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Unsplash कलम की बात निराली है, तंगहाल में भी दिवाल

Unsplash कलम की बात निराली है,
तंगहाल में भी दिवाली है।

धन-दौलत से क्या करना,
ग़मों को  करती खाली है।

सुख से जो हैं सूख जाते,
लाती उनमें  हरियाली है।

भूली-बिसरी यादों की ये,
करती सदा  रखवाली है।

दुख-दर्द की फसल काट के,
जीवन में भरती ख़ुशहाली है।

©अनिल कसेर "उजाला"
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कलम