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brar saab

#Thinking #दोनी-पोलो किस #प्रदेश की #जनजातियों का #धर्म/ रीति है? (A) अरुणाचल प्रदेश (B) मेघालय (C) सिक्किम

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White दोनी-पोलो किस प्रदेश की जनजातियों का धर्म/ रीति है?

(A) अरुणाचल प्रदेश
(B) मेघालय
(C) सिक्किम
(D) नागालैंड

©brar saab #Thinking #दोनी-पोलो किस #प्रदेश की #जनजातियों का #धर्म/ रीति है?

(A) अरुणाचल प्रदेश

(B) मेघालय

(C) सिक्किम

brar saab

#Newyear2024-25 #दोनी-पोलो #किस प्रदेश की जनजातियों का धर्म/ रीति है? (A) अरुणाचल प्रदेश (B) मेघालय (C) सिक्किम

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New Year 2024-25 दोनी-पोलो किस प्रदेश की जनजातियों का धर्म/ रीति है?(A) अरुणाचल प्रदेश(B) मेघालय(C) सिक्किम(D) नागालैंड
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©brar saab #NewYear2024-25 #दोनी-पोलो #किस प्रदेश की जनजातियों का धर्म/ रीति है?

(A) अरुणाचल प्रदेश

(B) मेघालय

(C) सिक्किम

N S Yadav GoldMine

#Thinking {Bolo Ji Radhey Radhey} इंसान बना था, प्यार करने के लिए, और रुपया-पैसा बना है, इस्तेमाल करने के लिए, लेकिन अब इंसान का इस्तेमाल

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White {Bolo Ji Radhey Radhey}
इंसान बना था, प्यार करने के लिए, 
और रुपया-पैसा बना है, इस्तेमाल 
करने के लिए, लेकिन अब इंसान का 
इस्तेमाल माल होता है, सबसे ज्यादा 
रुपये-पैसे से प्यार करने लगे हैं, 
अधिकांश लोगों के दुःख का कारण 
भी बना है, ये उलट-फेर का रिवाज।।
जय श्री राधेकृष्ण जी!!
N S Yadav GoldMine.

©N S Yadav GoldMine #Thinking {Bolo Ji Radhey Radhey}
इंसान बना था, प्यार करने के लिए, 
और रुपया-पैसा बना है, इस्तेमाल 
करने के लिए, लेकिन अब इंसान का 
इस्तेमाल

theABHAYSINGH_BIPIN

#sad_qoute टूटी खिड़कियाँ, वो कच्चा मकान, जहां रहता था कभी सच्चा इंसान। मॉडर्न के बेहकावे में हम आकर, कैसे शरीफ दिखाता झूठा इंसान। रीति वो

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White टूटी खिड़कियाँ, वो कच्चा मकान,
जहां रहता था कभी सच्चा इंसान।
मॉडर्न के बेहकावे में हम आकर,
कैसे शरीफ दिखाता झूठा इंसान।

रीति वो पुरानी कितनी प्यारी थी,
जहां हफ्तों रुकता था हर मेहमान।
भाईचारे की भावना एक हस्ती थी,
अब भाई को नहीं मिलता सम्मान।

अब किराए का शहर छोड़कर,
उसी गांव में फिर से बस रहा इंसान।
खो दिया है सबका अपमान कर,
अब गैरों में ढूंढता है सम्मान।

ये कैसा दौर चला है कलयुग का,
देखकर भी कुछ न सीखता है इंसान।
मुकर जाता है एक मदद के नाम से,
अभय से ना रखता है जान-पहचान।

©theABHAYSINGH_BIPIN #sad_qoute 
टूटी खिड़कियाँ, वो कच्चा मकान,
जहां रहता था कभी सच्चा इंसान।
मॉडर्न के बेहकावे में हम आकर,
कैसे शरीफ दिखाता झूठा इंसान।

रीति वो

बेजुबान शायर shivkumar

रोज सुबह उठकर आने वाला मेरा ख्वाब हो तुम। कोरे पन्नों पर लिखे हर वो मेरे अल्फाज हो तुम। जिसकी रोज कल्पना करूं अगर वह आज हो तुम। मेरे दिल

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रोज सुबह उठकर आने वाला मेरा ख्वाब हो तुम। 
कोरे पन्नों पर लिखे हर वो मेरे अल्फाज हो तुम।

जिसकी रोज कल्पना करूं अगर वह आज हो तुम। 
मेरे दिल के हर वो गम-ए-जख्मों का इलाज हो तुम।

सदियों से चले आने वाला वो रिति-रिवाज हो तुम 
उस इश्क के मकान में भरे मेरे इम्तियाज हो तुम।

सोच कर तुम्हें ही अपने साथ मे हम भी मुस्कुराते हैं..
पर क्या करें अभी इस चेहरे से यु नाराज हो तुम ।।🪷👀

©बेजुबान शायर shivkumar रोज सुबह उठकर आने वाला मेरा ख्वाब हो तुम। 
कोरे पन्नों पर लिखे हर वो मेरे अल्फाज हो तुम।

जिसकी रोज कल्पना करूं अगर वह आज हो तुम। 
मेरे दिल
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