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Baljit Singh
Love and Loss कभी कभार जिंदगी में इक ऐसा मेहमान आता हैं यूं कहें कि जन्नत की शक्ल मे इक तूफान आता हैं इश्क़ की दुनिया का बस यह भी इक दस्तूर ही कहों साहिब कि गर गलती से किसी को जान कह दो तो बस वो जान लेकर ही जाता हैं कभी कभार जिंदगी में
Vickram
जरूरी है लिखने के लिए मन में कुछ होना जब खाली हो मन तो सबसे बेहतर दिन था ना सवाल थे दिल में ना शिकवे गिले कोई शायद यही जिंदगी का सबसे हसीन दिन था सोच भी एक तकलीफ है महसूस हुआ हमे लगता है तकलीफ ही लिखते आए हमेशा जब ख्याल नहीं थे तो आजादी सी मिली लगता है राहत आज बड़ी फुर्सत से मिली ©Vickram #Shadow फुर्सत तो कभी कभार मिली
Rameshkumar Mehra Mehra
कभी कभार हम गलत नहीं होते...! पर हमारे वो शब्द नहीं होते..!! जो कि हम साबित कर सकें....... ©Rameshkumar Mehra Mehra # कभी कभार हम गलत नहीं होते....
Anjali Jain
कभी -कभार यूं ही कुछ अच्छा सा हम कर देते हैं और धीरे -धीरे वह कुछ अच्छा करना विस्तार लेने लगता है। हम भी कुछ अच्छे बन जाते हैं और हमारे हाथों भी बहुत कुछ अच्छा होने लगता है। ऐसे ही कभी -कभार यूं ही कुछ बुरा हम कर देते हैं क्रोध में, ईर्ष्या में, जलन में, अहंकार में.... और धीरे धीरे वह बुरा करना भी विस्तार लेने लगता है। हम भी बुरे बनने लगते हैं और हमारे हाथों बहुत कुछ बुरा होने लगता है। ...... इसलिए बहुत आवश्यक है कि हम हमारे छोटे- छोटे विचार, सोच ,भाव और कृत्य पर नज़र रखें और अपने आपको बुरा बनने से बचाएं। अपने मन व आत्मा को मलिन होने से बचाएं। धीरे- धीरे यही सब हमें बुराइयों की ओर ले जाता है और हम पतन की गहरी खाई में गिर जाते हैं जिससे बाहर निकलना नामुमकिन नहीं तो बहुत मुश्किल अवश्य हो जाता है। © Anjali Jain कभी -कभार ... यूं ही १७-११-२१ #Flower
Vickram
काफी गहरा होता है नाता किसी चीज से,, जिद्द भी करता है दिल किसी चीज के लिए कुछ तो था उसमें जो मन ही नहीं भरा रुलाया भी काफी उसने जो हमेशा अच्छा लगा,, ©Vickram आज भी कभी कभार दिल जिद्द करता है
Vickram
वक्त कम था फैसले लेने थे काफी,,,, सोचने के लिए एक ही रात थी बांकी,, ओझल थी नीद कल के बारे में सोच के,, आज वक्त भी कीमती हो गया था काफी,, ©Vickram वक्त की एहमियत कभी कभार मालूम पड़ती है,,,
Rameshkumar Mehra Mehra
कभी- कभी रूठ जाती है...! बो मुझसे बच्चो की तरह...!! और मुझे बच्चो पे बहुत प्यार आता है....💖 ©Rameshkumar Mehra Mehra # कभी-कभार रूठ जाती है, बो मुझसे बच्चो की तरह....
Anjali Jain
कभी कभी, हम हमारे सामने उड़ती या बैठी हुई चिड़िया को दो टुकड़े रोटी के या कुछ दाने चावल के डाल देते हैं वह खाती है और हमें अच्छा महसूस होता है। हम अनायास ही ऐसा रोज करने लगते हैं और देखते ही देखते चिड़िया,कबूतर, तोते, गिलहरी और कौए सभी हमारे मेहमान बनने लगते हैं। ये कुछ दाने अनाज के डालना हमारे लिए आनंददाई बन जाता है हमारी देने की भावना, पक्षियों के प्रति प्यार की भावना का विस्तार होने लगता है और यही भावना और छोटा सा दिखने वाला कार्य बाद में किसी भी पैमाने तक पहुंच सकता है!! © Anjali Jain कभी कभार... यूं ही भाग ०२ १७-११-२१ #Flower