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Ravi Srivastava
तुम 'कृति' हो गुरु, मैं 'अनुकृति' हूँ ! तुम चित्र मैं जिससे,चित्रित हूँ !! मैं नहीं जानता रवि हूँ मैं फिर कैसे कह दूँ कवि हूँ मैं ? परछाईं मैं,गुरू-अनुसेवक, अपने ही गुरू की,छवि हूँ मैं !! 🙏🙏 श्रद्धेय गुरुवर को सादर नमन (शुभ वसंतागमन ) ©Ravi Srivastava #Exploration
Nirbhay Mishra AAP
लिबास से मत तय करो तुम मेरी हैसियत, कफ़न ओढ़ लेंगे तो कंधे पर उठाए फिरोगे..!! Nirbhay . ©Nirbhay Mishra AAP #Exploration
लेखक ओझा
यह आवाज़ आम नहीं है बदलते बिहार की रवानी है… छात्रों में जिंदा है क्रांति की मशाल उठती लौ इस बात की निशानी है….. ©लेखक ओझा #Exploration
Ajay _bachan
Jo tumhara Hai Tum usi mein khush raho log behtar ki talash mein Aksar tanha rah jaate Hain . ©Ajay _bachan #Exploration
Anil gupta
"इस गहरी रात के सन्नाटे में, तारों ने बुना है ख्वाब आसमान के। हर चमकती रोशनी एक पैगाम है, जो इंसान को उसकी पहचान है। खड़े हैं जहां, वहीं से सफर शुरू होता है, हर राह का मोड़ नया सबक सिखाता है। आकाश का विस्तार हमें ये जताता है, हदें तो बस मन की परछाई है।" ©Anil gupta(Storyteller) #Exploration
Parveen kaushik 'Jaani'
ज़िंदगी दरस्त-ए-ग़म थी और कुछ नहीं... ये मेरा ही हौसला हैं कि दरम्यां से गुजर गया !! . ©Parveen kaushik 'Jaani' #Exploration
Zoraiz Iqbal
Is there another life ? Shall I awake and find all this a dream ? There must be, we can not be created for this sort of suffering. ©Zoraiz Iqbal #Exploration
KRISHNA
*ना हमसफ़र, ना हमनशी, ना कोई हमसाया है* *'ज़िन्दगी' ये किस मुकाम पर हमें पहुँचाया है!* ©KRISHNA #Exploration
Vedika
एक छोटी सी प्रेम कहानी रवि और मीरा एक ही कॉलेज में पढ़ते थे। रवि एक शांत स्वभाव का लड़का था, जबकि मीरा चंचल और हंसमुख। उनकी पहली मुलाकात लाइब्रेरी में हुई, जहां रवि अपनी किताब ढूंढ रहा था और मीरा ने शरारत में उसकी किताब छुपा दी। रवि ने गुस्से में पूछा, "तुम्हें क्या मज़ा आता है, दूसरों को परेशान करने में?" मीरा ने मुस्कुराते हुए कहा, "मज़ा नहीं, दोस्ती करना चाहती हूं।" धीरे-धीरे दोनों के बीच दोस्ती गहरी हो गई। साथ पढ़ाई करना, कैंटीन में चाय पीना, और घंटों बातें करना उनकी दिनचर्या बन गई। एक दिन, बारिश हो रही थी। मीरा कॉलेज गेट के पास खड़ी थी, जब रवि ने उसके लिए छाता लेकर आया। मीरा ने हंसते हुए पूछा, "इतनी परवाह क्यों करते हो?" रवि ने नज़रें झुकाकर कहा, "शायद तुम्हें समझाने में देर कर दी, लेकिन तुम मेरे लिए खास हो।" मीरा ने धीरे से उसका हाथ पकड़ लिया और कहा, "देर नहीं हुई, बस मुझे इंतज़ार था तुम्हारे कहने का।" बारिश की बूंदों के बीच, उनके दिलों ने एक-दूसरे को समझ लिया। अब वो दोस्त नहीं, प्यार की एक खूबसूरत कहानी के पात्र बन चुके थे। ©Vedika #Exploration