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Irfan Saeed
परिंदा हूं उजाड़ोगे , मिटाओगे खुदा जाने मगर दिल नही सय्याद का आजाद करने को इरफान" किसी गैर से ही क्या तलब करें मेरे मस्कन का मुखबिर है मुझे बर्बाद करने को ©Irfan Saeed परिंदा हूं उजाड़ोगे , मिटाओगे खुदा जाने मगर दिल नही सय्याद का आजाद करने को इरफान" किसी गैर से ही क्या तलब करें मेरे मस्कन का मुखबिर है मुझ
परिंदा हूं उजाड़ोगे , मिटाओगे खुदा जाने मगर दिल नही सय्याद का आजाद करने को इरफान" किसी गैर से ही क्या तलब करें मेरे मस्कन का मुखबिर है मुझ
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परिंदा हूं उजाड़ोगे , मिटाओगे खुदा जाने मगर दिल नही सय्याद का आजाद करने को इरफान" किसी गैर से ही क्या तलब करें मेरे मस्कन का मुखबिर है मुझे बर्बाद करने को ©Irfan Saeed परिंदा हूं उजाड़ोगे , मिटाओगे खुदा जाने मगर दिल नही सय्याद का आजाद करने को इरफान" किसी गैर से ही क्या तलब करें मेरे मस्कन का मुखबिर है मुझ
परिंदा हूं उजाड़ोगे , मिटाओगे खुदा जाने मगर दिल नही सय्याद का आजाद करने को इरफान" किसी गैर से ही क्या तलब करें मेरे मस्कन का मुखबिर है मुझ
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दर्द-ए-दिल का सबब न पूछ मुझसे, खुद मैंने मंज़िल-ए-इश्क को चुना है, हँसते हँसते कटता सफर नागवार गुज़रा दिल-ए-आजाद को, इसलिए मुकम्मल हमसफर तुझे चुना है #ek_panchi_diwana_sa ©azad satyam दर्द-ए-दिल का सबब न पूछ मुझसे, खुद मैंने मंज़िल-ए-इश्क को चुना है, हँसते हँसते कटता सफर नागवार गुज़रा दिल-ए-आजाद को, इसलिए मुकम्मल हमसफर तुझ
दर्द-ए-दिल का सबब न पूछ मुझसे, खुद मैंने मंज़िल-ए-इश्क को चुना है, हँसते हँसते कटता सफर नागवार गुज़रा दिल-ए-आजाद को, इसलिए मुकम्मल हमसफर तुझ
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Unsplash आजाद..... बिखरे हुए बाल बड़ी हुई दाढ़ी जनाब खैरियत है सब me.. किसी गैर के नाम की मेंहदी उसने हाथो में रचा ली और हमने गम-ए-मोहब्बत में दाढ़ी बड़ा ली ©madhusudan #Book #आजाद #hijr #trending #viralvideo #like #love #hindi #motivation #shayari शेरो शायरी
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read moremadhusudan
green-leaves मुस्तकबिल सोचा था,मैने पसंदीदा शख्स के आगोश में रहूंगा कब सोचा था,मैने हिज़्र में उसके शायरी लिखूंगा ©madhusudan #GreenLeaves #मुस्तकबिल #Youtube #facebook #meta #आजाद #लव #love
#GreenLeaves #मुस्तकबिल #Youtube #Facebook #Meta #आजाद #लव love
read moreAzaad Pooran Singh Rajawat
New Year Resolutions आध्यात्मिक आस्था के साथ हर कर्म करेंगे। नशे से और नशा करने वालों से दूरी बनाकर रखेंगे। सात्विक शाकाहारी भोजन करेंगे फास्ट फूड से जहां तक संभव होगा बचेंगे। ©Azaad Pooran Singh Rajawat #newyearresolutions #आजाद संकल्प#
#newyearresolutions #आजाद संकल्प#
read moreAdv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
Unsplash आजाद ग़ज़ल --------------- जाने कब तिजोरी से माल निकाल लेता है ये आदमी बाल की खाल निकाल लेता है यहाँ तो कटता नहीं लम्हा उसके बिना वो मजे से साल दर साल निकाल लेता है हैरान हूँ उससे बहस कर करके मैं वो मिरे हर जबाब से सवाल निकाल लेता है ख़ामोश रहे आना तुम्हारा ये और बात है वो माहिर सब हाल चाल निकाल लेता है मिरे ताकत-ए-तसव्वुर को नज़र अंदाज न कर ये तिरे भीतर के भी ख़याल निकाल लेता है मैं मजबूर हूँ उसे सुनकर हँस देने को वो बात बात पे जुमले कमाल निकाल लेता है वो सौदागिरी में बड़ा कमजोर नज़र आया मैं दाल मांगता हूँ वो गुलाल निकाल लेता है ©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #आजाद ग़ज़ल
#आजाद ग़ज़ल
read moreHimanshu Prajapati
खामोशियों से घिरा रहा मैं, एक बदतमीजी ने शोर-ए-आजाद कर दिया जिंदगी को..! ©Himanshu Prajapati #findyourself खामोशियों से घिरा रहा मैं, एक बदतमीजी ने शोर-ए-आजाद कर दिया जिंदगी को..! #36gyan #hpstrange
#findyourself खामोशियों से घिरा रहा मैं, एक बदतमीजी ने शोर-ए-आजाद कर दिया जिंदगी को..! #36gyan #hpstrange
read moreAdv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
कहीं नज़र में आये तो अच्छा घर खानदान बताना बेटी की ज़िंदगी का सवाल है नेक इंसान बताना वज़ह सबूत ही सही कुछ ज़ख्म छुपा रख्खे हैं वो क़ातिल लौट आये तो मेरे निशान बताना कब तक घुमड़ते उमड़ते ही रहोगे तुम बादलों बरस के अपनी पहचान बताना.. मैं कह दूंगा तुम्हें तुम्हारी ख़ुशी के लिए जमीं तुम भी मुझे शौहरतों का आसमान बताना यूँ तो शहर के नामी रईसों में शुमार है वो पर कहता है मेरा तारुफ़ केवल किसान बताना तू किस प्रान्त से है मुझे फर्क नहीं पड़ता मगर कोई गैर पूछे तो पता हिन्दोस्तान बताना ©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #आजाद ग़ज़ल
#आजाद ग़ज़ल
read moreAdv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
White फलक पे माँ बाप का दर्जा रखा है मैंने बाकी कहाँ किसी का कर्जा रखा है मैने जुबाँ का इस्तेमाल ही कम करना है मुझे तुम कहते रहो मुँह में जर्दा रखा है मैंने कहीं सच जुबाँ पे आया तो बिखर जायेंगे रिश्तों की खातिर थोड़ा पर्दा रखा है मैंने कोई क़ीमत नहीं ली उसे खुश रखने की ऊपर से बोझ उसके सर का रखा है मैने उजालों ने साथ छोड़ा तो क्या करते फिर अंधेरों से याराना उम्र भर का रखा है मैंने न फ़िदा हूँ उनके हुस्न-ओ-अदाओं पे तो बेवज़ह मुलाकातों पर पहरा रखा है मैंने उनसे भी तो उम्मीद ही कहाँ रखी जिनसे रिश्ता मोहब्बत का गहरा रखा है मैंने ©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #आजाद ग़ज़ल
#आजाद ग़ज़ल
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