Find the Latest Status about गोटी from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, गोटी.
Aman Godara
बेटो एक तो ही लुडा आळो कोझो कळेश हुरयो है आं टिंगरा मं कठ ही देख ल्यो दो कठ ही च्यार कठ ही फोन ग चिपेड़ा ही रह सी दो गोटी चाल र छक्को आग्य
N Kumar jadav
नचनिया के नाच नचावेला समइया भइया मुअते जियावेला जियते मुवावेला गिरल उठावेला उठल गिरवेला अजब गजब खेला इ देखावेला नचनिया के नाच
Rooh_Lost_Soul
ढूंढने से भी नही मिलते अब वो बचपन का शोर, वो पोशम्पा की दौड़, और वो छुपन छुपाई की चुप्पी में पीछे वाली थप्पी ।। (क्रमशः ...) Please read Caption ढूंढने से भी नही मिलते अब वो बचपन का शोर, वो पोशम्पा की दौड़, और वो छुपन छुपाई की चुप्पी में पीछे वाली थप्पी ।। वो लंगड़ी खेल में दिन को भूल
CalmKazi
कल अखबार रख छोड़े थे, मेरी चौखट पर; कुछ फिर वापस बटोर लाया । सोचा यही बचा है, समेटने सहेजने को, याद तो रखना छोड़ ही दिया है ।। अगले दिन कुछ और गायब हुए, चाय पीते वक़्त मैंने नोटिस किया । लगता है कहीं कोई और भी इन्ही पुराने पृष्ठों में ढूंढ रहा था वक़्त के खोये पलों को ।। (क्रमशः) //उड़ान// कल अखबार रख छोड़े थे, मेरी चौखट पर; कुछ फिर वापस बटोर लाया । सोचा यही बचा है, समेटने सहेजने को, याद तो रखना छोड़ ही दिया है ।।
Dr Jayanti Pandey
राजनीति की चालें ऐसी हैं,तुमसे तुमको ही बंटवाती हैं सेक्युलर सेक्युलर की टेर में,कम्यूनल से दस्तूर निभाती हैं (पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें) कैसी-२ तथाकथित सेकुलर नेताओं की बोली है काली रात के इंतजार में टूटे तारों की गठरी खोली है सियारों की यह टोली हर कोने घात लगाए बैठी है राजनी
राघव_रमण (R.J)..
खुशियों की सौगात हैं बेटियाँ, हरकदम माँ बाप की ढाल है ये बेटियाँ किसने कहा कि बोझ है कदमताल है बेटियाँ।। 🥰 बेटियाँ 🥰 बिन बेटी के दुनिया सुनी सुना है परिवार बिटियां रानी के आने से सकल सफल संसार।। दिव्यजन्मा मातृस्वरूपा भगीनी जाया सुता सखी आद्य पू
रजनीश "स्वच्छंद"
मैं हार लिखता हूँ।। तुम प्यार लिखते हो और मैं हार लिखता हूँ। मज़ा किसमे रहा कितना बारंबार लिखता हूँ। कोई रोटी से हारा है, कोई गोटी से हारा है। भूखों मर रहा कोई, द्रौपदी हर रहा कोई। कहाँ कब धर्म बैठा था, दूषित ये कर्म बैठा था। कहाँ किसका रहा वंदन, तिलक माथे लगा चन्दन। लिखूं किसकी मैं बातों को, झुलसते दिन और रातों को। कहाँ कब आह निकली थी, मानवता जब ये फिसली थी। कोई था विद्व कोई ज्ञानी, भरा आंखों में बस पानी। हर उस आंख का मैं तो सरोकार लिखता हूँ। तुम प्यार लिखते हो और मैं हार लिखता हूँ। पूजा मैं करूँ किसकी, करूँ किसपे पुष्प अर्पण। मुंडाए सिर अपना मैं, करूँ बस सत्य का तर्पण। कभी जो ईश था मेरा, वही मुझसे रूठा है, क्यूँ उसने भी नहीं देखी, भरोसा मेरा टूटा है। भूखों वो जो मरता था, था भगवन तब कहाँ सोया। क्यूँ आगे वो नहीं आया, क्यूँ अपना हाथ था धोया। भगवन-दशा को आज मैं स्वीकार लिखता हूँ। तुम प्यार लिखते हो और मैं हार लिखता हूँ। रोटी या मुहब्बत हो, एक भूख हैं दोनों। दोनों की कमी खलती, सच दो टूक हैं दोनों। रोटी बिन कहाँ जीवन, चला किसका कहो कब है। भरा हो पेट रोटी से, उसका ही तो ये रब है। मुहब्बत एक झांसा है, कहानी भूख की सच्ची। जो आंखें आर्द्र ना होतीं, ज़ुबाँ ये मूक ही अच्छी। प्रेम और भूख की मैं तो टकरार लिखता हूँ। तुम प्यार लिखते हो और मैं हार लिखता हूँ। चलो कुछ तर्क भी कर लें, कुछ बातें कहता हूँ। मुहब्बत तो सही फिर भी, भूख लिखने से डरता हूँ। जननी है सफलता की, जिसे हम हार कहते हैं। सफल हो कर किया तुमने, उसे ही प्यार कहते हैं। जरा तुम हार कर देखो, मज़ा फिर जीत का कितना। जीत के बाद जो हो प्रीत, मज़ा फिर प्रीत का कितना। होकर आज नत मैं ये तर्क-सार लिखता हूँ। तुम प्यार लिखते हो और मैं हार लिखता हूँ। ©रजनीश "स्वछंद" मैं हार लिखता हूँ।। तुम प्यार लिखते हो और मैं हार लिखता हूँ। मज़ा किसमे रहा कितना बारंबार लिखता हूँ। कोई रोटी से हारा है, कोई गोटी से हारा