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Ranjit Kumar
K R SHAYER
Alpha_Infinity
जीवन में मैंने इंसानियत को जरूरी समझा। पैसे तो आने जाने थे, माना है सबने। पर किसी ने दोस्त बनके मुझे औकात दिखा दी। नहीं समझ पाया मैं, उनके दिल की बातें। वो तो आई थी किसी और की बन की। शाम सवेरे उसकी तारीफ में लिखती हैं कई नगमे। हां मुझे नहीं आती हिंदी, नही लिख पाता संस्कृत। मैंने खुद से कभी किसी को छोटा बड़ा नहीं कहा। क्योंकि मेरी मां कहती है, खुश रहना तो देखो अपने नीचे। अभी जब मैं लिख रहा, निकला होगा कोई 200 कमाने। कोई अपना जिस्म बेच रहा होगा। किसी मां के चूल्हे में आग नहीं जली होगी। क्या होगा ये पैसा? जब वो उन गरीबों के काम का नहीं। बहुत दुखी हूं मैं, किसी ने ठगा है मुझे अपना कह के। ©0 बहुत दुखी हूं मैं आज। किसी ने दोस्त बनके मुझे बार बार छोटा दिखाया है। 🥹🥹🥹🥹 #retro #नोजोटो #Nojoto #Dard #no_friend #0 yoursecret vineetapa
सत्यमेव जयते
जीवन में कबि यह मत सोचो की.. मेरे से बुरा आदमी मेरे से ज़्यादा सुखी क्यों है। पर यह जरूर सोचना की.. मेरे से अच्छा आदमी मुझसे ज़्यादा दुखी क्यों है। ©Kumar Vinod #ज़्यादा दुखी क्यों है।
Vishal Rajbhar ji
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
प्रदीप छन्द दर-दर भटक रहा है प्राणी , जिस रघुवर की चाह में । वो तो तेरे मन में बैठे , खोज रहा क्या राह में ।। घर में बैठे मातु-पिता ही , सुन रघुवर के रूप हैं । शरण चला जा उनके प्यारे , वह भी तेरे भूप हैं ।। मन को अपने आज सँभालो , उलझ गया है बाट में । सारे तीरथ मन के होते , जो है गंगा घाट में ।। तन के वस्त्र नहीं मिलते तो, लिपटा रह तू टाट में । आ जायेगी नींद तुझे भी , सुन ले टूटी खाट में ।। जितनी मन्नत माँग रहे हो , जाकर तुम दरगाह में । उतनी सेवा दीन दुखी की , जाकर कर दो राह में ।। सुनो दौड़ आयेंगी खुशियाँ , बस इतनी परवाह में । मत ले उनकी आज परीक्षा , वो हैं कितनी थाह में ।। जीवन में खुशियों का मेला , आता मन को मार के । दूजा कर्म हमेशा देता , सुन खुशियां उपहार के ।। जीवन की भागा दौड़ी में , बैठो मत तुम हार के । यही सीढ़ियां ऊपर जाएं , देखो नित संसार के ।। २८/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR प्रदीप छन्द दर-दर भटक रहा है प्राणी , जिस रघुवर की चाह में । वो तो तेरे मन में बैठे , खोज रहा क्या राह में ।। घर में बैठे मातु-पिता ही , सु
ਸੀਰਿਯਸ jatt
Poet Kuldeep Singh Ruhela
जो जिंदगी से चले जाते है वे लोट के कहा आते है रह जाती हैं उनकी सिर्फ यादें जो हर पल हम उनकी गजलों में गुननाते रहेंगे सच में बहुत याद आओगे फिर वो चिट्ठी कहा से लाओगे जो तुम वतन को के नाम भेजते थे बड़े दिनों के बाद सो जतन के बाद बहुत दुखी मन से मेरे प्यारे गजलों के बादशाह आपको मेरी और से श्रद्धा की पुष्पांजलि अर्पित मेरे पंकज उदास जी को ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #Preying जो जिंदगी से चले जाते है वे लोट के कहा आते है रह जाती हैं उनकी सिर्फ यादें जो हर पल हम उनकी गजलों में गुननाते रहेंगे सच में बहुत
Rameshkumar Mehra Mehra
बताओ जरा..... ©Rameshkumar Mehra Mehra # सिंगल भी दुखी है, रिलेशनशिप बाले भी दुखी है, शादी शुदा बाले भी दुखी है...