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हिमांशु Kulshreshtha
White लोगों के फरेबी चेहरे देख कर, जज़्बातों से रिस रहा हूँ , दिल और दिमाग की इस रस्साकशी में, मैं पिस रहा हूँ ...!!!! ©हिमांशु Kulshreshtha लोगों के
लोगों के
read moreहिमांशु Kulshreshtha
Unsplash कर के मोहब्बत भरपूर तुमसे .. हिस्से में सिर्फ तेरी बेरुखी के हक़दार हुए .. ख़बर भी ना लगी कब दिल खो गया कब तेरी चाहतों के शिद्दत से तलबगार हुए .. ©हिमांशु Kulshreshtha कर के..
कर के..
read moreGhanshyam Ratre
जंगल उपवन के छेड़छाड़ पेड़ -पौधों की कटाई कर रहें हैं। वन्य प्राणी पशु-पक्षियों का जीवन संकटों से प्रभावित हो रहें हैं।। जंगल में रहने वाले पशु-पक्षियां गांवों- शहरों में आ रहें हैं। खेती-बाड़ी फसल को उजाड़ कर बर्बाद कर रहे हैं।। ©Ghanshyam Ratre जंगलों के पशुओं पक्षियों के जीवन
जंगलों के पशुओं पक्षियों के जीवन
read moreକିଶାନ୍
White जाने वाला हूं" तुम नहीं रोकोगी, है ना। ठीक है फिर। ध्यान रखना और खुश रहना। मुझे तुमसे नाराजगी है बहुत, पर नफरत नहीं, ओके। पता है, मैं कॉल करता हूं, बात करने को। पर तुम्हारे पास कभी समय रहा ही नहीं। कोई नहीं। पर यार, इतनी पीड़ा होती है ना, जो कोई शब्दों से बता ही नहीं सकता। जैसे सूखा पेड़ बारिश के इंतजार में खड़ा हो,पर कोई बादल न आए। जैसे किसी बच्चे को लगता है, मां-बाप हैं, ध्यान रखेंगे, देखेंगे। पर मैं तो मजाक बना हूं, है ना। मतलब मुझे उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। पर होता है कि तुम्हे सबकुछ माना है मतलब जिसे तुम मानो,वो भी तुम्हें बहुत माने। और फिर अचानक से देखना ही बंद कर दे। हां, मैं जा रहा हूं। और मुझे जाना भी चाहिए। जहां सम्मान न हो,वहां मेरा कोई काम नहीं। तुम्हें पता है, मुझे पता है कि मैं न पहला बन पाया, न आखिरी।पर मैं फिर भी साथ रहना चाहता था। कि प्रेम है तो रहूंगा। पर ठीक है। तुम वो नहीं हो जिसे मेरी चिंता हो। पता है, मैं मैसेज भी क्यों कर रहा हूं। क्योंकि मुझे पता है कि तुम्हें सबसे घटिया और गिरा हुआ लग रहा हूंगा, है ना। पर पता है, मतलब मैं जो दिन देख रहा हूं ना,ये लगता है कि कब मौत आए यार। पर उसने नहीं आनी। मैं तुमसे बोल भी क्यों रहा हूं। तुम्हें तो कोई फर्क ही नहीं पड़ता। पता है, जिस दिन ये मोबाइल बहा दिया, वही दिन आखिरी होगा मेरी तरफ से। और उसके तुमसे हाथ जोड़ के प्रार्थना है... कि हो गया फिर, बाय। जाने वाला हूं। पर लगता है,रोक लो जाने न दो। मैं वो सोचता हूं जो कभी होना नहीं है। जैसे आसमान में कोई टूटता तारा, जो गिरने से पहले रुकना चाहता हो। जैसे सागर की लहरें किनारे पर ठहरना चाहती हों, पर ठहर न पाएं। जैसे अंधेरे में खोया हुआ चांद, जो रोशनी को छूने का सपना देखे। Love you, बहुत सारा। ©କିଶାନ୍ #Sad_Status Writer SHIVAM MISHRA शायरा माही (पहाड़ी छोरी) अdiति Richa Chaubey
#Sad_Status Writer SHIVAM MISHRA शायरा माही (पहाड़ी छोरी) अdiति Richa Chaubey
