Find the Best समाज_की_हकीकत Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos aboutतू हकीकत है मैं सिर्फ एहसास हूं, नफरत की दुनिया में, नींद की गोली का नाम, सुवालका समाज क्या है, खेतिहर समाज क्या है,
Andy Mann
White कोई इज्जत ढ़क रहा है फटे चिथडो से कोई नंगा हो कर महफिल लूट रहा है ...! ©Andy Mann #समाज_की_हकीकत sushil. puja udeshi Rakesh Srivastava अदनासा- MRS SHARMA
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green-leaves आज के दौर में सिर्फ मेहनत करते रहने से गरीबी आती है.. अमीर बनने के लिए घोटाले करने पड़ते हैं। ©Andy Mann #समाज_की_हकीकत Ak.writer_2.0 Mahesh Patel puja udeshi MRS SHARMA Vijay Vidrohi
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#कुछ_ख्याल #कुछ_ख्यालात_चाहते #समाज_की_हकीकत #सत्य_अल्फाज #नोजोतोहिंदी shayari on life Khushi_ bhaliyan31 puja udeshi angel rai Yuvika Shekhawat Ziya @Gudiya*****
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White औरतें बिकीं तो तवायफ़ हुईं,,, मर्द बिके तो दूल्हे बन गये... ©Andy Mann #समाज_की_हकीकत vineetapanchal Neel Sangeet... Sh@kila Niy@z MRS SHARMA
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White छुट्टियां खत्म हुई तो बच्चो से पूछा, "कौन कौन नानी के घर गया था "...? तो पता चला कि अब तो बच्चे दादी के घर भी जाने लगे है... ©Andy Mann #समाज_की_हकीकत Bhanu Priya Krishna G I am MiraJ AARPANN JAIIN Yusuf Shayar New Ravi Ranjan Kumar Kausik MohiTRocK F44 Miss Anu.. thoughts Danish M Hardik Mahajan Neel poonam atrey Shayra vineetapanchal Ritu Tyagi Santosh Narwar Aligarh the greatest gunjan vinay panwar Anshu writer sonu kumar babra VIPUL KUMAR Arshad Siddiqui Poonam Ñådåñ•√} Niaz (Harf) Niaz (Harf) Sh@kila Niy@z sana naaz अदनासा- Neelam Modanwal .. KhaultiSyahi Munni Jack Sparrow Rameshkumar Mehra Mehra शीतल चौधरी(मेरे शब्
#समाज_की_हकीकत Bhanu Priya Krishna G I am MiraJ AARPANN JAIIN Yusuf Shayar New Ravi Ranjan Kumar Kausik MohiTRocK F44 Miss Anu.. thoughts Danish M Hardik Mahajan Neel poonam atrey Shayra vineetapanchal Ritu Tyagi Santosh Narwar Aligarh the greatest gunjan vinay panwar Anshu writer sonu kumar babra VIPUL KUMAR Arshad Siddiqui Poonam Ñådåñ•√} Niaz (Harf) Niaz (Harf) Sh@kila Niy@z sana naaz अदनासा- Neelam Modanwal .. KhaultiSyahi Munni Jack Sparrow Rameshkumar Mehra Mehra शीतल चौधरी(मेरे शब्
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*कहाँ गुम हो गए संयुक्त परिवार* *एक वो दौर था* जब पति, *अपनी भाभी को आवाज़ लगाकर* घर आने की खबर अपनी पत्नी को देता था । पत्नी की *छनकती पायल और खनकते कंगन* बड़े उतावलेपन के साथ पति का स्वागत करते थे । बाऊजी की बातों का.. *”हाँ बाऊजी"* *"जी बाऊजी"*' के अलावा दूसरा जवाब नही होता था । *आज बेटा बाप से बड़ा हो गया, रिश्तों का केवल नाम रह गया* ये *"समय-समय"* की नही, *"समझ-समझ"* की बात है बीवी से तो दूर, बड़ो के सामने अपने बच्चों तक से बात नही करते थे *आज बड़े बैठे रहते हैं हम सिर्फ बीवी* से बात करते हैं! दादाजी के कंधे तो मानो, पोतों-पोतियों के लिए आरक्षित होते थे, *काका* ही *भतीजों के दोस्त हुआ करते थे ।