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royal_shetkari

नुसताच कलकलाट आहे लोकांच्या यातनेचा शेतकऱ्याच्या बरबादीवर एकालाही अश्रू नाही 🐑 मग अचानकच पळतात विरोधकांचे कळप सारे खऱ्या दुःखाचे मात्र कुणा

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White नुसताच कलकलाट आहे लोकांच्या यातनेचा शेतकऱ्याच्या बरबादीवर एकालाही अश्रू नाही 🐑 मग अचानकच पळतात विरोधकांचे कळप सारे  खऱ्या दुःखाचे मात्र कुणालाही दुःख नाहीं 🌱

©royal_shetkari नुसताच कलकलाट आहे लोकांच्या यातनेचा शेतकऱ्याच्या बरबादीवर एकालाही अश्रू नाही 🐑 मग अचानकच पळतात विरोधकांचे कळप सारे  खऱ्या दुःखाचे मात्र कुणा

Bharat Bhushan pathak

सार छंद चार चरणों का अत्यंत गेय मात्रिक छंद है। प्रति चरण 28 मात्रा होती है। यति 16 और 12 मात्रा पर है। दो दो चरण तुकान्त । 16 मात्रिक पद ठ

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बीत रहा फिर वर्ष सुनहरा,नूतन आने वाला।
इसने हमको यही बताया,जीवन अच्छी शाला।।
पढ़ा यहाँ पे जो भी इसमें,अनुभव उसने पाया।
प्रथम सदा वह ही होता है,जो कभी न भरमाया।।
आना-जाना वर्षों का तो,सुनें खेल ये बहुत पुराना।
जो हम सीखे और सिखाए,इसको बस अपनाना।।

©Bharat Bhushan pathak सार छंद चार चरणों का अत्यंत गेय मात्रिक छंद है। प्रति चरण 28 मात्रा होती है। यति 16 और 12 मात्रा पर है। दो दो चरण तुकान्त ।

16 मात्रिक पद ठ

N S Yadav GoldMine

#leafbook {Bolo Ji Radhey Radhey} किसी के दर्द को समझने के लिए, एक व्यक्ति को इंसान या एक व्यक्ति के अंदर इंसान होना जरूरी है, वर्ना व्यर्थ

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Unsplash {Bolo Ji Radhey Radhey}
किसी के दर्द को समझने के
लिए, एक व्यक्ति को इंसान
या एक व्यक्ति के अंदर इंसान
होना जरूरी है, वर्ना व्यर्थ है,
वैसे भी हर जगह रोना समय
व्यर्थ करना मात्र है।।
जय श्री राधेकृष्ण जी।।
N S Yadav GoldMine.

©N S Yadav GoldMine #leafbook {Bolo Ji Radhey Radhey}
किसी के दर्द को समझने के
लिए, एक व्यक्ति को इंसान
या एक व्यक्ति के अंदर इंसान
होना जरूरी है, वर्ना व्यर्थ

IG @kavi_neetesh

#leafbook नये अच्छे विचार आज शुभ विचार आज शुभ विचार अनमोल विचार स्वामी विवेकानंद के विचार 🙏🏻🌞🌹 सुविचार🌹🌞🙏🏻 🚩🌞🪷🚩🌞🪷🚩🌞 भोजन बांटते हुए फोटो न

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Parul Sharma

दूध, दही, रोटी, सब्जी, दाल,भात और सलाद हर दिन लें समय-समय पर पूर्ण पौष्टिक आहार  शुद्ध मन,स्वच्छ तन, और व्यायाम करो प्रतिदिन  स्वस्थ्य जन जी

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दूध, दही, रोटी, सब्जी, दाल,भात और सलाद
हर दिन लें समय-समय पर पूर्ण पौष्टिक आहार 
शुद्ध मन,स्वच्छ तन, और व्यायाम करो प्रतिदिन 
स्वस्थ्य जन जीवन का एक मात्र यही है आधार

©Parul Sharma दूध, दही, रोटी, सब्जी, दाल,भात और सलाद
हर दिन लें समय-समय पर पूर्ण पौष्टिक आहार 
शुद्ध मन,स्वच्छ तन, और व्यायाम करो प्रतिदिन 
स्वस्थ्य जन जी

Bharat Bhushan pathak

poetry hindi poetry hindi poetry on life poetry in hindi इस छंद में विशेष :-5वीं,8वीं 17वीं व 20वीं मात्रा लघु।

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दिग्पाल (या मृदुगति) छंद 
मापनी- 221 2122 221 2122 
लगावली- गागाल गालगागा गागाल गालगागा 
छंदाधारित फिल्मी गाने- 
1) छोडो न/ मेरा’ आँचल/, सब लोग/ क्या कहेंगे 
2) सारे ज/हाँ से’ अच्छा/ हिन्दोस/तां हमारा 


