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sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3

प्यास

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White ये प्यास इस क़दर मिल रही है पानी से...
जैसे मौत लिपटती है ज़िंदगानी से..।

जीत बहुत दूर चली गयी मुझसे लेकिन...
हार न मानूंगा इतनी आसानी से..।

और जा पहुंचा हूँ मैं कई ज़ख्मों तलक...
उसके बदन के फ़क़त इक-दो निशानी से..।

खुद शिशे के सामने आना पड़ता है...
तू देखता है जो इतनी हैरानी से..।

मेरे सिर से कोई बचपन उतारे ‘ख़ब्तुल’...
इश्क़ अक्सर कहता रहता है जवानी से..।

                  - ख़ब्तुल
               संदीप बडवाईक

©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 प्यास

Parasram Arora

भूख और प्यास

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White प्यास लगी हैँ तों पानी हैँ
लेकिन प्यास के पहले पानी हैँ 

भूख लगी हैँ तों  भोजन हैँ 
लेकिन भूख से पहले भोजन हैँ 

प्रेयसी के लिए उठता हैँ प्रेम 
तों समझलो प्रेम पहले से मौजूद हैँ 


अगर प्यास उठी हैँ परमत्मा क़ी 
तों ये परमाण हैँ इस बात का कि 
परमात्मा  भी  अस्तित्व मे 
पहले से कही मौजूद हैँ

©Parasram Arora  भूख और प्यास

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर चमक ने छुपा दी दिल की हर ख्वाहिशें, शोहरत की दौलत ने दी सिर्फ आज़माइशें। दौलत की बारिश से दिल प्यासा रहा, सुकून के दरिया का किन

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चमक ने छुपा दी दिल की हर ख्वाहिशें,
शोहरत की दौलत ने दी सिर्फ आज़माइशें।

दौलत की बारिश से दिल प्यासा रहा,
सुकून के दरिया का किनारा रहा।

जो चाहा था दिल, वो हासिल न हुआ,
जो मिला, उसमें सुकून काबिल न हुआ।

सुकून ढूंढा, पर ठिकाना न मिला,
शोहरत के बदले कोई अपना न मिला।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
चमक ने छुपा दी दिल की हर ख्वाहिशें,
शोहरत की दौलत ने दी सिर्फ आज़माइशें।
दौलत की बारिश से दिल प्यासा रहा,
सुकून के दरिया का किन

Parasram Arora

भूख प्यास

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Unsplash भूख और प्यास 
जो न थकती है कभी 
और न बुझती है कभी 
बल्कि प्रति पल  
बढ़ती जाती है
 
 ये भूख प्यास छुप  जाती हैं 
पसीनो क़ी परतो मे कभी 
या फिर कमर मे बंधे गमछे मे जा लटकती है कभी 
लेकिन  ये 
उफ़ नहीं करती  कभी

©Parasram Arora भूख प्यास

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर जो छू न सका हवा को, कोई क़ामिल ख्वाब, वो दिल की वीरानियों में रौनक़ क्या देगा? जो दर्द में डूबा न हो कभी गहरे, वो मेरी हसरतों

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White जो छू न सका हवा को, कोई क़ामिल ख्वाब,
वो दिल की वीरानियों में रौनक़ क्या देगा?

जो दर्द में डूबा न हो कभी गहरे,
वो मेरी हसरतों को राहत क्या देगा?

जो खुद को न पा सका कभी सच्चाई से,
वो किसी और की तलाश को प्यास क्या देगा?

जो रातों को जागकर कभी सच्चाई से नहीं हुआ रूबरू,
वो उजालों में ख्वाब को रोशनी क्या देगा?

जो खुद में रुकावट नहीं मिटा सका, कभी,
वो किसी और की मंज़िलों में दरवाज़ा क्या देगा?

जो खुद को समझ नहीं सका, कभी खुल कर,
वो औरों को ख्वाब क्या देगा?

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
जो छू न सका हवा को, कोई क़ामिल ख्वाब,
वो दिल की वीरानियों में रौनक़ क्या देगा?

जो दर्द में डूबा न हो कभी गहरे,
वो मेरी हसरतों

Ashraf Fani

आँखों में जो एक प्यास थी वो प्यास रह गई दिल में जगी जो आस थी वो आस रह गई अपना सा मुँह लिये हम महफ़िल से आ गये देनी थी जो एक चीज़ वो मेरे पास र

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Shivkumar barman

बारिश और साथ तुम्हारा ये रिमझिम से मौसम ने सुनी हो गई सारे सड़के, ये बारिश और साथ तुम्हारा ही चाहूँगी .. ठंड से जब मुझे लगे कपकपी तो , तुम

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ये रिमझिम से मौसम ने सुनी हो गई सारे सड़के,
ये बारिश और साथ तुम्हारा ही चाहूँगी ..
ठंड से जब मुझे लगे कपकपी तो ,
तुम मुझे अपने बांहों की चादर से ढंकना चाहूँगी...

ये बारिश की बूंदे भी ये प्यासी धरती को भींगा रही,
अपने प्रेम की सदा से उसकी प्यास बुझा रही..
तुम भी अपनी प्रेम से मुझे भी सजाओ न
मैं तुम्हारे उस प्रेम से संवरना चाहूँगी 

*
माना कि कुछ खता हमसे हुई तो कुछ तुमसे हुई है
मै अब सब कुछ भूलना चाहूँगी जो मैने किया 
फिर से मैं तुम संग यु जीना चाहूँगी 
मैं-और तुम फिर से एक नए सपने को बुनना चाहूँगी 

मौसम की ये पहली बारिश और तुम्हारे संग भींगना चाहूँगी 
थाम के तेरा हाथ सदा से भीगी सड़क पे चलना चाहूँगी 
मैं बेफिक्र होकर अब तुझमें ही खोना चाहूँगी 
तुमसे कभी रूठना तो कभी तुझे मनाना चाहूँगी

हमसे जो खुशियों के पल कही खो गए है
उन्हें तुम संग फिर से संयोज कर जीना चाहूँगी

©Shivkumar barman 
बारिश और साथ तुम्हारा

ये रिमझिम से मौसम ने सुनी हो गई सारे सड़के,
ये बारिश और साथ तुम्हारा ही चाहूँगी ..
ठंड से जब मुझे लगे कपकपी तो ,
तुम

Jitender Kumar

#haadse शोर यूँ ही न परिंदों ने मचाया होगा कोई जंगल की तरफ़ शहर से आया होगा पेड़ के काटने वालों को ये मालूम तो था जिस्म जल जाएँगे जब सर प

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