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The Gamlour
एक आप है जो हमे पराया समजते हैं , और एक हम है जो आपको अपना खुदा मान बैठे हैं । #आप के हम..
Shashi Bhushan Mishra
झूठ फ़रेब के थे पैमाने, बंद पड़ी हैं सभी दुकानें, खट्टे थे अंगूर बताकर, धृष्ट लोमड़ी मारे ताने, छल प्रपंच का लिया सहारा, बनते फिरते बड़े सयाने, कौन विकल्प बनेगा सोचो, अंधों के हैं राजा काने, मक्कारी मंजूर नहीं अब, राष्ट्रप्रेम के हम दीवाने, कूड़ा कचरा मुक्त शहर हो, करो सफाई लगा ठिकाने, मान बड़ाई सबका 'गुंजन', नेकी का फल रब ही जाने, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #राष्ट्रप्रेम के हम दीवाने#
Pooran Bhatt
अबके हम बिछड़े तो शायद ख़्वाबों मे मिलें.. जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों मे मिले.. तू खुदा है ना मेरा इश्क़ फ़रिश्तो जैसा.. दोनों इंसान हैं तो फिर क्यों इतने हिजाबों मे मिले.. अब के हम बिछड़े..
Gyanendra Mishra
युगों युगों के हम प्यासे कैसे अपनी प्यास बुझाएं। सरिता तिलमिल उलझ गई है धाराओं ने ऐसे प्रश्न उछाले । हम संकोचों में ठहरे है कबसे, बाधाओं का हल कौन निकाले। फिर वीराने बैठे हैं देखो गंगाजल की आश लगाए। शांति द्वार पर खड़ा हुआ है हाहाकारों का उठता प्रवलन। सीतलता परोश रही है पावक ज्वलन उड़ेल रहा है ये चंदन। भाव विलोमित होकर ही रस्ता कोई कास दिखाए। दृष्टियों में हमने रक्खे जबसे कुछ कोमल कुछ सपन सुहाने। हर रोज खड़े हो जाते अपने प्रिय ही बैरी बनकर सीना ताने। पांडव बनकर भेजे जाते दुर्योधन का वनवास उठाए। हम प्रवर्तक है अमरत्व के फिर भी हमें मात का भय है। फिर से अपने मन भावो का सिया हरण होगा मानों तय है । फिर युग कि चौखट पर रावण बैठेगा अट्टहास लगाए। युगों युगों के हम प्यासे कैसे अपनी प्यास बुझाएं। ज्ञानेन्द्र मिश्र युगों युगों के हम प्यासे
DR. LAVKESH GANDHI
मुहब्बत मुहब्बत में हम यूँ इस कदर दूर निकल आए हैं जहाँ पर सारे बंद कर दिए जाते हैं हम भी इस प्रकार के परिंदे हैं कि हम अपनी मंजिल और अपना रास्ता खुद बना लेते हैं ©DR. LAVKESH GANDHI #mohabbat # #मुहब्बत के हम पुजारी #
RAHUL VERMA
खुदा ने सभी प्यारी चीजो के जोड़े बनाया … नदी के किनारे दो आंखें भी दो होठ भी दो पत्तियां भी दोनो तरफ चलो हो जाये अब मै हम। रात के हम सफर #vertical_lips
TAHIR CHAUHAN
काश की हम चाय हो जाते, काश की हम चाय हो जाते। तेरे दिलो दीमाक पर हम छाय होते। जब भी होती थकान तुम्हें। हमें लबों से लगा लेती तुम। तेरे अन्दर समां के हम ने । दुख दर्द तेरे हम ने मिटाए होते। काश के,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,। तरसते कभी हम किसी कप में पड़े। तेरे लबों को छूने के लिए। कभी तेरे लबो ने निशान। कप पर बनाए होते। निशान तेरे लबो पर हम भी छोड़ते अपना। झाग समझ कर फूक से । जो तू ने उड़ाए ना होते। काश के,,,,,,,,,,,,,। ताहिर।।। #काश के हम चाय होते।