Find the Latest Status about प्लास्टिक प्रदूषण from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, प्लास्टिक प्रदूषण.
Dr Ashish Vats
Sunil Kumar Maurya Bekhud
कहते हैं लोग आधुनिक हम आज हो गए होते हैं ख्वाब पूरे जो हम संजो रहे ख्वाबों में ऐसे डूबे हकीकत से दूर है हर कोई खता करके कहे बेकुशुर हैं रब का न खौफ कोई आजाद हो गए लंबी उमर थी अपनी पीकर कुंए का पानी आया है जब से आरो दुनिया हुई दीवानी दूषित जमीन का जल बीमार हो रहे आएगा एक दिन जब होगी हवा विषैली निकलेंगे साथ लेकर ताजी हवा की थैली काटेंगे हम फसल कल जो आज बो रहे सुनील कुमार मौर्य बेखुद ©Sunil Kumar Maurya Bekhud प्रदूषण और हम
Mamta kumari
ये शहर का प्रदूषण भी न शहर को ओर भी प्रदूषित किए जा रहे है हवाओ में ज़हर फैला रहे हैं किसी को इनकी कुछ पड़ी नहीं है, प्रदूषण को ओर बढ़ावा देते जा रहे हैं। ©Mamta kumari #City प्रदूषण को बढ़ावा।
Neelam Modanwal
एक स्त्री घर से निकलते हुए भी नहीं निकलती वह जब भी घर से निकलती है अपने साथ घर की पूरी खतौनी लेकर निकलती है अचानक उसे याद आता है गैस का जलना दरवाज़े का खुला रहना नल का टपकना और दूध का दहकना एक-एक कर वह पूछती है प्रेस तो बंद कर दिया था न! आँगन का दरवाज़ा तो लगा दिया था न! किचेन का सीधा वाला नल बंद करना तो नहीं भूली! अरे! हाँ! वो सब्ज़ी वह मँहगी हरी पत्तियों वाली सब्ज़ी जो अभी कल ही तो लाई थी सटटी से प्लास्टिक से निकाल दिया था न! हाँ, हाँ अरे सब तो ठीक है आपको ध्यान है आलमारी लाक करना तो नहीं भूली अभी कल की ही तो बात है महीनों को बचाए पैसे से नाक की कील ख़रीदी थी । इस तरह वह बार-बार याद करती और परेशान होती है कि दूध वाले को मना करना भूल गई कि बरतन वाली से कहना भूल गई कि उसे कल नहीं आना था कि पड़ोसिन को बता ही देना था कि कभी कभी मेरे घर को भी झाँक लिया करतीं । इस तरह एक स्त्री निकलती है घर से जैसे निकलना ही उसका होना है घर में.... 💯💯✍️✍️❣️❣️ ©Neelam Modanwal एक स्त्री घर से निकलते हुए भी नहीं निकलती वह जब भी घर से निकलती है अपने साथ घर की पूरी खतौनी लेकर निकलती है अचानक उसे याद आता है गैस का जलन
अदनासा-
ज़िंदगी तू मुश्किल ही अच्छी थी आसान और बनाने की ख़ातिर ना पूछ क्या क्या दुश्वारियां ले ली ©अदनासा- #हिंदी #प्रदूषण #जिंदगी #Alive #Instagram #Facebook #गुलामी #आज़ादी #आसान #अदनासा
Nisheeth pandey
शहर ----- कोलाहल ही कोलाहल चारो तरफ है इमारते पर इमारते पेड़ कहाँ गायब है रात भी उजालो से भरा दिन लगता है ये शहर है भईया यहां वीरानगी भी वीरान नही लगता है सड़क पर गाड़ियां ही गाड़ियां हैं साँसों में यहां धुँआ ही धुँआ हैं घर तो प्लास्टिक के फुलों से मनमोहक हैं ये शहर है भईया यहां वीरानगी भी वीरान नही लगता है जिक्र अपनों से फुर्सत का किया हमने जब जब हर दफ़ा बहाने मिलें बहुत लगा अपने बेवफा तब तब वक्त नहीं निभाने को रिश्ते नाते जज्बातों की क़दर कहाँ अब ये शहर है भईया यहां वीरानगी भी वीरान नही लगता है धुंध ही धुंध यहां आँखों में हर एक इंसान में प्राकृतिक धुंध तो डरता है झाने से अब शहरों में आँखों में जलन कानो मे शोर यहां प्रदूषण का जोर है ये शहर है भईया यहां वीरानगी भी वीरान नही लगता है @निशीथ ©Nisheeth pandey #Dhund शहर ----- कोलाहल ही कोलाहल चारो तरफ है इमारते पर इमारते पेड़ कहाँ गायब है रात भी उजालो से भरा दिन लगता है ये शहर है भईया यहां वी