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Horror and Suspense Freaks
Ashok Mishra Comedian (9833241897)
great Actor धर्मेन्द्र साहब के साथ बैंगलोर शो के दौरान
Cricket
Cricket For you
प्रियम श्रीवास्तव
बहुत दिनों के बाद आज बारिश हुई, तपती धरती को भिगोने जैसे सावन की झड़ी आयी- मन में अजीब सी बेचैनी थी, एक एहसास पनप सा रहा था- एक दूसरे से मिलने को, खिड़की से सटके जब बाहर का नज़ारा देखा, उस बारिश की हर एक बूँद जब खिड़की के काँच पर, अपने छाप छोड़ने को आतुर थे, सच बताऊँ, मेरे अंतर्मन की हर एक साँस की यही पुकार थी- चलो आज बारिशों से रूबरू होते है, इनकी आवाज़ को कोई सुनता नहीं, चलो आज इन्हें भी सुनते है- ये घने हुए बादल, हलके काले व्योम से टपकते हुए ओस- कभी अचानक से छटते बादलों के बीच-नीले- नीले अम्बर, और इनके ऊपर मनमोहक इंद्रधनुष का दृश्य- ये नभ में बनते ये नज़ारे- कैसे कोई रोक सकता है खुद को- जब सातो रंगों से बने इंद्रधनुष, अपने हर एक रंग से, हमें रोमांचित करती है- और बस यही पुकारती है- मेरे रंग में रंग जा- और दूसरे को भी रंग, की न रहे कोई भेदभाव!! #NojotoQuote सम्पूर्ण बैंगलोर वासियों को बारिश की पहली फुहार की बधाई और उसके लिये मेरी एक छोटी सी रचना समर्पित!! #बैंगलोर_के_दिन #बारिश #यादें #बेस्ट_टा
Alpesh sen
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Divyanshu Pathak
: एक कहानी बताऊं आपको--- 😊कैप्शन पढ़ें😊 ☺💐🍉🍉🍨☕💕👨 :💕👨☕☕🍨🍉 : " टिकट कहाँ है ? " -- टी सी ने बर्थ के नीचे छिपी लगभग तेरह - चौदह साल की लडकी से पूछा ।" नहीं है साहब। "काँपती हुई हाथ जोड़े लडकी
KP EDUCATION HD
KP NEWS for the same for me to get the same for me ©कंवरपाल प्रजापति टेलर क्या आप डायलिसिस तकनीशियन के रूप में करियर बनाने को लेकर उत्साहित हैं? आगे कोई तलाश नहीं करें! HAL भर्ती 2023 अब आवेदन के लिए खुला है। बैंगल
Dr Jayanti Pandey
किसानों के नाम पर, देश के दुश्मन काम पर.. अब समझ चुके हैं हर धरने के पीछे के उद्घोष को समझ रहे हैं हर भ्रांति फैलाने के पीछे के उद्देश्य को तुम्हारी विध्वंसक क्षमताओं का भी अब अंदाजा है मुम्बई, बैंगलोर, दिल्ली का ज़ख्म अभी भी ताजा है। (कृपया पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें) ये किसान नहीं बैठे , सर्कस वाले हुए हैं कैसे-कैसे आस्तीन के सांप पाले हुए हैं खेल रहे हैं बारुद से, दुश्मनों के हाथ में समझते हुए भी देश,होश