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samandar Speaks

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White  ये आसमां ज़मीं पर उतर क्यों नहीं जाता
ये गुजरता हुआ साल अब ठहर क्यों नहीं जाता 

ये रुकता तो,बच्चे भी बच्चे रहते,हम भी हम रहते
न वो दूर कहीं जाते,ना हम घर के बाहर ठहरते
बदलते वक्त के हालात पर ये तरश क्यों नहीं खाता 
ये गुजरता हुआ साल अब ठहर क्यों नहीं जाता

झोपड़ियां सहमी है दुबकी हैं फट्टे शॉल में लिपटी है
बकरियां फट्टे बोरे में,टूटी खाट पे हुई जा खड़ी हैं
इस बेबसी में नए साल का फितूर उतर क्यों नहीं जाता 
ये गुजरता हुआ साल अब ठहर क्यों नहीं जाता

बाप कि जवानी लेकर बेटे बड़े हो रहे हैं
इन्हें जवान करते बाप अधमरे हो रहे हैं 
रैन बसेरों का डर अब निकल क्यों नहीं जाता
 ये गुजरता हुआ साल अब ठहर क्यों नहीं जाता
राजीव

©samandar Speaks #love_shayari  मनीष शर्मा  Satyaprem Upadhyay  Radhey Ray  Poonam bagadia "punit"  Sandeep L Guru   मनीष शर्मा  Satyaprem Upadhyay  अंजान  S

Aakash Dwivedi

White एक पत्थर झरने की भावनाओं में डूब जाना चाहता है।
मगर अफसोस वो हर बार उसे भिगो कर चली जाती है।
खेल यह नदियों से चला आ रहा है ,
और बहाव सदियों से चला आ रहा है ,
एक उम्मीद लिए वो पत्थर घाट बन जाते हैं, 
किसी के चाहत की बात बन जाते हैं,।
पुनः उन घाटों पर कई उम्मीदें जन्म लेती हैं।
किनारा नदी का देख सहारा लेती हैं। 
हर कोई उन उम्मीदों पर बैठ नज़ारा लेता है 
मगर वह घाट सब कुछ देखकर भी मौन है 
उसे पता है आज के तो सब मगर कल का कौन है 
बाहर की दुनियां बाहर से सुंदर है,
जाकर भीतर देख गहरा समुंदर है। 
दूसरों से पहले खुद को जानो तुम।
यह बात पुरानी है बात तो मानो तुम

                                Aakash dwivedi ✍️

©Aakash Dwivedi #sunset_time #Life #कविता #Poet #शायरी #AakashDwivedi #kavi #Love

samandar Speaks

#library Mukesh Poonia Anant Radhey Ray Sandeep L Guru bewakoof

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Unsplash 
आईना मुझसे मेरे वक़्त का हिसाब मांगता है,
अक्स पे बेजान अदावत का जवाब मांगता है।

धूल चेहरे पे, या ख़्वाबों में भटकती है कहीं,
हर परत मुझसे छुपे राज़ का नक़ाब मांगता है।

वो जो गुज़रा है कभी ख़्वाब सा लम्हा बनकर,
अब वही बीते हुए लम्हों का हिसाब मांगता है।

जिनको देखा था ख़ुदा का ही करम समझ कर,
वो मेरा टूटता ईमान बेहिसाब मांगता है।

आईने के उस पार मैं भी कहीं ग़ुम सा हूँ,
और वो मुझसे मेरी रौशन किताब मांगता है।

सोचता हूँ कि ये आवाज़ है दिल की या वक़्त,
हर सदा जैसे मुक़द्दर का मिज़ाज मांगता है।

ख़ुद को पहचान सकूँ, इतनी भी मोहलत दे दे,
ये जहाँ मुझसे हर एक हाल का जवाब मांगता है।
Rajeev

©samandar Speaks #library  Mukesh Poonia  Anant  Radhey Ray  Sandeep L Guru  bewakoof

Nilesh Premyogi

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ब्रJESH Chanद्रा

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ur_ own_niks

Diwali Mela .Kavi sammelan 2024, udaipur

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SHIVAM MISHRA

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