read moreକିଶାନ୍
White "जब तुम नहीं होती" जब मैं तुमसे बातें कम कर पाता हूँ, तब भी तुम्हारी बातें, मेरे दिल में, रह-रह कर गूँजती हैं। तुम साथ नहीं होती, पर हर पल तुम्हारे साथ बिताया हुआ महसूस करता हूँ, जब तुम नहीं होती। तुमसे मिलना नहीं हो पाता, पर हर मोड़ पर तुम्हारा इंतज़ार रहता है, तुम्हारे बिना भी तुम्हारी मोजूदगी हर जगह होती है, जब तुम नहीं होती। मैं तुमसे प्रेम करता हूँ, ये तो तुम जानती हो, पर ये प्रेम और गहरा हो जाता है, जब तुम नहीं होती। हर रात तुम्हारे माथे पर प्रेम भरा चुंबन करता हूँ, वो आलिंगन जो कभी नहीं होता, पर महसूस होता है, जब तुम नहीं होती। नाराज़गी है मुझसे, ये भी मैं जानता हूँ, पर फिर भी दिल से तुम्हें चाहता हूँ, ये सब होता है, जब तुम नहीं होती। मैं तुम्हारे साथ जीना चाहता था, तुम्हारे बिना जीवन का अर्थ खो सा गया, पर आज भी तुम्हारा साथ महसूस होता है, जब तुम नहीं होती। एक आखिरी ख्वाहिश है मेरी, कभी तो मेरे पास आओ, अंतिम समय में तुम्हारी गोद में समाना चाहता हूँ, तुम्हारे चेहरे की आखिरी झलक देखते हुए जाना चाहता हूँ। क्या तुम उस समय होगी, जब मैं तुम्हें सबसे ज़्यादा चाहूंगा? क्या तुम मेरी इस ख्वाहिश को पूरा करोगी? कह दो ना, कि तुम आओगी, नहीं कहोगी? फिर भी, मैं इंतजार करूंगा, तुम्हारे न कहने पर भी, मैं इंतजार करूंगा। ©କିଶାନ୍ #GoodNight Writer अdiति Richa Chaubey शायरा माही (पहाड़ी छोरी) $ π ! √ Û
#GoodNight Writer अdiति Richa Chaubey शायरा माही (पहाड़ी छोरी) $ π ! √ Û
read moreF M POETRY
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset समंदर के किनारे आ के अक्सर बैठ जाता हूँ.. सुना है दिल के दर्द-ओ-ग़म समंदर सोख लेता है.. यूसुफ़ आर खान... ©F M POETRY #समंदर के किनारे आ के अक्सर..
#समंदर के किनारे आ के अक्सर..
read moreअनिल कसेर "उजाला"
मौसम बदल रहा है सम्हल के चल, दिल से दिल मिल रहा है सम्हल के चल। तूफां तो बहुत आयेंगे जिंदगी में तेरे, वक़्त भी निकल रहा है सम्हल के चल। ©अनिल कसेर "उजाला" सम्हल के चल
सम्हल के चल
read moreGhanshyam Ratre
शीत लहरें कोहरे का ठंडा का महिना है । गरम वाले सुती ऊनी वस्त्र लगते सुहाने हैं।। बहुत ठंडा लगता है ठंड से शरीर कांपते हैं। ठंडा में गर्मागर्म खाने के चीजें अच्छे लगते हैं।। ©Ghanshyam Ratre ठंडा के महिने
ठंडा के महिने
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी योजनाओं की धुंध से ओझल जनमानस उनकी नीतियां जीवन कपकपाती है सर्द और सुन्न हो गये मन मस्तिष्क ओले राशन पानी पर गिराकर महंगाई का कहर रसोई पर बरसाती है मानक सफ़लता के सरकारों के पास है गफलत में हम, दम तोड़े जाते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #sadak मानक सफलता के सरकारों के पास है
#sadak मानक सफलता के सरकारों के पास है
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