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Krishnadasi Sanatani
Aditya kumar prasad
"विख्यात है फिर भी, प्रचार में व्यर्थ कर रहे है ll हम अपने जीवन को बेकार में व्यर्थ कर रहे हैं ll प्यार से उपजे, प्यार से सजे, प्यारे जीवन को, लड़ाई-झगड़े, तीर-तलवार में व्यर्थ कर रहे हैं ll पता है कि आखिर में सब मिट्टी में मिल जाएगा, फिर भी, जीवन को अहंकार में व्यर्थ कर रहे हैं ll हमारे अंर्तमन में रोशनी ही रौशनी बिखरी हुई है, हम खुद को बाहर के अंधकार में व्यर्थ कर रहे हैं ll इसी उम्मीद में कि एक दिन सब ठीक हो जाएगा, जीवन को उसी दिन के इंतजार में व्यर्थ कर रहे हैं ll" ©Aditya kumar prasad व्यर्थ कर रहे है Pooja Udeshi R Ojha Sethi Ji Lalit Saxena Anshu writer Internet Jockey MM Mumtaz -hardik mahajan Jasmine of December tahm
Aditya kumar prasad
मैंने हटा दिए सब आईने अपने घर के उनमें देखूँ भी तो क्या देखूँ मेरे चेहरे पर तेरे एहसास की कई परतें जमी है जब भी देखता हूँ आईना,मैं तेरे जैसा दिखता हूँ मेरा आईना तो तेरी आँखें हैं एक तेरी आँखों में बस,मैं मेरे जैसा दिखता हूँ। ©Aditya kumar prasad मेरा आईना तो तेरी आँखें हैं एक तेरी आँखों में बस,मैं मेरे जैसा दिखता ह Sethi Ji Lalit Saxena Anshu writer Adhury Hayat R Ojha SHWETA DAYAL
Aditya kumar prasad
Aditya kumar prasad
छोटी सी ख्वाहिश है तुम उसे पूरा कर पाओगे क्या... अगर मैं तुमसे कभी नाराज हो जाऊं तो मुझे गले लगाकर मना पाओगे क्या... पूरी जिंदगी का तो पता नहीं पर जब तक जिंदा हूं साथ दे पाओगे क्या... मैं ज़िद्दी बहुत हूं... मेरे जिद के सामने खुद को झुका पाओगे क्या... माना तुम दिन भर व्यस्त रहते हो अपने कामों में पर इन कामों के बीच थोड़ा सा वक्त मुझे भी दे पाओगे क्या... ©Aditya kumar prasad #Love #like #repost #gift R K Mishra " सूर्य " Lalit Saxena Anshu writer Sethi Ji R Ojha Preeti Devi Harjinder Singh Asr Kavya Puneet Arora
Aditya kumar prasad
ज़िक्र में गुम यकीनन फ़िक्र में रहा करता हूँ मैं खामोशियों में तेरी बन शोर मैं बहा करता हूँ मैं है ऐतबार मुझ को मेरे इश्क़ पे है ऐतबार तेरे फैसले पर भी कि टूट तुम से तुम में एक टुकडा अब भी मैं कभी महक बन कभी कसक बन हर सांस तुम में जिया करता हूँ मैं ज़िक्र में नहीं बेशक फ़िक्र में तुम्हारी रहा करता हूँ मैं ©Aditya kumar prasad ज़िक्र में नहीं बेशक फ़िक्र में तुम्हारी रहा करता हूँ मैं Anshu writer R Ojha Lalit Saxena SHWETA DAYAL SRIVASTAVA udass Afzal Khan Mahendr
Aditya kumar prasad
खुद से भी मिल न सको, इतने पास मत होना इश्क़ तो करना, मगर देवदास मत होना देखना, चाहना, फिर माँगना, या खो देना ये सारे खेल हैं, इनमें उदास मत होना जो भी तुम चाहो, फ़क़त चाहने से मिल जाए ख़ास तो होना, पर इतने भी ख़ास मत होना किसी से मिल के नमक आदतों में घुल जाए वस्ल को दौड़ती दरिया की प्यास मत होना मेरा वजूद फिर एक बार बिखर जाएगा ज़रा सुकून से हूँ, आस-पास मत होना ©Aditya kumar prasad खुद से भी मिल न सको, इतने पास मत होना इश्क़ तो करना, मगर देवदास मत होना #Like #Comment #Gift #Nozoto #Shayari R Ojha Pooja Udeshi Sethi J
Aditya kumar prasad
''असहाय चाँद'' "शायद चाँद इस रात के अंधियारे में भटका है...? इसीलिए चाँद मेरे छत कि मुंडेर पर अटका है... आसमां में काले बादलों का हुजूम है; बिजली भी नाच रही है झूम-झूम के... शायद वह किसी बिजली कि ठोकर से टपका है...? अटके -अटके जब उसे बहुत देर हो हो गयी, आरजू उसकी उड़ने कि फिर ढेर ढेर हो गये... शायद वह उड़ता हुआ यहाँ आ कर लटका है...? रात अंधियारे के साथ मिलकर रास रचाती है; व्यवधान बनकर इतने में चांदनी पास आती है... शायद उन दो प्रेमियों के नजर में वो खटका है...? मेरे जैसा उसके साथ हादसा खुद-ब-खुद हुआ, इश्क के दो घूंट पी-कर वह नशे में बेसुध हुआ... इश्क के चंगुल से यहॉ भला कोन बच सका है...?" ©Aditya kumar prasad असहाय चाँद tahmeena khatoon Lalit Saxena R Ojha Sethi Ji Anshu writer mmm k singh Internet Jockey MM Mumtaz Pooja Udeshi भारत सोनी _इलेक्ट
Aditya kumar prasad
"उम्मीदें अब भी बची हुई हैं ll होसलों के पास रखी हुई हैं ll सारे टूटे ख्वाब तीखे निकले, ये आंखें ख्वाब चखी हुई हैं ll दिल में तूफान उठना लाजमी है, मंजिलें मुश्किलों से ढकी हुई हैं ll बेशक अंधेरा है तो क्या हुआ, रातें चांद तारों से सजी हुई हैं ll सभी समस्याओं से भागना चाहते हैं, जिंदगियां भागते भागते थकी हुई हैं ll ©Aditya kumar prasad #उम्मीदें #होसला #मंजिल #टुटे_ख़्वाब tahmeena khatoon R Ojha Sethi Ji Lalit Saxena Anshu writer SHWETA DAYAL SRIVASTAVA -hardik mahajan I