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Anjani Upadhyay

महाभारत के रचनाकार

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Ketan Burasiya

किये थे वादे गजब के थे

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Dipak Jha

अच्छे थे ,भले थे, काम के थे , ये शहर के बच्चे , जब तलक गांव के थे -#nojotoenglish #Love #village

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अच्छे थे ,भले थे, 
काम के थे ,

ये शहर के बच्चे ,
जब तलक गांव के थे 

-Dipak Jha अच्छे थे ,भले थे, 
काम के थे ,

ये शहर के बच्चे ,
जब तलक गांव के थे 

-#nojotoenglish #love #Village

Aradhana verma

@ कुछ वक़्त के मारे थे कुछ किस्मत के हारे थे @ #Shayari

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Naveen

बचपन के किस्से थे

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Sai Sarkar

चाय के शौकीन थे

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सत्यमेव जयते

वादे गजब के थे।  #Shayari

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Gurudeen Verma

शीर्षक - मेरे वतन मेरे चमन, तुझपे हम कुर्बान है
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मेरे वतन मेरे चमन , तुझपे हम कुर्बान है ।
यह तिरंगा जां से प्यारा , यह हमारी शान है ।।
मेरे वतन मेरे चमन -------------------------।।

कैसे मिली आजादी हमको , यह हमें भी याद है ।
कितने सहे तुमने सितम , यह भी कहानी याद है ।।
जिसने तेरी अस्मत लूटी, लूटा तेरा यह चमन ।
शर्माते है वो देखकर यह , आज हम आबाद है ।।
कम होने नहीं देंगे तेरी आन को , हम कभी ।
चाहे हमें मरना पड़े , हमपे तेरा अहसान है ।।
मेरे वतन मेरे चमन --------------------------।।

मिलकर मनाते है दीवाली, हिंदू और मुस्लिम सदा ।
सबके लबों पे हो हंसी , करते हैं यह दुहा सदा ।।
नहीं पराया कोई भी , रिश्ता है सबसे प्यार का ।
महापुरुषों - वीरों की जननी , तु रहे आबाद सदा ।।
हम सब तेरी सन्तान है , आपस में भाई भाई हैं ।
तु  ही हमारा ख्वाब है , तु ही हमारा ईमान है ।।
मेरे वतन मेरे चमन -------------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार- 
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
मोबाईल नम्बर - 9571070847

©Gurudeen Verma #रचनाकार

Gurudeen Verma

शीर्षक - लोग खुश होते हैं तब
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सुनते हैं जब लोग,
दूसरे की तकलीफें और दर्द, 
दूसरों के मुख से, 
या फिर किसी को देखते हैं वो, 
मजबूरी में हाथ जोड़ते हुए किसी को,
लोग खुश होते हैं तब।।

जब मांगता है उनसे मदद, 
उनका कोई परिचित, 
या फिर विपदा में फंसा हुआ कोई,
या फिर चाहता है पनाह उनसे,
चंहुओर से असुरक्षित कोई,
लोग खुश होते हैं तब।।

जब उनको होती है खबर,
कि बर्बाद कोई हो रहा है,
या बदनाम कोई हो रहा है,
और जब मिलती है खबर यह,
कि किसी से उनके अपने ही करते हैं,
बहुत ही नफरत और ईर्ष्या,
लोग खुश होते हैं तब।।

ऐसे लोग मानते हैं सभी खुद को,
पवित्र,बेदाग और बहुत ही समझदार,
जबकि वो खुद खड़े हैं कीचड़ में,
लेकिन कौन देखता है कभी भी,
अपनी गिरेबां में और कॉलर को,
और मरना उनको भी है एक दिन,
लेकिन लोग खुश होते हैं तब--------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #रचनाकार
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