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संजय जालिम " आज़मगढी"
White अफ़साना दिल का कहूँ कैसे दीवाना दिल को रखू कैसे माना मैं मुफ़्लिस् ,काफिर हु ज़माने का उनके सिवा "जालिम" उल्फ़त में जियु कैसे ©संजय जालिम " आज़मगढी" # जीयु कैसे#
# जीयु कैसे#
read moredilkibaatwithamit
White आँख से खींच के निकाले हैं ख्वाब वेसे भी मरने वाले थे... ©dilkibaatwithamit आँख से खींच के निकाले हैं ख्वाब वेसे भी मरने वाले थे... #Sad_Status Noor Hindustani
आँख से खींच के निकाले हैं ख्वाब वेसे भी मरने वाले थे... #Sad_Status Noor Hindustani
read moreGhumnam Gautam
White हाँ, मुझे प्यार है और तुम से ही है पर बताओ मैं इज़हार कैसे करूँ ©Ghumnam Gautam #कैसे #इज़हार #ghumnamgautam
Parasram Arora
White ये बात कित्नी अजीब है कि सांसे मेरी धीमी और मंद होती जा रहीं जबकि मेरी नब्ज़ ने फड़कना बन्द कर दिया है अब ये कैसे तय हो कि मै कितनी देर या कितने दिन और जीता रहूगा ? और मानलो मरना ही पढ़ा तो मेरा अंतिम क्षण कौनसा होगा ©Parasram Arora कैसे तय हो?
कैसे तय हो?
read moreBhupendra Rawat
मैं प्यार का इकरार कैसे करता मैं खुशी का इज़हार कैसे करता तूने छोड़ दिया था मुझे मंझधार मे तो, मैं तेरा इंतज़ार कैसे करता ©Bhupendra Rawat मैं प्यार का इकरार कैसे करता मैं खुशी का इज़हार कैसे करता तूने छोड़ दिया था मुझे मंझधार मे तो, मैं तेरा इंतज़ार कैसे करता शायरी वीडियो खूबसू
मैं प्यार का इकरार कैसे करता मैं खुशी का इज़हार कैसे करता तूने छोड़ दिया था मुझे मंझधार मे तो, मैं तेरा इंतज़ार कैसे करता शायरी वीडियो खूबसू
read moreGhumnam Gautam
green-leaves आज का दिन बिताऊँ तो कैसे कल की रैना उधार है मुझ पर! एक वादा ख़िलाफ़ लड़की है बाक़ी दुनिया निसार है मुझ पर ©Ghumnam Gautam #GreenLeaves #लड़की #ghumnamgautam #रैना #कैसे
#GreenLeaves #लड़की #ghumnamgautam #रैना #कैसे
read moreचेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज
New Year 2024-25 कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024 _______________________ हे दिसंबर ! कैसे कहूँ अलविदा --2024 जाते जाते कितनों के आंँखें कर गए नम माना कि मेरे हिस्से में आई हैं खुशियांँ, खुशियांँ भी मना न पाऊंँ जाने कितने को दे गए हो गम हे दिसंबर ! तुम्हें कैसे कहूंँ अलविदा-- 2024 भूल से भी ना भूलेगा मिटे से भी ना मिटेगा ज़ख्म है कितना गहरा , बेखबर हो गए हो तुम क्या जानो ! जाने कितनों की सांँसे थम गईं हे दिसंबर ! कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024 कपकपाती काया के रूह से पूछो- जाते जाते कितने को दर्द दे गए सिलते सिलते जाने कितने की उंगलियांँ जम गईं हे दिसंबर! कैसे कहूंँ अलविदा - 2024 (मौलिक रचना) चेतना प्रकाश चितेरी , प्रयागराज , उत्तर प्रदेश ३१/१२/२०२४ , ११:०८ पूर्वाह्न ©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज # कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024
# कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024
read moreParasram Arora
Unsplash कैसे पता लगे कि कौनसी बात न्याय संगत है और कौनसी बात व्यर्थ कागज़ी फूलों पर तुमने कभी किसी भवरे को बैठते हुए देखा है क्या? ©Parasram Arora कैसे पता लगे?
कैसे पता लगे?
read moreParasram Arora
Unsplash बहूत रात जागने के बावजूद. एक गहरी नींद मुझे मिली नहीं कितना बड़ा ये जहांन है फिर भी रहने के लिए दो गज़ ज़मीन मुझे मिली नहीं खुलकर रोने क़ी ख़्वाहिश थीं मेरी. पर रोने के लिए घर मेi खाली कोना मुझे मिला नहीं ©Parasram Arora दो गज़ जमीन
दो गज़ जमीन
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