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Sarfraj Alam Shayri
दूसरों को हौसला देने वाला और उन कि छोटी और बड़ी मेहनत को सराहने वाला बनिए, ताके हमारे मुआशरे में मेहनत और लगन का जज्बा परवान चढ़े। ©Sarfraj Alam दूसरों को हौसला देने वाला और उन कि छोटी और बड़ी मेहनत को सराहने वाला बनिए, ताके हमारे मुआशरे में मेहनत और लगन का जज्बा परवान चढ़े।
Benaam Shayar
एक ओर था मैं एक ओर थी उसकी सूनी आंखें जैसे पुकार रही मोहब्बत से कोई तो दिल में झांके.. ©Benaam Shayar #Love #Shayari एक ओर था मैं एक ओर थी उसकी सूनी आंखें जैसे पुकार रही मोहब्बत से कोई तो दिल में झांके.. 😌💓🤗 #Morning #Thoughts
MrTUKESHWAR RAM RAJAK
Ƈђɇҭnᴀ Ðuвєɏ
थोड़े तो सुधर जाओ यार सभी, तुम इंसान हो भगवान नहीं तन का काला तो ठीक है, पर मन का काला ठीक नहीं चले गए अंग्रेज यहां से पर निशानी छोड़ गए हैं देखो करते बातें इंसानियत की पर दिखता कोई इंसान नहीं नज़र ना लगे किरदार को देखो लगाते काला टीका हैं लेकिन काले की अहमियत का क्या इनको इतना ज्ञान नहीं नफ़रत करते हैं काले रंग से फिर क्यूं पूजते श्याम को, जाकर कह दे उनसे भी तू मेरा भगवान नहीं काले गोरे की दलदल में ऐसे फंसे हैं लोग यहां खुद हो गए मैले कितने, इन्हे इतना भी एहसास नहीं काला कोर्ट पहन कर देखो वकील भी करते वकालत हैं क्या अपनी वर्दी का इनको कोई गुमान नहीं तकलीफ़ देकर दूसरों को देखो कितनी खुशियां मनाते हैं रंगभेद में जीते हैं, क्या ये हैवान नहीं ज्यादा न जाओ चमक के पीछे, जल जाओगे रोशनी में, फिर बचाने तुझको कोई आएगा अब श्याम नहीं हो जहां पर मतलब इनका, फिर काले भी लगते गोरे हैं इस मतलबी दुनियां में क्या कोई सच्चा इंसान नहीं.... ©Ƈђɇҭnᴀ Ðuвєɏ #rangbhed😓😓 #insaaniyat_zinda_rahe #sad😔 #feelings #kaala_tika #trending #nojotovideo #Life_experience मन में ना झांके कभी, हैं ऊपरी चमक
SONU VERMA
Sonu Goyal
रास्ता सुनसान था न किसी का नाम-ओ-निशान था..... डर डर कर कदम बढ़े कदम कदम पे मुश्किलें अड़े...... न आवाज़ थी न कोई शोर था मैं ही मुझमें मुझसे चोर था..... रात काली में दिखा न कोई मैं चलता बस चलता खोए.... हवा की शर शर से डर जाता वहीं डर कर मैं मर जाता ........ मैं चला फ़िर अपनी चाल होकर अपनी गाड़ी पे सवार..... बेवजह ही हार्न बजाए ताकि करे न कोई मुझपे वार...... सामने नहीं मैं पीछे देख चलता पर सामने मैं किसी ओर से मिलता...... देख उसको मैं सहम गया अब लगा जैसे मैं मर गया..... कहाँ जाऊँ किसको बुलाऊँ किसको अपना डर बताऊँ.....m न था कोई वहाँ दूसरा मेरे सिवा जिसे देख मुझमें आये थोड़ी दया...... आ खड़ी हो गयी मेरे आगे ऐसे बरसों से इंतज़ार किया हो जैसे...... बड़ी बड़ी आँखों से मुझकों ताके बाल फ़ैलाकर कर ख़ुद को ढाके....... मेरी आवाज़ उसके सामने निकल न पायी जब उसने अपनी आवाज़ में गीत गुनगुनायी...... अब रास्ता कोई सूझे न मुझे मैंने पूछा क्या चाहिये मुझसे तुझे......... उसका हँसना भी मुझे डर रही थी ऐसा लगा मुझे बुला रही थी...... आँख बंद कर मैंने आँख खोला बातें कुछ और नहीं सब कुछ था मेरे ख़याल का झोला..... ©Sonu Goyal रास्ता सुनसान था न किसी का नाम-ओ-निशान था..... डर डर कर कदम बढ़े कदम कदम पे मुश्किलें अड़े...... न आवाज़ थी न कोई शोर था मैं ही मुझमें मुझसे चो
Pramod Kumar