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Stories related to गृप ों यु

बेजुबान शायर shivkumar

" जरूरत है तू , कमी भी तू " प्रेम कभी अपनी जरूरत को यु पूरी करने के लिए नही होता, प्रेम हमेशा एक दूसरे के उन सुख-दुख में साथ, और भावनाओ

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White " जरूरत है तू ,  कमी भी तू "



प्रेम कभी अपनी जरूरत को
यु पूरी करने के लिए नही होता,
प्रेम हमेशा एक दूसरे के उन सुख-दुख में साथ,
और भावनाओ को समझने के लिए होता है.. !!

अब आपको कैसे कहू मैं अपने दिल की बात को
मेरी " जरूरत है तू ,  कमी भी तू " है मेरी... !!

हमने चेहरे देख कर
 दिल ️लगाया ही नही कभी, 
हां मुस्कुरा‍हटो पर तेरी 
कई बार हमने यु जान लुटाई है ..!!
                          
तुम्हें लिखने का मन है, 
हाथों में हाथ लेकर चलने का मन है..!
महसूस करना है इस क़दर, 
हर बार की तरह तेरा होने का मन है___!!

©बेजुबान शायर shivkumar " जरूरत है तू ,  कमी भी तू "



प्रेम कभी अपनी जरूरत को
यु पूरी करने के लिए नही होता,
प्रेम हमेशा एक दूसरे के उन सुख-दुख में साथ,
और भावनाओ

- Arun Aarya

#मिस यु दादी

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Grandparents say 24-01-2025

जो भूल चुके थे  वो हमारा  बचपन याद आया ,

दादी तेरे जाने के बाद अपना आँगन याद आया !

बहुएं  तुम्हारी  लड़ रहे  हैं तुम्हारे  अपने बेटों से ,,

तुम्हारी लाश जली नहीं है और उन्हें कंगन याद आया..!!

- अरुन आर्या

©- Arun Aarya #मिस यु दादी

बेजुबान शायर shivkumar

चांदनी रात हो, हाथों में मेरे तेरा हाथ हो 🫴🏻 छत पर हम-दोनो यु बैठे हो और ढेर सारी बात हो वो लम्हा बहुत खास हो, जिस पल तू मेरे पास हो और क्

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चांदनी रात हो, हाथों में मेरे तेरा हाथ हो 🫴🏻
छत पर हम-दोनो यु बैठे हो और ढेर सारी बात हो 
वो लम्हा बहुत खास हो, जिस पल तू मेरे पास हो 
और क्या मांगू खुदा से, जब तेरा और मेरा साथ में हो ।

©बेजुबान शायर shivkumar चांदनी रात हो, हाथों में मेरे तेरा हाथ हो 🫴🏻
छत पर हम-दोनो यु बैठे हो और ढेर सारी बात हो 
वो लम्हा बहुत खास हो, जिस पल तू मेरे पास हो 
और क्

Shivkumar barman

एक बार तुम्हें कस कर गले लगाना है.. और तुम्हे यु महसूस कर लेना है सदा के लिए तुम्हारी छुअन को... और फिर कभी किसी और को तुम्हारे करीब नहीं

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जब मैं तेरे ऊपर कोई एक गजल लिखूंगा 
तब तेरे होठों को एक कमल लिखूंगा 
लिखूंगा जब मैं इस बेबसी का आलम 
तेरी आंखों को मैं सागर लिखूंगा 
पूछेंगे लोग जब मुझसे मेरी जन्नत के बारे मैं 
तब मैं तेरी बाहों में लेटना लिखूंगा 
लिखूंगा तुझे मैं इस जहां की शहजादी 
खुद को यहां का नवाब लिखूंगा.....
 RTमजबूरी कहीं है डर कहीं हैं,
बेबसी का आलम हर कहीं हैं,

