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Parasram Arora
White लिखने को मेरे पास बहूत कुछ था लेकिन क्या करता मेरी कलम को गवारा नही था ©Parasram Arora कलम क़ी विवशता
कलम क़ी विवशता
read moreRajni Vijay singla
ए खुदा तेरी खिदमत मे मेरी कलम है मेहरबानी ! आसमा वाले तू और मैं ही हूं वरना कलम का भी कोई दावेदार आ जाता ©Rajni Vijay singla तू और तेरी कलम
तू और तेरी कलम
read moreIndian Kanoon In Hindi
सूचना का अधिकार अधिनियम कानून :- * सूचना का अधिकार अधिनियम (Right to Information Act) भारत के संसद द्वारा पारित एक कानून है जो 12 अक्तूबर, 2005 को लागू हुआ (15 जून, 2005 को इसके कानून बनने के 120 वें दिन)। भारत में भ्रटाचार को रोकने और समाप्त करने के लिये इसे बहुत ही प्रभावी कदम बताया जाता है। इस नियम के द्वारा भारत के सभी नागरिकों को सरकारी रेकार्डों और प्रपत्रों में दर्ज सूचना को देखने और उसे प्राप्त करने का अधिकार प्रदान किया गया है। जम्मू एवं काश्मीर मे यह जम्मू एवं काश्मीर सूचना का अधिकार अधिनियम 2012 के अन्तर्गत लागू है। * आरटीआई शिकायत :- यदि आपको किसी जानकारी देने से मना किया गया है तो आप केन्द्रीय सूचना आयोग में अपनी अपील / शिकायत जमा करा सकते हैं। * अपनी अर्जी कहाँ जमा करें? :- आप ऐसा पीआईओ या एपीआईओ के पास कर सकते हैं. केंद्र सरकार के विभागों के मामलों में, 629 डाकघरों को एपीआईओ बनाया गया है. अर्थात् आप इन डाकघरों में से किसी एक में जाकर आरटीआई पटल पर अपनी अर्जी व फीस जमा करा सकते हैं. वे आपको एक रसीद व आभार जारी करेंगे और यह उस डाकघर का उत्तरदायित्व है कि वो उसे उचित पीआईओ के पास भेजे। * क्या इसके लिए कोई फीस है? इसे कैसे जमा करें? :- एक अर्ज़ी फीस होती है. केंद्र सरकार के विभागों के लिए यह 10रु. है. हालांकि विभिन्न राज्यों ने भिन्न फीसें रखीं हैं. सूचना पाने के लिए, आपको 2रु. प्रति सूचना पृष्ठ केंद्र सरकार के विभागों के लिए देना होता है. यह विभिन्न राज्यों के लिए अलग- अलग है. इसी प्रकार दस्तावेजों के निरीक्षण के लिए भी फीस का प्रावधान है. निरीक्षण के पहले घंटे की कोई फीस नहीं है लेकिन उसके पश्चात् प्रत्येक घंटे या उसके भाग की 5रु. प्रतिघंटा फीस होगी. यह केन्द्रीय कानून के अनुसार है। * क्या सूचना प्राप्ति की कोई समय सीमा है? :- हाँ, यदि आपने अपनी अर्जी पीआईओ को दी है, आपको 30 दिनों के भीतर सूचना मिल जानी चाहिए. यदि आपने अपनी अर्जी सहायक पीआईओ को दी है तो सूचना 35 दिनों के भीतर दी जानी चाहिए. उन मामलों में जहाँ सूचना किसी एकल के जीवन और स्वतंत्रता को प्रभावित करती हो, सूचना 48 घंटों के भीतर उपलब्ध हो जानी चाहिए। ©Indian Kanoon In Hindi सूचना का अधिकार अधिनियम कानून :-
सूचना का अधिकार अधिनियम कानून :-
read moreDiya
बदलते रंग तुम आ कर मुझ से गले मिलो, अपने आलिंगन में मुझे संमा लो, अपने प्यार के रस में घोलकर, एक प्यारा सा सुकून पहुंचा दो, तुम्हारे बिना तड़पती हुई मेरी रूह हा तुझे याद करती है, मेरे गले के आसपास अपने चुंबन का एक प्यारा सा एहसास तो करा दो, ©Diya #बदलते #रंग #दिया #की #कलम #शायरी❤️से
Geetkar Niraj
White दिल टूटने पर हमनें, कलम उठा लिया। उठता हथियार तो नजारा कुछ और होता मेरी जान। ©Geetkar Niraj #sad_qoute #geetkarniraj #sad_shayari #हथियार #कलम
#sad_qoute #geetkarniraj #sad_shayari #हथियार #कलम
read moreलेखक 01Chauhan1
पहली मोहब्बत की वो बातें..... हम तुम जब मिले थे पहली बार याद है हमें वो है एक पुरानी बात छुप-छुपकर तुम्हें देखना वो हसीन ख्वाब वो पास हो कर भी दुर थे कितनी हसीन भी वो पहली मुलाक़ात कहने से हम भी थोड़े थे हिचकिचाते उसे खोने से हम भी तो डर जाते दिल को हमने अब तक है संभले पहली मोहब्बत की वो बातें..... नजरें मिलते-जुलते थे हम दोनों के आस-पास बैठ जाते हम भी कभी जाके दोनों का मिलने-जुलने का ही वक्त होता था हमें देख कर वो पलकें झुकाए करते थे कई सालों तक हम दोनों साथ-साथ रहें उस के नाम हमने हरके पन्ने पर लिखें उस के लिखें नाम आज भी मौजूद है वो पेड़ अब तक कटे नहीं है पहली मोहब्बत की वो बातें.... मैंने उसे फिर से खोजना चाहा पा लूं एक बार उस की झलक इतना चाहा सब जगह तलाश की उस की मौजूदगी फिर एक दिन मिली उस की सहेली हमें वो शायद पहचान नहीं पाई उस के भाई के साथ हमने कभी वक्त बिताई नाम ही केवल याद है जो फिर मिलेंगे नहीं पहली मोहब्बत की वो बातें...... ©लेखक 01Chauhan1 मेरी कलम
मेरी कलम
read moreKiran Chaudhary
ये एक आखिरी खत होगा तो मैं तुम्हारे नाम लिख रही हूं, कहना तो बहुत कुछ है मगर कलम ने भी मेरा साथ छोड़ दिया है। ©Kiran Chaudhary कलम ने भी मेरा साथ छोड़ दिया है।।
कलम ने भी मेरा साथ छोड़ दिया है।।
read moreHarish Prajapati
Unsplash हमारा अधिकार हमारा कर्तव्य ©Harish Prajapati #leafbook हमारा अधिकार
#leafbook हमारा अधिकार
read moreअनिल कसेर "उजाला"
Unsplash कलम की बात निराली है, तंगहाल में भी दिवाली है। धन-दौलत से क्या करना, ग़मों को करती खाली है। सुख से जो हैं सूख जाते, लाती उनमें हरियाली है। भूली-बिसरी यादों की ये, करती सदा रखवाली है। दुख-दर्द की फसल काट के, जीवन में भरती ख़ुशहाली है। ©अनिल कसेर "उजाला" #Book कलम
#Book कलम
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