको न मैं जानू क्या मन करवाये क्यू करवाये ये मन ना तुम जान सको ना हि मैं जानू.. बेधड़क बोलता हूं,बेखौफ बोलता हूं रिस्तो के बन्धन को कान्टों पर तोलता हूं जिसके पास जितना पैसा, उसी कि सरकार है बाकि बेकारो के लिये बेकार परिवार है,..! बाकि ये सब क्यूं बनाया भगवान ने ना तुम जान सके ना हि मैं जानू..! मन की व्यथा..मन हि जाने..!! ©SHI.V.A 369 #मन की व्यथा..!! #कविता मन की
Metro Agency Online Holsel Shop
सुखदेव जी शहीद ©Metro Agency Online Holsel Shop सुखदेव जी की जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं
ankus bhatt pandit ji
मथुरा की खुशबू, गोकुल का हार वृंदावन की सुगंध, बरसाने की फुहार राधा की उम्मीद, कान्हा का प्यार ©Pramod Kumar #Holi मथुरा की खुशबू, गोकुल का हार वृंदावन की सुगंध, बरसाने की फुहार राधा की उम्मीद, कान्हा का प्यार
Internet Jockey
तुम्हीं मेरे माथे की बिंदिया की झिल-मिल तुम्हीं मेरे हाथों के गजरों की मंज़िल... -रजिंदर कृष्णन ©Internet Jockey तुम्हीं मेरे माथे की बिंदिया की झिल-मिल तुम्हीं मेरे हाथों के गजरों की मंज़िल...