अजब बड़ा है दस्तूर ए इश्क
दर्द कहीं है, असर कहीं हैं,

परिंदे हैं हम इस आसमां के
शाम कहीं हैं, सहर कहीं हैं,

भटक रहे यहां कितने राही
मंजिल कहीं है सफर कहीं हैं,

नहीं खबर मुझको अपनी 
मैं कहीं हूं, घर कहीं हैं,

सोच में सबकी फर्क बहुत हैं, 
इशारे कहीं है नजर कहीं हैं,

✍️ SHIVAM 🙏

©Shivkumar barman एक बार तुम्हें कस कर गले लगाना है..
और तुम्हे यु महसूस कर लेना है 

सदा के लिए तुम्हारी छुअन को...
और फिर कभी किसी और को तुम्हारे करीब नहीं

बेजुबान शायर shivkumar

छोटे छोटे पैर तो कभी चलना सीख ही जाते हैं मंजिल दूर है पर वो धीरे धीरे बढ़ जाते हैं हम अपने ही दम से " खुद को निखार लेना " जानते है तप कर आग

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Unsplash 
// खुद को निखार लेना //


छोटे छोटे पैर तो कभी चलना सीख ही जाते हैं
मंजिल दूर है पर वो धीरे धीरे बढ़ जाते हैं
हम अपने ही दम से " खुद को निखार लेना " जानते है
तप कर आग में हम सोना बन ही कर आते हैं

मजबूरी जब ,अपने सर पे जिम्मेदारी आई तो समझ आ आती है
इस जिंदगी की दौड़ भी यु बढ़ती ही जाती है
वो अनाड़ी भी एक खिलाड़ी बन जाते हैं
जब गिर-गिर कर और ठोकर पर ठोकर यु खाते हैं

बारिश में भीग कर कड़ी धूप में यु जल कर भी वो बढ़ जाते हैं
न भाग कर ,अपने मुश्किलों से लड़ कर वो जीत कर दिखाते हैं
वो भी अपने वक्त के साथ साथ चलना भी सीख आता है
उसे अपने मेहनत का फल लेना भी आता है

अपने इन हाथों की लकीरों को भी बदल देते हैं
मेहनत करने वाले तूफान का रुख भी यु मोड़ देते हैं
ये दुनिया रोकती ही रहेगी मगर तुम चलते ही रहना 
न सुनना किसी की बात को तुम अपनी मंजिल को ही देखना

कर हौसला बुलंद तू , तुमने तो इतिहास रचा कदम बड़ा
हंसने वालो को एक दिन चुप करा देना , तुम इतिहास बना देना

©बेजुबान शायर shivkumar छोटे छोटे पैर तो कभी चलना सीख ही जाते हैं
मंजिल दूर है पर वो धीरे धीरे बढ़ जाते हैं
हम अपने ही दम से " खुद को निखार लेना " जानते है
तप कर आग

बेजुबान शायर shivkumar

रोज सुबह उठकर आने वाला मेरा ख्वाब हो तुम। कोरे पन्नों पर लिखे हर वो मेरे अल्फाज हो तुम। जिसकी रोज कल्पना करूं अगर वह आज हो तुम। मेरे दिल

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रोज सुबह उठकर आने वाला मेरा ख्वाब हो तुम। 
कोरे पन्नों पर लिखे हर वो मेरे अल्फाज हो तुम।

जिसकी रोज कल्पना करूं अगर वह आज हो तुम। 
मेरे दिल के हर वो गम-ए-जख्मों का इलाज हो तुम।

सदियों से चले आने वाला वो रिति-रिवाज हो तुम 
उस इश्क के मकान में भरे मेरे इम्तियाज हो तुम।

सोच कर तुम्हें ही अपने साथ मे हम भी मुस्कुराते हैं..
पर क्या करें अभी इस चेहरे से यु नाराज हो तुम ।।🪷👀

©बेजुबान शायर shivkumar रोज सुबह उठकर आने वाला मेरा ख्वाब हो तुम। 
कोरे पन्नों पर लिखे हर वो मेरे अल्फाज हो तुम।

जिसकी रोज कल्पना करूं अगर वह आज हो तुम। 
मेरे दिल

Shivkumar barman

!! किसी ने बड़ी कमाल की बात कही है.....!! हम एक नया रिश्ता पैदा ही क्यों करे !! जब हमको यु बिछड़ना है तो हम झगड़ा ही क्यों करे !! अपनी

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!! किसी ने बड़ी कमाल की बात कही है.....!!

