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Ravindra Yewale
White तुझे ,लीखते लिखते , खो गया हू ,मै ,, जाने किस झोन,, मे , चला गया हू मै ,,, तू याद , नही ,, तू पास नही ,, ख्वाबो मे सहि ,,, कीस्मत यही ,,तू मिलति नहि ,, जैसे ,, कोई हवा हो,, नई ©Ravindra Yewale #Sad_shayri रब्बी
#Sad_shayri रब्बी #कविता
read morePrince uday Shukla
White मन के किवाड़ खोल दिल में उमंग भर धरती के श्रृंगार के पावन सिंदूर का छतरी को खोल आनंद लो इन बूंदों का स्वागत करो इन प्यारी प्यारी बूंदों का..... जलती धरा में गिरे धार बन के बह चली पेड़ो के पत्तियों को उजल धवल करती है जड़ों में गिरे पेड़ो के प्राण फलो में मिठास मानव और जीव को ह्रदय प्रिय लगती है काहे बंद छतरी में घूमते हो आप सब छतरी को खोल आनंद लो इन बूंदों का स्वागत करो इन प्यारी प्यारी बूंदों का..... बड़ी दूर से हैं आई अपनो को छोड़ आई तेरे पाप धोने को धरा पर आई है करो श्रृंगार अपनी घरणी और मात का लगाओ पेड़ और सजाओ इस धरा को जीवन का आधार है जो धरा पेड़ बाग वन जल बिन नही कल मानो इस बात को व्यर्थ न बहाओ जल सहेजो हर बूंदों का छतरी को खोल आनंद लो इन बूंदों का स्वागत करो इन प्यारी प्यारी बूंदों का..... ©Prince uday Shukla #cg_forest #वर्षा #जल #पेड़
#cg_forest #वर्षा #जल #पेड़ #कविता
read moreRavindra Yewale
White जो ,सोचा मैने , जिंदगी से,,, वही मैंने पाया ,,,, हातो कि ,लकिरो ने,,, दौळा दौळा के, रूलाया ,,,, कभि, बाजिगर तो ,,, कभि लुजर है, बनाया ,,, वक्त के , खेल ने मुझे ,,मोह माया मे, फसाया ,,, जिंदगी से लढना ,,मां बाप , ने सिखाया ,,,, हर वक्त , बदल ते ,, जंजाल ने ,,, वक्त को दर्शाया ,,,, ढलते सूरज कि,, कहानि ने ,, उगते सूरज को बताया ,, कोयले की खान ने हिरे को , दर्शाया,, हिरे ने जोहरी का पता है ,, बताया ,,,, वक्त ने, हीरे को ,, कोहिनू र है बनाया ,,,, जो, सोचा मैने , जिंदगी से, वही मैंने पाया ,,, किस्मत के पन्ने ने ,, हमे आजमा कर है ,, देखा ,,, वक्त कि साजिशोने , बाशाहत का ,, ताज है दिला या,,, ©Ravindra Yewale #cg_forest रब्बी
#cg_forest रब्बी #कविता
read moreRavindra Yewale
White बैठा आसमाके , निचे , तेरि यादो को , टटोल ता तू शायर की तरहा , मुजसे बाते , करति कभि खपा,,,,, कभि मूजसे बाते ,, करती,,, तलाश तेरि,, हर वक्त रखती है जिन्दा ,,,, तू यु है , मेरि कहानि मे ,, ,, जैसे चांद रोशनी जमि से है ,, मिलती,,, तेरि यादे क्यु,, सजोना चाहु तू नसिब मे ना होकर ,, तूझे पाना चाहू ,,,, आसमा के तारो मे,, देखा है तूम्हे इनं आखो ने ,, ,, ©Ravindra Yewale #goodnightimages रब्बी
#goodnightimages रब्बी #कविता
read moreRavindra Yewale
White मै लीखता हू ,तूजको,, मैं लिखता हू सच्स को बयाना हो पाये ,, फिरभि , लिखता हू तुजको,, यादे तेरि पास है ,, तू ना दिखे साथ में ,, तूही तू छाई है ,, ख्वाबो खयालो मे एक साथ तेरा चाहा ,, ना मिला तेरा वादा ©Ravindra Yewale #goodnightimages रब्बी
#goodnightimages रब्बी #कविता
read moreRavindra Yewale
White खूद कि राहे खुद बनाता,, जानना सफर मुझे ,, ख्वाबोमे ,ऊड रहाता ,, आसमामे ,, जाना है जमी पे ,,, ©Ravindra Yewale #goodnightimages रब्बी
#goodnightimages रब्बी #शायरी
read moreRavindra Yewale
White तूम सात थे मेरे ,, जैसे कोई वासता,, तु पास थे मेरे ,, जैसे कोई राज था ,,, ये ,नजरे थि , या कोइ ,, हवा का झोका था रैह गई है , सासे ,, वक्त भी ना ठैरा,, तूम पास थे मेरे ,,, जैसे कोइ रासता,, ©Ravindra Yewale #goodnightimages रब्बी
#goodnightimages रब्बी #शायरी
read moreShaiL Yadav
*विचारणीय* नदी से पानी नहीं, रेत चाहिए. पहाड़ से ओषधि नहीं, पत्थर चाहिए. वृक्ष से छाया नहीं, लकड़ी चाहिए. खेत से अन्न नहीं, नक़द फ़सल चाहिए. रेत से पक्की सड़क, मकान बनाकर, नक्काशीदार दरवाजे सजाकर, अब भटक रहे हैं। उलीच ली रेत, खोद लिए पत्थर, काट दिए वृक्ष, तहस-नहस कर दी मेड़ें; अब भटक रही सभ्यता !!! सूखे कुओं में झाँकते, खाली नदियाँ ताकते, झाड़ियां खोजते लू के थपेड़ों में, बिना छाया ही हो जाती सुबह से शामें....!!! बूँद-बूँद बिक रही जल की। साँस लेने हवा भी बिकेगी, कल्पना करें उस कल की! ©शैलेन्द्र यादव #जल#पानी#पेड़#प्रकृति
कलम की दुनिया
मैं जल हूँ तुम्हारा कल हूँ मेरे प्रत्येक बुंद से तुम्हारा आस मेरे कण कण में तुम्हारा श्वास मै देव नहीं लेकिन कण कण में व्याप्त हूँ मैं जल हूँ तुम्हारा कल हूँ मेरे होने से तुम्हारा कल था आज है कल होगा मैं तुम्हारा अस्तित्व हूँ मैं जल हूँ तुम्हारा कल हूँ मैं शुद्ध मुझे अशुद्ध तुमने किया मैं अमर मुझे मर(खत्म होने के कगार पर) तुमने किया मैं कण कण में जन जन के लिए मुझे कुछ जन के लिए बोतलों में व्याप्त तुमने किया मैं प्रत्येक जीव का श्वास हूँ मैं जल हूँ तुम्हारा कल हूँ मैं जल हूँ तुम्हारा कल हूँ तुम्हारे कल के लिए तुमसे कह रहा हूँ मुझे बर्बाद करोगे खुद को नष्ट करोगे एक के जगह हजार बुंद प्रयोग करोगे कल एक बुंद को तरसोगे मेरी संरक्षण करोगे खुद को जीवनदान दोगे मैं तुम्हारे कल के लिए तुमसे ये सब कह रहा हूँ मैं तुम्हारा कल हूँ मैं जल हूँ मैं तुम्हारा कल हूँ ©कलम की दुनिया #जल