* आज वही दादू - दादी *वृद्धाश्रम* की पहचान है, *चाचा - चाची* बस *रिश्तेदारों की सूची का नाम है ।* बड़े पापा सभी का ख्याल रखते थे , अपने बेटे के लिए जो खिलौना खरीदा वैसा ही खिलौना परिवार के सभी बच्चों के लिए लाते थे । *'ताऊजी'* आज *सिर्फ पहचान* रह गए और,...... *छोटे के बच्चे* पता नही *कब जवान* हो गये..?? दादी जब बिलोना करती थी, बेटों को भले ही छाछ दे पर *मक्खन* तो *केवल पोतों में ही बाँटती थी।* *दादी ने* *पोतों की आस छोड़ दी*, क्योंकि,... *पोतों ने अपनी राह* *अलग मोड़ दी ।* राखी पर *बुआ* आती थी, घर मे नही *मोहल्ले* में, *फूफाजी* को *चाय-नाश्ते पर बुलाते थे।* अब बुआजी, बस *दादा-दादी* के बीमार होने पर आते है, किसी और को उनसे मतलब नही चुपचाप नयननीर बरसाकर वो भी चले जाते हैं । शायद *मेरे शब्दों* का कोई *महत्व ना* हो, पर *कोशिश* करना, इस *भीड़* में *खुद को पहचानने की*, *कि*,....... *हम "ज़िंदा है"* या *बस "जी रहे" हैं"* अंग्रेजी ने अपना स्वांग रचा दिया, *"शिक्षा के चक्कर में* *संस्कारों को ही भुला दिया"।* बालक की प्रथम पाठशाला *परिवार* पहला शिक्षक उसकी *माँ* होती थी, आज *परिवार* ही नही रहे पहली *शिक्षक* का क्या काम...?? "ये *समय-समय* की नही, *समझ-समझ* की बात है! कुछ साल बाद हम दो ,हमारे दो के चक्कर में परिवार खत्म हो जाएगा । मामा रहेगा, तो मौसी नही होगी मौसी होगी तो मामा नही होगा चाचा होगा तो बुआ नही होगी बुआ होगी तो चाचा नही होगा । *काका ,काकी ,बड़े पापा बड़े मम्मी* *बुआ ,फूफा ,मामा मामी* *मौसी मौसा ,ताऊ ताई जी* *न जाने ऐसे कितने रिश्तों के* *संबोधन के लिए तरसेंगे ।।* ©Andy Mann #समाज_की_हकीकत
Surendra Bhagat
सफलता पा लेने पर मनुष्य के सारे कलंक धूल जाते हैं। ©Surendra Bhagat #समाज_की_हकीकत #BhaagChalo
Sushma
गलत सही कि परीभाषा भुला चुके हैं सब "क्योंकि वो गलत तो हम क्यों नहीं " - यहीं मानते हैं सब मन पे कहाँ काबू हैं किसी का, बस चलते जा रहे हैं सभी जाना कहाँ हैं, मंजिल क्या हैं कहाँ पता हैं किसी को... अपने फैंसले ख़ुद किया करो सोच विचार कर , वरना शिकार हो जाओगे किसी और के फैसले का.... ©Sushma #समाज_और_इनकी_सोच #समाज_और_संस्कृति #समाज_की_हकीकत #समाज_की_कड़वी_सच्चाई
Surendra Bhagat
अंदर बिखरा है बाहर मुस्कुरा रहा हैं, पिता है साहब फ़र्ज़ निभा रहा है, घर चला रहा है खर्चा उठा रहा है, अंदर टूट रहा है साहब हमें बना रहा है, बाप है साहब फ़र्ज़ निभा रहा हैं। ©Surendra Bhagat #समाज_की_हकीकत #samandar
Suchita Pandey
स्त्री हमेशा सीता ही क्यों होती है..! उसे बुद्ध भी तो होना चाहिए...!?! #समाजिक_भेदभाव #समाज_की_हकीकत // स्त्री के प्रति सामाजिक भेदभाव.. // "स्त्री हमेशा सीता ही क्यों होती है, उसे बुद्ध भी तो होना चाहिए...!?!"
#समाजिक_भेदभाव #समाज_की_हकीकत // स्त्री के प्रति सामाजिक भेदभाव.. // "स्त्री हमेशा सीता ही क्यों होती है, उसे बुद्ध भी तो होना चाहिए...!?!"
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