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brar saab
White भारत नाम की उत्पति का सम्बंध प्राचीन काल के किस प्रतापी राजा से है ? (A) महाराणा प्रताप (B) चन्द्रगुप्त मौर्या (C) भरत चक्रवर्ती (D) अशोका मौर्या ©brar saab @भारत नाम की उत्पति का सम्बंध @प्राचीन काल के किस #प्रतापी राजा से है ? (A) महाराणा प्रताप (B) चन्द्रगुप्त मौर्या (C) भरत चक्रवर्ती
@भारत नाम की उत्पति का सम्बंध @प्राचीन काल के किस #प्रतापी राजा से है ? (A) महाराणा प्रताप (B) चन्द्रगुप्त मौर्या (C) भरत चक्रवर्ती
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White वो जिसको एक पल भी भुलाता नहीं हूँ मैं अक्सर उसी को याद भी आता नहीं हूँ मैं मिस काल कर रहा था कल शाम तक जिसे आज उसका फोन खुद ही उठाता नही हूँ मैं मैं जिसको चाहता था हकीक़त में पास हो अब ख़्वाब में भी उसको बुलाता नही हूँ मैं ऐसा नहीं वो लौट के आएगा एक दिन फिर भी ये दिल किसी से लगाता नही हूँ मैं अपनों को मुझसे एक ही तक़लीफ़ है जनाब क्यूँ उनके आगे रोता झिझाता नही हूँ मैं चाहत नहीं के इनका मरहम करे कोई यूँ ही किसी को जख़्म दिखाता नही हूँ मैं उस से कहो वो रोज़ मेरा शुक्रिया करे अपनी नज़र से जिसको गिराता नही हूँ मैं ... ©dilkibaatwithamit वो जिसको एक पल भी भुलाता नहीं हूँ मैं अक्सर उसी को याद भी आता नहीं हूँ मैं मिस काल कर रहा था कल शाम तक जिसे आज उसका फोन खुद ही उठाता नही
वो जिसको एक पल भी भुलाता नहीं हूँ मैं अक्सर उसी को याद भी आता नहीं हूँ मैं मिस काल कर रहा था कल शाम तक जिसे आज उसका फोन खुद ही उठाता नही
read moreN S Yadav GoldMine
White श्रीगीताजी का माहात्म्य:-इदं ते नातपस्काय नाभक्ताय कदाचन । न चाशुश्रूषवे वाच्यं न च मां योऽभ्यसूयति ॥ {Bolo Ji Radhey Radhey} भावार्थ :-तुझे यह गीत रूप रहस्यमय उपदेश किसी भी काल में न तो तपरहित मनुष्य से कहना चाहिए, न भक्ति-(वेद, शास्त्र और परमेश्वर तथा महात्मा और गुरुजनों में श्रद्धा, प्रेम और पूज्य भाव का नाम भक्ति है।)-रहित से और न बिना सुनने की इच्छा वाले से ही कहना चाहिए तथा जो मुझमें दोषदृष्टि रखता है, उससे तो कभी भी नहीं कहना चाहिए ॥67॥ ©N S Yadav GoldMine #sad_quotes श्रीगीताजी का माहात्म्य:-इदं ते नातपस्काय नाभक्ताय कदाचन । न चाशुश्रूषवे वाच्यं न च मां योऽभ्यसूयति ॥ {Bolo Ji Radhey Radhey} भा
#sad_quotes श्रीगीताजी का माहात्म्य:-इदं ते नातपस्काय नाभक्ताय कदाचन । न चाशुश्रूषवे वाच्यं न च मां योऽभ्यसूयति ॥ {Bolo Ji Radhey Radhey} भा
read moreविष्णु कांत
एक बार जो निशाना साध लिया, काल से कौन बचा सकता है किसी को। ©विष्णु कांत काल
काल
