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Amit Tiwari
Unsplash जवानी में कमाई के कई आयाम गढ़ डाले .... फलसफे न जाने कितने हर शाम पढ़ डाले ... शिद्दत से इंतजार है कि फिर से दिन वही आए.. हम सब्जी से बचायें चार पैसे और घर आए.. खनक उन चार पैसों की दोबारा मिल नहीं पाई.. खुद के लाखों रुपयों में वो खनक ही नहीं आई.. ©Amit Tiwari #Book #बचपन #बचपन_के_वो_दिन
Monu Saini
न समझदार हूं और न ही बनना चाहता हूं टेंशन से लबालब जिंदगी छोड़ ऐ मेरे मालिक में तो बचपन में ही जीना चाहता हूं। ©Monu Saini बचपन# समझदार
बचपन# समझदार
read moreDr.Meet (मीत)
White वो बचपन कितना अच्छा था प्यार हमारा सच्चा था धोखा दगाकुछ ना जाने क्यों कि तब में बच्चा था ©डॉ.वाय.एस.राठौड़ (.मीत.) wo बचपन
wo बचपन
read moreRakesh Songara
बचपन की यादें किस्से बीते बचपन के आज अर्से बाद पता नहीं क्यों याद आ गए,, वो खेल-खिलौने कागज़ के,मिट्टी के बर्तन, बेवजह क्यूँ याद आ गए,,, वो बेपरवाह बदमाशियां,अठखेलियां, शरारतें सारी,, टूटी फूटी,रंगबिरंगी चूड़ियां प्यारी,, माटी के घरौंदे में घर-घर का खेला,, वो तीज़ त्योहार, गणगौर का मैला,,, वो कुल्फ़ी की चुस्कियों से जुबां की लाली,, मदारी के डमरू पे बजती वो ताली,, अनोखे वो दिन वो बातें पुरानी पता नहीं क्यों याद आ गए,,, किस्से बीते बचपन के आज अर्से बाद पता नहीं क्यों याद आ गए,,,,,,, सावन के झूलों में घण्टों लटकना,, वो बारिश की बूंदों में छम-छम रपटना,,, फ़टे कपड़ों में भी खुशियां समेटे, वो रेहड़ी से केलों के गुच्छे झपटना,, था जिंदादिल अब से वो बचपन का मौसम, अब तो हर सांस पे लगता है राशन,, चोट खाके भी हँसने के किस्से पता नही क्यों याद आ गए,,, किस्से बीते बचपन के आज अर्से बाद पता नहीं क्यों याद आ गए,,,,,,,,,,, राकेश सोनगरा, सरदारशहर ©Rakesh Songara #बचपन
Sunil Raniawala
White मेरा बचपन मुझसे दो बार छीना गया ,पहली दफा तब जब मेरा दाखिला माँ को गोद से हटाकर स्कूल में हुआ और दूसरी दफा तब जब तुमने मेरा साथ छोड़ा..। ©Sunil Raniawala #बचपन
Satish Kumar Meena
बचपन कितना हसीन होता है जिसमें तन,मन दिमाग सांसारिक बंधनों से मुक्त होता है बस! स्वतंत्र रूप से अपने क्रिया कलापों को आनंद से करना। ©Satish Kumar Meena बचपन
बचपन
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