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Lakhan Rajput BJP
जय श्री राधे कृष्ण ©Lakhan Rajput BJP नए वर्ष की आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं
नए वर्ष की आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं
read mores गोल्डी
जोड़ा बहुत था मैंने खुद को.. फ़िर भी उसकी महोब्बत में टूटता चला गया । ©s गोल्डी जोड़ा बहुत था मैंने खुद को.. फ़िर भी उसकी महोब्बत में टूटती चली गयी। sad shayari
जोड़ा बहुत था मैंने खुद को.. फ़िर भी उसकी महोब्बत में टूटती चली गयी। sad shayari
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
लम्हा-लम्हा जीने की कोशिश की मैंने, टूटे ख्वाबों को सजाने की कोशिश की मैंने। जो खो गया था ज़र्रे-ज़र्रे में कहीं, उसे फिर से पाने की कोशिश की मैंने। बिखरे तिनकों को संभालकर जोड़ा, हर हंसी को लौटाने की कोशिश की मैंने। पल-पल में छुपी हर खुशी को महसूस कर, मुस्कुराहटें जगाने की कोशिश की मैंने। ©theABHAYSINGH_BIPIN #Mountains लम्हा-लम्हा जीने की कोशिश की मैंने, टूटे ख्वाबों को सजाने की कोशिश की मैंने। जो खो गया था ज़र्रे-ज़र्रे में कहीं, उसे फिर से पान
#Mountains लम्हा-लम्हा जीने की कोशिश की मैंने, टूटे ख्वाबों को सजाने की कोशिश की मैंने। जो खो गया था ज़र्रे-ज़र्रे में कहीं, उसे फिर से पान
read moreParasram Arora
Unsplash अहंकार के उपवन मे सिवाय बिहड़ के कुछ भी नहीं मिलेगा लेकिन निरअहंकारिता के मंदिर से गुज़रे तों वहा बहूत कुछ मिलेगा ©Parasram Arora बहुत कुछ मिलेगा
बहुत कुछ मिलेगा
read moreParasram Arora
Unsplash जो पुराना है जो मर रह है वो मर गया है लेकिन जो नया है उस जीवन मे अभी बहुत कुछ है जो अतित मे गुजरा और जो भविष्य मे होगा उसमे कुछ भी नहीं. हैँ लेकिन जो अभी वर्तमान मे है उसके हर क्षण . े मे नहुत कुछ है ©Parasram Arora बहुत कुछ हैँ
बहुत कुछ हैँ
read moreLili Dey
माना कि तेरे रास्ते और मेरे रास्ते अलग था, मगर एक रोज मुलाक़ात तो हुआ था, दोस्ती भी हुई थी और इश्क भी हुआ था, मेरे इज़हार तुझे नापसंद था और तेरे इनकार मुझे चुभता था, फिर भी हमारे बीच कुछ तो था, मगर यह बता ही नहीं जो था वह क्या था ? ©Lili Dey क्या था
क्या था
read moreF M POETRY
White फिर से दुबारा पाएंगे तुझको ये ख्वाब है.. मिलना था खुश्नसीबी बिछड़ना अज़ाब है.. यूसुफ़ आर खान ल... ©F M POETRY #मिलना था.....
#मिलना था.....
read moreनवनीत ठाकुर
मैंने हाथ फैलाए, पास मेरे कुछ न था, तूने झोलियां दीं, भर-भर कर आशीर्वाद था। गुनाह मेरा कोई, तुझसे छुपा न था, इंशाल्लाह, तूने जो किया, मैं उसका तलबगार न था। ©नवनीत ठाकुर मैंने हाथ फैलाए, पास मेरे कुछ न था, तूने झोलियां दीं, भर-भर कर आशीर्वाद था। गुनाह मेरा कोई, तुझसे छुपा न था, इंशाल्लाह, तूने जो किया, मैं उस
मैंने हाथ फैलाए, पास मेरे कुछ न था, तूने झोलियां दीं, भर-भर कर आशीर्वाद था। गुनाह मेरा कोई, तुझसे छुपा न था, इंशाल्लाह, तूने जो किया, मैं उस
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