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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset {Bolo Ji Radhey Radhey} अनादि काल से मन को पाप से व आसक्ति से मेला कर रखा है, भगवान श्री कृष्ण जी मन से नाम लेते जाओ, धीरे-2 मेल धुलता जाएगा। जय श्री राधेकृष्ण जी!! N S Yadav GoldMine. ©N S Yadav GoldMine #SunSet {Bolo Ji Radhey Radhey} अनादि काल से मन को पाप से व आसक्ति से मेला कर रखा है, भगवान श्री कृष्ण जी मन से नाम लेते जाओ, धीरे-2 मेल धु
#SunSet {Bolo Ji Radhey Radhey} अनादि काल से मन को पाप से व आसक्ति से मेला कर रखा है, भगवान श्री कृष्ण जी मन से नाम लेते जाओ, धीरे-2 मेल धु
read moreJAGAT HITKARNI 274
• हजार हजार शुक्र उस जोतीस्वरुप नीरंजन नीराकारका है किं जिसने जमीन व आसमानको बनाया और तमाम सृष्टीको पैदाकीया परंन्तु उस की कारीगरीका भेद किसी पर जाहीर नहीहुआ कि क्या भेदहै फिर मेंरी जबानसे इश्वर परमात्माकी तारीफ अदा नहीहोसक्ती और दूसरा मजमुन बतौर समुद्र केहै सो कलमसे लिखा जाताह कि जो२करतब मैने इन सौदागर महाजनान-के देखे वोह अजब तरहके नजर आये जिससे मुझ गरीब साध अनुपदासको तमांम जहांनके हिंन्दु मुसलमान और साध संत और पण्डित फकीर और मुल्कों मुल्कोंके राजा महाराजा और सातों आठों और सब-विलायतोंके बादशाह और दीगर अंग्रेज वगैराकी खिदमतमें हाथ जोङकर अरज;करना लाजिम आया कि जिसको जादूचाला और राक्षस विधा और काफिर विधा और इन्द्रजाल कहतेहैं वोह एक किसमका पापहै कि जिस्तरहसे रावणने चलायाथा और मेह और मौतको कबजेमें करलीथी पापके सबबसे याने होम करा२के बुद्धी भी भ्रष्ट करदीथी इन्द्रजालके पापसे और काल वगैरा, पङा२करके लक्षमी अपने काबूमें करके लंकामें लेगयाथा और उसीतरहसे- हिरनाकश राजानेभी चलायाथा और उसीतरहसे कंन्स राजानेभी चलायाथा और उसीतरहसे कारुन बादशाहनेभी चलायाथा और रावण हिरनाकश कंस कारुन वगैराकी तरहसे बल राजाके बादसे इन सौदागर महाजनाननेभी-राक्षस विधाका पाप चलायाहै सोइन बनियोंनेभी मेहको और मोतको सहारे करलीहै और बुद्धी भ्रष्ट करदीहै ..... • सोइस.बातका.इन्साफकीया चाहीये क्युंकि इन्साफके-करनेसे,खुद,मालुम,होजावेगा- ... ( २२९ ) साध अनुपदास- लीखी- कीताब - [ जगतहीतकारनी ] ( २७४ ) पढ़ें छावणी ऐरनपुरा, शिवगंज - ३०७०२७ (राज.) संपर्क :- 02976-273024 , 8905653801 www.jagathitkarnioriginal.org ©JAGAT HITKARNI 274 • हजार हजार शुक्र उस जोतीस्वरुप नीरंजन नीराकारका है किं जिसने जमीन व आसमानको बनाया और तमाम सृष्टीको पैदाकीया परंन्तु उस की कारीगरीका भेद कि
• हजार हजार शुक्र उस जोतीस्वरुप नीरंजन नीराकारका है किं जिसने जमीन व आसमानको बनाया और तमाम सृष्टीको पैदाकीया परंन्तु उस की कारीगरीका भेद कि
read moreGoluBabu
हर हर महादेव #राधास्वामीपंथ_का_महाखुलासा क्या राधास्वामी पंथ में दिए जाने वाले मंत्र काल के मुख में पहुंचाने वाले हैं? हो जाओ सावधान! और दे
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