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Shalvi Singh
White सफेद रंग ईमानदारी के (शीर्षक में पढ़े) ©Shalvi Singh #goodnightimages *सफेद रंग ईमानदारी के* 🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼 कुछ सफेद रंग ईमानदारी के, जो 90 के दशक की तरह,
#goodnightimages *सफेद रंग ईमानदारी के* 🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼 कुछ सफेद रंग ईमानदारी के, जो 90 के दशक की तरह, #Life #iwrit_ewhatyouthink
read moreबेजुबान शायर shivkumar
// प्रेम मे वियोग // मै सच्चे दिल से तुझे ही पुकार रहा हूं सात महीने से बस तेरी ही तस्वीर को यु निहार रहा हूं। वो कई रातों तक मेरी यादों में वो सोई नहीं है सच कहूं तो मेरे दिल में तेरे अलावा कोई और नहीं है ।। जिंदगानी के लम्हों में तेरे साथ हंसना और रोना चाहता है मेरी जिंदगी का मकसद सिर्फ तेरा ही होना है ।। मैं भी किया था तुमसे अपने प्यार का जिक्र मां के बराबर करती हो तुम मेरी ही फिक्र ।। क्यों अपनी तन्हाई को तुम मुझसे इस तरह छुपाती हो रात रात भर मेरी यादों में तुम आंसू को क्यों यु बहाती हो ।। रब से हमने भी एक मांगी है तेरी सौगात को मिले हर जन्म में मुझे बस तेरा ही साथ जो ।। तुम्हारी और मेरी दोस्ती दुनिया की सबसे बड़ी हस्ती है सच कहूं तो तेरी धड़कन में मेरी जान ही बसती है ।। मिलने की रब से तुम यु फरियाद करती हो सर्दियों में निकलने वाले सूरज की तरह मुझे तुम याद करती हो ।। अपनों के खातिर हम और तुम भी बहुत मजबूर हैं मगर दिल के सबसे करीब होते हुए भी तुम मुझसे बहुत दूर हैं ।। यह प्यार का बंधन को उम्र भर मै निभाऊंगा एक जन्म तो कम है अगले सात जन्मों तक तेरा हो जाऊंगा ©बेजुबान शायर shivkumar #separation #separationinlove #प्रेम #वियोग // प्रेम मे वियोग // मै सच्चे दिल से तुझे ही पुकार रहा हूं सात महीने से बस तेरी ही तस्वीर
Shashi Bhushan Mishra
परिधानों से लाज ढाँपती नज़रों में छुप जाती थी, लज्जा बसती थी आँखों में मन ही मन सकुचाती थी, पर्दे के पीछे का सच भी डर की जद में सिमटा था, लोक लाज के डर से नारी अक्सर चुप रह जाती थी, बचपन का वो अल्हड़पन दहलीज जवानी की चढते, खेतों की मेड़ों पर चलती इठलाती बलखाती थी, सावन में मदमस्त नदी सी चली उफनती राह कभी, देख आईने में ख़ुद को नटखट कितनी शर्माती थी, प्रेम और विश्वास अडिग वादे थे जीने मरने के, रूप सलोना फूलों सा कितनी सुंदर कद-काठी थी, माँ बाबूजी भैया भाभी सबके मन में रची-बसी, सखियों के संग हँसी ठिठोली मिलने से घबराती थी, भावुक हृदय सुकोमल काया मन से भोली थी 'गुंजन', बात-बात पर नखरे शोखी नयन अश्रु छलकाती थी, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ •प्र • ©Shashi Bhushan Mishra #लज्जा बसती थी आँखों में#
Poet Maddy
वो ज़हन में बसती है मेरे, और मेरे दिल में रहती है वो............ तुम महफ़िल में तारीफ़ न करो, हमसे ये अक्सर कहती है वो........... वो मुझमे कुछ ऐसे समायी है, कि मेरी रगों में दौड़ती है वो............ फिज़ाओं के साथ आज-कल, मेरे अश्कों के साथ बहती है वो........ ©Poet Maddy वो ज़हन में बसती है मेरे, और मेरे दिल में रहती है वो............ #Live#Mind#Heart#Publicly#Present#Run#Veins#Passion#Tears........