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लेखक ओझा

#WoRaat विचलन

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MITRASEN

लक्ष्य से तू न विचलना

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Prem Nirala

आरंभिक, विचलन, वीपदाएं, पीड़ाएं, अंत, स्रोत, निश्चित घनघोर बरसाएं चिंतित पथिक राह वीपदाएं पीड़ाएं निरंतर प्रयास काज सब अंधकार हटाएं! __प्रे #Darknight

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आरंभिक, विचलन, वीपदाएं, पीड़ाएं,
अंत, स्रोत, निश्चित घनघोर बरसाएं
चिंतित पथिक राह वीपदाएं पीड़ाएं
निरंतर प्रयास काज सब अंधकार हटाएं!

__प्रेम__निराला__

©Prem Nirala आरंभिक, विचलन, वीपदाएं, पीड़ाएं,
अंत, स्रोत, निश्चित घनघोर बरसाएं
चिंतित पथिक राह वीपदाएं पीड़ाएं
निरंतर प्रयास काज सब अंधकार हटाएं!

__प्रे

Rituraj Tomar

"यदि प्रेम है तो विचलन का तो प्रश्न ही नहीं उठता, प्रेम तो स्थिर करता है, एकाग्र करता है । मन की सारी नकारात्मकताओं को दूर करता है । यदि आप

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"यदि प्रेम है तो विचलन का तो प्रश्न ही नहीं उठता,
प्रेम तो स्थिर करता है, एकाग्र करता है ।
मन की सारी नकारात्मकताओं को दूर करता है ।
यदि आप प्रेम में है तो आप जो भी कार्य कर रहे है
वह उत्साह से करेंगे, प्रसन्नता से करेंगे,
पवित्रता से करेंगे, एकाग्रता से करेंगे ।" 
ट्वेल्थ फेल पुस्तक से कुछ शब्द "यदि प्रेम है तो विचलन का तो प्रश्न ही नहीं उठता, प्रेम तो स्थिर करता है, एकाग्र करता है । मन की सारी नकारात्मकताओं को दूर करता है ।
यदि आप

Insprational Qoute

कलकल करती बदली पिया देखो आज कुछ कह रही, सावन की रुत अब चारों दिशाओं में सरसर बह रही, नैनो की शिरोरेखा सुरमई हुई, रंग रूप के श्रृंगार में #प्रेम #कविता #गीतिकाव्य

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"पियामिलन गीतिकाव्य"


सम्पूर्ण रचना अनुशीर्षक में पढ़ियेगा। कलकल करती बदली पिया देखो आज कुछ कह रही,
सावन की  रुत  अब चारों दिशाओं में सरसर बह रही,

नैनो की शिरोरेखा सुरमई हुई,
 रंग रूप के श्रृंगार में

Hemant Rai

अतिगती!!! दौड़ रहे हो इतनी गति से, कहां निकल के जाओगे, अती गति के चक्कर में खुद को ही,पीछे पाओगे। दौड़ रहे हो इतनी गति से क्या प्रकाश

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अती गति!!!

दौड़ रहे हो इतनी गति से,
कहां निकल के जाओगे,
अती गति के चक्कर में खुद को ही,पीछे पाओगे।

दौड़ रहे हो इतनी गति से क्या प्रकाश की गति को हराना है?
इच्छा पूरी करने के भ्रम में, भ्रमित होते जाना है।
कर लो निर्णय स्वयं ही तुम क्या, धरातल पर ही रहना है, या भ्रमांड के परे निकल जाना है?

अभिमान में यूं लिप्त रहकर,क्या मान तुम्हे अब पाना है,
उड़ लो कितना भी हवा में, अंततः मिट्टी में विलीन हो जाना है।

बांध लो मन की विचलन को ना तो, 
स्वयं ही बंधक हो जाओगे,
आंख-बुद्धि होते हुए भी तुम अंधक हो जाओगे।

पराकाष्ठा के लौभ में विचल ना तुम हो जाना,
धैर्य रखना ही जीवन है, व्यर्थ ना इसे गवाना।

तीनो लोक को मुट्ठी में कर क्या देवता तुम हो जाओगे?
मनुष्य योनि में जन्में हो, तुम भी मिट्टी ही हो जाओगे।

समय को क्या तुम मात दोगे इस पर ना विजय पा पाओगे,
इसे हराने के चक्कर में काल में फंसते जाओगे।
अथक, कर लो प्रयास भी तुम, इससे ना पार पा पाओगे,
जहां खड़े बंधू जो तुम इससे और पीछे हो जाओगे।

दौड़ रहे हो इतनी गति से,
कहां निकल के जाओगे,
अती गति के चक्कर में खुद को ही,
पीछे पाओगे।

हेमंत राय। अतिगती!!!

