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ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)
मेरी" विज्ञान" ने मेरा भ्रम मिटाया कि"बचपन में जो "पानी मे राख डालकर आग लगाना जो बाबा जी का "चमत्कार "था, वो,"महज सोडियम का टुकडा था ,,ओ एम जे विज्ञान तु बहुत कुछ है,,,,,,,, यहाँ तक की "यथार्थ *भी
Ankit Srivastava
हम एक ऐसी अंतिम पीढ़ी के लड़के/लड़कियाँ हैं जिनके पास एक भोली-भाली सी माँ है, (अनुशीर्ष में पढ़ें) हम एक ऐसी अंतिम पीढ़ी के लड़के/लड़कियाँ हैं जिनके पास एक भोली-भाली सी माँ है, वह माँ जिसके पास कोई सोशल मीडिया एकाउंट्स नहीं है। वह नहीं जानती
ittu Sa
😂😈😜इत्तु सी मस्ती breaking news के साथ।😜😈😂 गौर से देखये इस मोहतरमा को ,जी हाँ ये वही मोहतरमा जिसने लिखना सिखा और लिखती हैं बस अपने पापा के लिए। सब दुःख इनके लेना चाहती हैं, पर पगली ये नहीं समझती की माँ-बाप अपने बच्चों को दुःख नहीं देते। यहाँ तक की जब ये मोहतरमा गा गा कर सर में दर्द करते तो वो भी उन्हीं मीठा लगता हैं। जी हाँ ये मोहतरमा चली थी चित्रकारी करने ,चित्र तो बना नहीं पर pizza's जरूर चिपका दिया। भूतों को याद करते करते ख़ुद भूतिया देखने लगी हैं, ये मोहतरमा इत्तु सी पागल लगने लगी हैं। इत्तु सा पैग़ाम भावना के नाम। #nojoto #breakingNews #masti #quotes #nojotonews 😂😈😜इत्तु सी मस्ती breaking news के साथ।😜😈😂 गौर से देखये इस मो
पूर्णिमा काव्या👑
बेग़म साहिबा क्या इसको सिर्फ शायरी में जान डालने के लिये प्रयोग किया जाता हैं । नहीं साहब ये वो शब्द है जिसकी अपनी पवित्रता हैं,अपने कुछ मायन
Satyam Barnaval
Vishesh Pandey
छोड़ दें कोशिशें इंसानों को पहचानने की, यहाँ जरूरतों के हिसाब से बदलते नकाब हैं, अपने गुनाहों पर सौ पर्दे डालकर, हर शख्स कहता है जमाना बड़ा खराब हैं. #appu नाते रिश्ते हो या कोई और चीज, इश्क़ हो या इज़्ज़त, मुफ्त कुछ भी नहीं मिलता... जिस दिन ये बात समझ आई... बस उसी दिन से लग गए हम कमाने..
JALAJ KUMAR RATHOUR
कुंदन और जोया सी ना जाने कितनी कहानियाँ शुरु होती है हर नुक्कड़, गली और चौराहे पर,प्रेम का इजहार होता है, आँखो के मिलने पर शर्माना और फिर बातो का शुरू होना, एक दूसरे की पसंद के कपड़े पहनना, कागजो पर बिना नाम के दिल की बात का इजहार करना,आसान नही था इस सोशल मीडिया के जमाने से पहले प्यार करना,करवाचौथ पर व्रत रखना,यहाँ तक की बच्चों के नाम भी सोचना, और फिर इसी गुजरते वक्त के साथ उम्र का बड़ना,किसी एक की शादी का तय हो जाना, मैं तुम्हारे बिन नही जी सकता समझाना, और फिर शादी मे जरूर आना, इन सब में हार जाता है, हर कुंदन और जोया का प्रेम और वो सपने जो उन्होंने देखे थे। यही होता है कभी कभी प्रेम में त्याग करना पड़ जाता है क्युकी माँ और पिता के प्रेम से बड़ा प्रेम कोई नही होता, और ऐसा त्याग करने वाले कुंदन और जोया को लोग ना समझ बता देते है, इन सब के बीच जीत जाता है, जाति,धर्म, समाज व अहँकार और हारता हुआ वो प्रेम गुस्ताखी करता है फिर से किसी नये जोया और कुंदन के दिल में उठने की और इस समाज से लड़ने की ...... #जलज राठौर कुंदन और जोया सी ना जाने कितनी कहानियाँ शुरु होती है हर नुक्कड़, गली और चौराहे पर,प्रेम का इजहार होता है, आँखो के मिलने पर शर्माना और फिर बा