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Parul Sharma
चलो सब बैठो ट्रेन में पैसे बंट रहे हैं दिल्ली में खाते हैं चिक्की गजक गाजर का हलुआ वहीं रिश्तेदारी ढूंढो दिल्ली में मोबाइल कलम कागज़ सब जमा दो अपने बैग में जल्दी चलो अब दिल्ली में ©Parul Sharma #traintrack
Abhinav
White लिखना था कि खुश हैं तेरे बगैर भी यहां हम, मगर कमबख्त... आंसू हैं कि कलम से पहले ही चल दिए। ❤️😌 ©Abhinav #आंसू ❤️ #trainding #Emotion #emotinal #brokenheart
#आंसू ❤️ #trainding #Emotion #emotinal #brokenheart
read moreSuprith Suprith
Unsplash Everything Is End But Never End Your Smile ©Suprith Suprith #traveling #trainding
Yuvi
कभी कभी ऐसा होता है कि , होते हैं 'मंजिल' से खूबसूरत 'सफ़र'..!! युवराज ©Yuvi #Train
Avinash Jha
Life quotes in hindi Parting Shadows I stand in silence, bound by time, As fate denies this heart of mine. Her steps retreat, a fading trace, Yet I can't stand to see her face. The train will call, the whistle cry, But I remain beneath the sky. A world between us, cold and vast, While moments slip into the past. How cruel, this wall of duty's claim, To keep me from the one I name. No hand to wave, no tear to show, Just aching tides that ebb and flow. She’ll turn, perhaps, to find my eyes, And only meet the empty skies. Still, in my chest, her love will stay, A lighthouse through this stormy day. Go safe, my heart, though I’m not near, Each mile you tread, I’ll hold you here. Until we meet in time’s embrace, Her shadow lingers, soft in space. ©Avinash Jha #Train
Ravi_bhagat11
Watch the camera to see how the train changes tracks 😱 #Technology #Technique #OmG #traintrack यूट्यूब वीडियो
read moreमलंग
मेरे बिल्कुल पास बैठी थी वह। इतनी कि मैं उसकी आती-जाती सांसों को सुन सकता था। उसकी आँखों में दिखती गंगा को, सागर की तरह देख सकता था। उसने कहा... "लड़के न... बहुत लापरवाह होते हैं।" मैं हँस पड़ा। उसने मेरी लापरवाहियाँ देखी थीं, काॅलेज के तीन सालों में... हवा सर्द हो रही थी। अंधेरा घिरने को था। उसने एक गहरी सांस ली और बोली; "लड़कों की दुनिया और ही होती है, 'सोच'..." मैं फिर से हँस पड़ा। उसे मेरी बातें कभी समझ नहीं आयी थीं। वह कहती गयी। "... उनकी दुनिया में एहसासों का कोई ठौर नहीं होता है। लड़के मोहब्बत नहीं जानते हैं। उनकी दुनिया में भीतर की मोहब्बत मर जाती है।" मैंने चाहा... हँसना लेकिन ख़ामोशियों ने होंठ सिल दिये। सीने में अजीब-सी टीस उठने लगी। उसने मोबाइल देखा और फिर मुझे। वक्त हो चुका था। वह उठी, मुझसे गले लगी, बोली, "कभी कोलकाता आना तुम। मोहब्बत का शहर है..." और मुस्कुराती हुई उस ओर बढ़ गयी, जिस ओर एक ट्रेन उसके इंतजार में खड़ी थी शायद। मैं उसे देखता रहा। जब तक कि वह गलियों में गुम न हो गयी। दिल ने कई दफे चाहा कि उसे आवाज़ दूँ पर गला भर आया था। उसने मेरी लापरवाहियाँ देखीं, मेरा गुस्सा देखा, मेरी जिद, मेरे दुख, मेरी हँसी सब कुछ देखा था पर शायद कभी नहीं देखा कि मेरी दुनिया उसके बिना अधूरी थी। फिर उसने ही कहा था कि 'लड़के मोहब्बत नहीं जानते हैं।' मैंने भी कब उससे मोहब्बत किया था! वैराग्य के शहर में मोहब्बत किसे हो! बस न जाने क्यों भीतर ही भीतर दर्द-सा हो रहा था। कोई ट्रेन उसे कोलकाता, उसके शहर लिए जा रही थी। मेरा बनारस, मेरा पहलू में रात भर कोई माझी गीत गाता रहा। मन था कि ट्रेन की पटरियों के साथ कोलकाता चले जा रहा था... ❤ 'सोच' ©मलंग #traintrack