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पूर्वार्थ

#समाज

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White आधुनिक समाज का सच

आज के इस आधुनिक युग में, देखो कैसा हाल हुआ,
रिश्तों का मोल घटा, हर रिश्ता बस सवाल हुआ।
दिल के बंधन अब कमजोर, स्वार्थ की दीवारें ऊँची,
भावनाएँ रह गईं पीछे, आगे दौड़ी इच्छाएँ दूषित।

रिश्ते अब खेल बन गए, बस पल भर की बात,
जहाँ प्यार की गहराई थी, वहाँ दिखावा है रात।
दिखावे की इस दुनिया में, सच्चाई गुमनाम हुई,
दिलों के जुड़ने की जगह, बस सौदे की बात हुई।

शादियाँ अब तमाशा हैं, बस एक आयोजन भव्य,
जहाँ सादगी थी पहले, अब दिखावे का पर्व।
सात फेरे, सात वचन, अब रस्में बन गईं,
जहाँ प्रेम था कभी गहरा, वहाँ रिवाजें सिमट गईं।

तलाक अब मजाक है, बंधन को तोड़ना आसान,
जहाँ समझौता था पहले, अब बस अभिमान।
साथ चलने की जगह, अलग राहें चुन ली जातीं,
प्यार की जगह नफरत, हर रिश्ते को खा जाती।

प्रोग्रेसिव इस समाज का, ये कैसा सच है भाई,
जहाँ रिश्तों की कीमत नहीं, बस स्वार्थ की भरपाई।
कहाँ गए वो दिन पुराने, जहाँ प्रेम था आधार,
आज तो सब बन गया है, बस एक व्यापार।

सोचो, समझो, और बदलो, रिश्तों को मोल दो,
जहाँ दिलों की बातें हों, वहाँ मत स्वार्थ जोड़ो।
इस आधुनिकता में कहीं, रिश्तों का सम्मान न खो दो,
वरना ये समाज एक दिन, बस खाली नाम रह जाएगा।

©पूर्वार्थ #समाज

Parasram Arora

अर्थ अनर्थ

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Unsplash मन अगर संवेदबमनाओ के संवेनद से भरा हो तों 
अनर्थ क़ी झड़ मे से भी अर्थ  डुंडा जा सकता है

©Parasram Arora अर्थ  अनर्थ

Sumit Kumar

शादी का सही अर्थ..

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Anuj Ray

# समाज के ठेकेदार"

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White सुप्रीम कोर्ट के कानून और संविधान की 
 बात मानकर चलने वाले कुछ लोग स्वयं को हिंदू प्रमाण करते हैं जिनको अपना सही दिए नहीं पता नहीं होता बड़ी-बड़ी सभा में बहुत तेज तकरार बहस भी करते हैं। 
मेरा एक प्रश्न है 
सुप्रीम कोर्ट कहता है एक विवाहित महिला 
विवाह के बाद छह मित्रों के साथ संपर्क बनाकर 
के शान से अपने परिवार में रह सकती है 
कितने हिंदू सनातनी इस बात से सहमत है।

©Anuj Ray # समाज के ठेकेदार"

Tripura kaushal

#समाज

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White               'समाज'
             _________
बदल रहा है आज समाज 
बदल रहा है रीति रिवाज,
लोगों के चाल-ढाल बदले
लोगों के हाव-भाव  बदले। 

कानून लीक से हट रहा आज अपराधी का फैल रहा राज, 
कहीं थकावट कहीं रुकावट 
कहीं दिखती जिंदगी बनावट। 

समाज के प्रति अपने दायित्वों का हमें भी मान होना चाहिए, समाज को विकसित करने में 
हम सबों का हाथ होना चाहिेए।

समन्वय से ही समाज में समरसता लाई जा सकती है समाज से जाए कुरीतियां,
समाज से मिटे सारी त्रुटियां।

रहे कोई भले ही दुराचारी
दिखलाओ उन्हें सही मार्ग
समाज सही तो देश बढ़े,
जब देश बढ़े,तो मान बढ़े।

समाज से पहचान हमारी
समाज में बसती जान हमारी,
एकता भरा अपनापन शोभित होगा हमारा समाज सुसज्जित।

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(स्वरचित एवं मौलिक)
   त्रिपुरा कौशल🏵️

©Tripura kaushal #समाज
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