मानो अभी यहाँ जो बातें तुम्हें बताऊं।
संस्कार इस जगत में पूजित हुआ सुनाऊं।।
पशुवत हुआ मनुज जो संस्कारहीन होता।
सोचें भला जगत जो वह प्रेमनीर सोता।।

©Bharat Bhushan pathak  poetry hindi poetry hindi poetry on life poetry in hindi
इस छंद में विशेष
:-5वीं,8वीं 17वीं व 20वीं मात्रा लघु।

नवनीत ठाकुर

#हिंदू न खतरे में था, न है न कभी ये रहेगा, डर का व्यापार करने वाला, खुद सजेगा। करोड़ों की आबादी बड़ा ली हमने, बताओ सच तो फिर डर किस बात का।

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White हिंदू न खतरे में था, न है न कभी ये रहेगा,
डर का व्यापार करने वाला, खुद सजेगा।
करोड़ों की आबादी बड़ा ली हमने,
बताओ सच, तो फिर डर किस बात का।

गुणवत्ता की जरूरत है, न कि मात्रा की,
संख्या का क्या मोल, जब कमी हो ज्ञान की।
प्लासी की लड़ाई भी सबक सिखा गई,
इतनी बड़ी आबादी मुठ्ठी भर अंग्रेजों से हार गई।

आज चंद यहूदियों ने दुनिया हिला दी,
कर्म और बुद्धि से किस्मत बना दी।
तो क्यों न हम अपने को मज़बूत बनाएं,
गुण और शिक्षा से नई रीत लाएं।

जरूरत है पुरुषार्थ की, परमार्थ की,
धर्म को समझने वाले सच्चे विचार की।
राजनीति की रोटियां सेंकना छोड़ो,
धर्म को हथियार बनाना अब मोड़ो।

आत्मबल से जीतें, प्रेम का दीप जलाएं,
हिंदूत्व का मतलब सही सबको समझाएं।
हिंदुत्व सिर्फ धर्म नहीं, बल्कि जीने का तरीका है,
हर मनुष्य के उत्थान की सच्ची अभिव्यक्ति का तरीका है।

©नवनीत ठाकुर #हिंदू न खतरे में था, न है न कभी ये रहेगा,
डर का व्यापार करने वाला, खुद सजेगा।
करोड़ों की आबादी बड़ा ली हमने,
बताओ सच तो फिर डर किस बात का।

नवनीत ठाकुर

#ध्यान मात्र से उनके मिट जाए सारे भय

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White त्रिशूल की धार, जटा में गंगा,
भस्म का तन, शिव का रंगा।
काल भी जिनके आगे सिर झुकाले,
शिव के बिना कौन सृष्टि संभाले।

माथे पे चंद्र, गले में विष,
त्रिनेत्र के नाथ, स्वयं महिष।
कैलाश का वासी, सबके सहारे,
शिव के बिना सब जगत अंधकारे।

गले में सर्प, हाथों में त्रिशूल,
शिव की भक्ति से कट जाए हर भूल।
महाकाल का जिनको मिले सहारा,
भक्त का जीवन खिले सारा।

भांग-धतूरा चढ़े जिनके सिर,
ध्यान मात्र से उनके मिट जाए भय,
शिव की महिमा अपार और स्थिर।

©नवनीत ठाकुर #ध्यान मात्र से उनके मिट जाए सारे भय

Bharat Bhushan pathak

#मण्डूक_दोहे#छंद#वृक्ष#पेड़#नोजोटो_हिन्दी hindi poetry on life love poetry in hindi sad urdu poetry poetry deep poetry in urdu मण्डूक दोहे

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मण्डूक दोहे
पृथ्वी धारे तब हमें,काटें जब ना पेड़।
जान लीजिए सूत्र ये,प्राणों के यह मेंड़।।१

माने मेरी बात ये,उपयोगी उपहार।
देते खाना अरु दवा,रोपें वृक्ष हजार।।२

रोपें नित्य पेड़ एक,होता जो फलदार।
पुत्र जैसे ही मानें,सदा करे उपकार।।३


कहे धरा हमको यही,मानो मेरी बात।
वैरी सुन लो ना बनो ,नहीं करो आघात।४

 मेटे जो खुद को यहाँ,हमको देते ठौर।
 भूले न उनको छाँटें ,भोजन जो दे सौर।।५

इनसे ही होता यहाँ,सदा सुखी संसार।
शस्य-श्यामला हो धरा,हरियाली विस्तार।।६

©Bharat Bhushan pathak #मण्डूक_दोहे#छंद#वृक्ष#पेड़#नोजोटो_हिन्दी hindi poetry on life love poetry in hindi sad urdu poetry poetry deep poetry in urdu

मण्डूक दोहे

SumitGaurav2005

प्रस्तुत कहानी पूर्ण रूप से काल्पनिक है। इसका किसी भी तरह का किसी से कोई भी सम्बंध नहीं है। विद्युत उपकरण कंपनी के नाम का इस्तेमाल करके लेखक

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