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Madanmohan Thakur (मैत्रेय)
छलकाए तू जाम जवानी का,पीने की बेताबी है,तू जीने की चाबी है! वो मदिरालय की देवी,मेरी प्याला भर,होंठों से भरके जाम पिला दे!! इधर-उधर जो छलके बोतल,पिया बैरन तू ऐसे जो जाम गिराती है! वो सुन सूघर सलौनी,मेरामन प्यासा है,होंठोंसे भरके जाम पिला दे!! तू शाकी है जो मधु कलश की,यही हुआ है छलक परी है मधुशाला! तू सोहना शाकी रहे अरमान ना बाकी,होंठों से भरके जाम पिला दे!! अभी बहुत दूर-दूर मदिरालय,है पीने की बेताबी,हूं मैं मसहूर शराबी! तू जानेगी कैसे लगी मुझे जो लत है,तू होंठों से भरके जाम पिला दे!! तू छलकाए जाम की बोतल,थोरा पिला जी भरके,मैं आया जो तरके! इक तो सर्द सा आलम मैं तेराहूं बालम,होंठों से भरके जाम पिला दे!! अभी जाम जो छलका,लगता है दारू रम है,मेरे होंठोंकी परतें नम है! तू तो जाम पिला ऐसा तलब करु मैं,तू होंठों से भरके जाम पिला दे!! अभी रात है बाकी,थोरा-थोरा पी लूं मैं,तेरे हुश्न में जी भरके जी लूं मैं! तेरा छलकता योवन मनको यूं बहकाए,होंठोंसे भरके जाम पिला दे!! छलकाए तू जाम जवानी का Romeo Akthar Walter (Ronnie) @aakashkumar PJ Music Gulshan_Dwivedi Labhali shandilya
sachu bihaniya
दोस्त ना सही दुश्मन ही बना लो निगाहों से ना सही जाम से ही पिला दो और नशा तुम्हारी निगाहों से ज्यादा जाम में ही होगा एक घूंट जाम का तुम पीकर बाकी हमें पिला दो जाम
HARSH VARDHAN
वक्त कहा गुजर रहा हैं..।। हम यूहीं काट रहे हैं..।। हर रात जाम के संग अपने दर्द बाट रहें..।। हर्ष वर्धन 💐 जाम....
Guruji
ये ही एक फर्क है तेरे और मेरे शहर की बारिश में! तेरे यहाँ ‘जाम’ लगता है, मेरे यहाँ ‘जाम’ लगते हैं..!! Dil_da_nai_mada143 जाम
nikhil
Alone रेत सी हैं न तू भी ज़िन्दगी जब तक गीली हैं थमी हैं, जहाँ सूखने लगी तो फिसलने लगी थामे हाथो से तू रेत बनजा और मैं बन पानी तुझे थाम लू तू ख्वाब हैं मेरी बंद आँखों का और मैं नींद बन तुझे थाम लू। तू सुकुन बन जा मेरी चाहत का और मैं तुझे बना जाम चख लू । feel by heart~neer~breath of love जाम
संजीव निगम अनाम
बहक जाए इरादा कर,संवर हर शाम आता है, लिऐ मस्ती निगाहों भर,लबालब जाम आता है। बशिंदे है जो लखनऊ के,दशहरी स्वाद पहचाने, तपी धरती दुपहरी जब,घरों में आम आता है। चुरा कर दिल संकू मेरा,दरोगा खुद हुआ जाता, किये जो एक मैसज हम,लिए इल्जाम आता है। सफर कितना सुहाना हो,खत्म हो लाजमी ये भी, परिंदा शाख जा बैठे,तभी आराम आता है। तेरी बातें तेरे मैसेज,तेरी तस्वीर ही देखे, यहीं फन है हमे हासिल,यही बस काम आता है। अमिट कर्मो का लेखा है,मिटाए जो नहीं मिटता, किए कर्मो का आखिर पल,पलट अंजाम आता है। उदासी का सबब क्या है,कभी "अनाम" तुम पूछो, मुसलसल हश्र ख़्वाबों का,हुआ नाकाम आता है। - संजीव निगम "अनाम" #जाम