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Razzj D
सबने साथ छोङा , हाथ छोङा, वक़्त पर हिम्मत तोङा , यार यहाँ कोई ना हैं किसी का सगा... ©Razzj D #saath सगा
Vishala Patley
यहां कोई ऐसा सगा नहीं जिसने मुझे ठगा नहीं ।। #सगा #ShiningInDark
Rivanshi Agrahari
मेरी धोती का एक छोर, लिपटा हुआ रहता है। कभी सिरताज बनकर, तो कभी मेरी लाज बनकर। बड़ी किस्मत वाली है मेरी धोती.... जिसे सौभाग्य प्राप्त है मुझे ढकने का, मुझे सजाने का। मैं तरह तरह से सजती हूं, संवरती हूं उसकी कारीगरी से। मैं खिलखिला कर हंसती हूं, घूंघट में मुखड़ा छुपा कर के। ये घूंघट की आड़, और .... हर औरत का सोलह श्रृंगार, सजाए रखती है, अपना घर परिवार।। बहुत गहरा नाता है, मेरा मेरी धोती से, कभी मां का आंचल, तो कभी पिता का साया बन जाती है। मेरी धोती, हर फर्ज बखूबी निभाती है। कभी मुस्कान बनकर, तो कभी सम्मान बनकर, मेरे संग रह जाती है, ये धोती है साहब... बहुत से दर्द, बहुत शिकायते छिपा जाती है। ©Rivanshi Agrahari धोती #Women_Special
Vijay Kumar उपनाम-"साखी"
दुनिया मे कोई नही यहां अपना सगा है सबके सब लोग ही देते यहां पर दगा है सब रिश्तों ने बस मुझको ही ठगा है हाथ मिलानेवाले ने ही पकड़ा गला है अब तो अक्षु आना भी बंद हो गये, लोगों ने जो अपना कहकर छला है दुनिया मे कोई नही यहां अपना सगा है सबके सब लोग ही देते यहां पर दगा है काजल की तरह यहां रिश्ते काले है, अपने ही लोग लबों पे लगाते ताले है कृष्ण रंग से ज्यादा तो यहां दिल काले है सबने दिये यहाँ तानों से जख़्म निराले है काम होता तो गधे को सर बैठा लेते है, ऐसे लोगो से आजकल पड़ रहे पाले है दुनिया मे कोई नही यहां अपना सगा है सबके सब लोग ही यहां पर देते दगा है लोगो को मूर्ख बनाना आजकल कला है जख्मों पे नमक लगाना आजकल अदा है सच्चे लोगों का बजा रहे लोग तबला है और अपने को समझ रहे वो महामना है दुनिया मे स्वार्थ ही स्वार्थ बहुत चला है निश्छलता को लोग समझते एक बला है दुनिया मे कोई नही यहां अपना सगा है सबके सब लोग ही देते यहां पर दगा है पर पानी होता जग में वो ही निर्मला है जिसका हृदय होता साफ-सुथरा तला है दुनिया मे चाहे कोई नही अपना सगा है पर खुद का हौंसला ही होता बहुत बढ़ा है जिसने रखा साखी खुद पर भरोसा, उसका तो खुदा ने भी किया भला है दिल से विजय कोई नही सगा
malkeet singh jeet
#पूरी_धोती उसके मन के सारे दुःख ढकने को शायद छोटी है उसके तन पे देखी मैंने फिर इक पूरी धोती है आखों के सब आंसू पी उसने हसना सीखा होगा तुम क्या जानो दिल ही दिल में दिन भर कितना रोती है उसके तन पे देखी मैंने ................. उसकी आँखों के दो आंसू मुझको सूरज लगते है भूंखे बच्चों की खातिर ,जो सर पर ईंटे ढोती है उसके तन पे देखी मैंने ................. कैसे रोकूँ आंसू अपने मुझको ये बतलाओ "जीत" जिस पर हस्ते थे हम सारे अपनी ही वो बेटी है उसके तन पे देखी मैंने ................. उस की इस लाचारी की क्या कीमत मांगी दुनिया ने तन को ढकने की खातिर वो तन को बेंच के लौटी है उसके तन पे देखी मैंने फिर इक पूरी धोती है उसके तन पे देखी मैंने फिर इक पूरी धोती है ©Malkeet jeet पूरी धोती