हम एक नया रिश्ता पैदा ही क्यों करे !!
जब हमको यु बिछड़ना है तो हम झगड़ा ही क्यों करे !!

अपनी उन ख़ामोशी से अदा हो रस्म- ए - दूरी मे
हम बे वजह लड़ कर कोई हंगामा ही क्यो करे !!

ये काफ़ी है कि हम आपका दुश्मन दुश्मन नहीं है !!
तो हम वो वफ़ादारी का दावा ही क्यों करे !!

कहे कलम सूर्य की तुम हमारी ही ग़ज़ल का इंतज़ार क्यो ही करे !!
हम तुम्हारी उस कहानी का हिस्सा ही क्यो बने !!

तुम हमारी ही तम्मना  क्यों ही करोगे ?
और हम तुम्हारी ही तमन्ना क्यों ही करे ? !!

हमारी दुनिया की परवाह नहीं है तो
हम भी दुनिया की परवाह ही क्यों करे !!

©Shivkumar barman !! किसी ने बड़ी कमाल की बात कही है.....!!

हम एक नया #रिश्ता  पैदा ही क्यों करे !!
जब हमको यु #बिछड़ना  है तो हम झगड़ा ही क्यों करे !!

अपनी

बेजुबान शायर shivkumar

//सुकुन आँचल का// एक बार नही आपको मैं सौ बार लिखूंगा मांँ तुझे ही अपने जीवन का वो सार लिखूंगा बाबू बाबू कह कर जब मुझें यु पालना में झुलाती

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//सुकुन आँचल का//

एक बार नही आपको मैं सौ बार लिखूंगा
मांँ तुझे ही अपने जीवन का वो सार लिखूंगा

बाबू बाबू कह कर जब मुझें यु पालना में झुलाती है
स्वर्ग के अप्सरा भी यु मंद मंद कर वो मुस्कुराती है
मां की गोद में आकर भगवान भी यु बच्चे बन जाते हैं 
मां की ममता का सुख ईश्वर भी खूब मजा उठाते हैं

ईश्वर ने खुद को बनाया है 
एक ख्याल उनके मन में आया है 
अपने जैसा ही हर किसी को खुद को पहुंचाया है 
जिसका नाम माँ बतलाया है 

समंदर से गहरी ममता का होती है 
उठते तूफान को शांत वो करती है 
न छोटा न बड़ा इस भेदभाव में मांँ कहाँ पड़ती है 
मीठे सपनो को अपने बच्चे के लिए मांँ संजोती है

वक्त बदल जाए हालात बदल जाए 
पर मांँ की ममता को कोई न बदल पाए है आज तक
उसकी आवाज में ऐसा जादू होता है
की किसी के मुर्झाया चेहरा भी यु खिल जाता है

जब मांँ की आवाज कानों में आती है 
सारी दुनिया से लड़ने की हिम्मत दे जाती है 
घर से निकल कर सर को झुका देते है 
मांँ का आशीर्वाद लेकर बिगड़े काम भी बना देते हैं

बचपन में हो या हो बड़े आज भी
मांँ के उस आंँचल में पड़े रहते है
मुझे तो सुकून आँचल का मिलता है 
मांँ तेरी उस गोद में आ कर 


धनंजय शुक्ला✍

©बेजुबान शायर shivkumar //सुकुन आँचल का//

एक बार नही आपको मैं सौ बार लिखूंगा
मांँ तुझे ही अपने जीवन का वो सार लिखूंगा

बाबू बाबू कह कर जब मुझें यु पालना में झुलाती
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