दौड़ रहे हो इतनी गति से,
कहां निकल के जाओगे,
अती गति के चक्कर में खुद को ही,पीछे पाओगे।

दौड़ रहे हो इतनी गति से क्या प्रकाश

Anil Prasad Sinha 'Madhukar'

"स्नेहिल सुप्रभात सभी को...💐❤️💐" आप सभी के शुभ दिवस की शुभ कामना 🌺🙏 "हमारी ज़िंदगी किसी ना किसी कश्मकश में हमेशा फंसी ही रहती है । सु:ख-दुःख, #Collab #YourQuoteAndMine #अभिव्यक्ति_challange #अभिव्यक्ति_challenge

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धूप और छाँव के रूप जीवन में,
हमेशा सुख - दुख को दर्शाते हैं,
दोनों  अपने - अपने  बारी  का,
जीवन में बख़ूबी धर्म निभाते हैं।

गर ना हो जीवन में  धूप छाँव तो,
जिन्दगी  नीरस सा  बन  जाएगा, 
ग़म  और  ख़ुशी  के  अन्तर  को,
फिर  मानव  समझ  ना  पाएगा। "स्नेहिल सुप्रभात सभी को...💐❤️💐"
आप सभी के शुभ दिवस की शुभ कामना 🌺🙏
"हमारी ज़िंदगी किसी ना किसी कश्मकश में हमेशा फंसी ही रहती है । सु:ख-दुःख,

Lalit Saxena

तुम धीरे धीरे मरने लगते हो अगर तुम यात्राएं नहीं करते अगर तुम पढते नहीं....... अगर तुम जीवन की आवाज को नहीं सुनते अगर तुम अपने से सामंजस्य ब #विचार

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Insprational Qoute

सखि मैं हूँ अमर सुहाग भरी!विरह के रंग से रंगी लाल हरी! नित नित पिया को बुलावा भेज,मानो तन मन से मैं हार रही....... कलकल करती बदली आज पिया क #महादेवी_वर्मा #restzone #rzछायावाद #rzहिंदीकाव्यसम्मेलन

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कवयित्री:- महादेवी वर्मा
कविता -सांध्यगीत( सखि मैं हूँ अमर सुहाग भरी!)
प्रथम पंक्ति -  सखि मैं हूँ अमर सुहाग भरी!
अंतिम पंक्ति - दुख से, रीति जीवन-गगरी।

सखि मैं हूँ अमर सुहाग भरी!विरह के रंग से रंगी लाल हरी!
नित नित पिया को बुलावा भेज,मानो तन मन से मैं हार रही.......

सम्पूर्ण कविता अनुशीर्षक में पढ़े😊
 सखि मैं हूँ अमर सुहाग भरी!विरह के रंग से रंगी लाल हरी!
नित नित पिया को बुलावा भेज,मानो तन मन से मैं हार रही.......

कलकल करती बदली आज पिया क

Divyanshu Pathak

मेरे जन्मदिन को आपने अपने प्रेम भाव से सिंचित कर मेरी आत्मा में अपनी उपस्थिति का एहसास कराया ! प्रिय #komal sharma जी आपके ह्रदय की विशालता #shweta #ruchi #Usha #Uma

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हमारा मन कहां-कहां
अटकता है भटकता है चिपकता है
इसको समझना भी जरूरी है
अनावश्यक जगह नहीं चिपके
यह प्रयास करना भी जरूरी है।
इसका सरलतम उपाय है
सकारात्मक दृष्टि।
जीवन में जागरूकता का भाव
सकारात्मक दृष्टि आपको
हर कार्य में सार्थक
भूमिका प्रदान करेगी। मेरे जन्मदिन को आपने अपने प्रेम भाव से सिंचित कर मेरी आत्मा में अपनी उपस्थिति का एहसास कराया ! प्रिय #komal sharma जी आपके ह्रदय की विशालता
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