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Manjul
वो मछली वाली टॉफियां रंग उनका काला हुआ करता था अंदर उनमे मसाला हुआ करता था एक रुपये मे दस आया करती थी मन को मेरे बहुत भाया करती थी कई दिन तक खाया करते थे वो मछली वाली टॉफियां.. लेटे-लेटे मुझे कुछ याद आ गया था मन को मेरे जो भा गया था जीभ पर मछली वाली टॉफियों का स्वाद आ गया था।। ©Manjul Sarkar #मछली #टॉफी #VantinesDay
LOL
घर के काजों से ऑफिस की रिवॉल्विंग कुर्सी तक के सफर के बीच व्यस्तता की तहों में जब मिल नहीं पाता हूँ मैं खुद से तो जा धमकता हूँ किसी पंसारी की दुकान पर निकाल लेता हूँ मुठ्ठी-भर इमली के लड्डू और कुछ खट्टी-मीठी टॉफियां पीछे रखे मर्तबानों से.. लेता हूँ चटकारे बचपन को जबां पर रखकर चख लेता हूँ जायका ज़िन्दगी का इन नन्हीं खुशी की चाबियों से खोलकर यादों का सन्दूक फिर से पा लिया करता हूँ मैं खुद को! ©KaushalAlmora #व्यस्तता #रोजकाडोजwithkaushalalmora #बचपन #yqdidi #newwritersclub #kaushalalmora #टॉफी #life
chirag mittal
वो भी हमारे इश्क़ के इजहार का तरीका था मोहतरमा... जब हम अपने जन्मदिन पर सबको एक और तुम्हें दो टॉफी दिया करते थे!!! 😉😉😉 #yqbaba #YQdidi #टॉफी #hum #tum #pyar 😉 😉
Vivek Kumar Singh
एक बार मैं रेलगाड़ी से वडोदरा से पटना जा रहा था। जब रेलगाड़ी आगरा पहुँची तो पेठों का एक ठेला दिखा। मैंने सुन रखा था कि आगरे का पेठा मशहूर होता है। इसलिए मैंने स्टेशन पर उतरकर दो पैकेट पेठे ले लिए और वापस आकर अपनी जगह पर बैठ गया। पेठों के बक्से मैंने अपने थैले में रख लिए। उस थैले में पहले से कुछ किताबें रखी हुईं थीं। थोड़ी देर में रेलगाड़ी चलने लगी और मैं खिड़की से बाहर झाँकने लगा। एक घंटा हुआ होगा कि अचानक झोले में सनसनाहट होने लगी और झाग निकलने लगा। सब डरकर खड़े हो गए। उसी समय आर.पी.एफ. का एक गश्ती दल भी वहाँ पहुँचा। उनमें से एक ने मुझसे पूछा कि इसमें क्या है? मैंने बताया कि कुछ किताबें और दो पैकेट पेठे हैं। फिर उनमें से एक सिपाही ने झोले को खोलकर देखा तो किताबें गीली थीं और उनके पन्ने नारंगी रंग के हो गए थे। पेठों के एक पैकेट से रस निकल रहा था। मैं झेंप गया। बहुत शर्म आ रही थी। सब हँस रहे थे। बात यह थी कि किताब वाले झोले में मैंने ऑरेंज फ्लेवर वाले ईनो कि तीन पुड़ियाँ रखी हुईं थीं। उनके खोल कागज़ के बने हुए थे। तो हुआ ये कि पेठे के बक्से से रस निकला और उससे खोल पिघलने लगे। जब खोल पिघल गए तब रस पाउडर में जा मिला और सनसनाहट के साथ झाग बनने लगा। फिर मैं बिना कुछ कहे उठा और झोले को खिड़की के पास सूखने के लिए टांग दिया। पेठों के पैकेट #yqbaba #yqhindi #yqgudiya #yqmuzaffarpur #vks #yqdidi #yqvks
Sachin Ken
Subhasish Pradhan
दरिंदों को उम्र का क्या मालूम क्या लिहाज होगा जनाब वो तो जिस्म से ज्यादा रूह को नोच खाते हैं ।। #कमीज#टॉफी#दरिंदे#Yqdidi#yqhindi #YourQuoteAndMine Collaborating with Anil Ameta जी Superb yr lines.... Reality
Raj H Mishra