Nojoto: Largest Storytelling Platform

New गंगापुत्र भीष्म का युद्ध Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about गंगापुत्र भीष्म का युद्ध from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, गंगापुत्र भीष्म का युद्ध.

    PopularLatestVideo

Manju Rathore

भगवान परशुराम और गंगापुत्र भीष्म का युद्ध #Mahabharat #Trending #viral #India #New #viralindia #Action #Knowledge

read more
mute video

abhishek💞

दिल का युद्ध !! #Quote

read more
प्रेम क्या है ??

दिल का युद्ध 
दिमाग के विरूद्ध दिल का युद्ध !!

Hemant Kushwah

पानीपत का युद्ध #कॉमेडी

read more
mute video

Amit Singhal "Aseemit"

mute video

Akanksha Pathak

भीष्म का पश्चाताप/ दिनकर जी #krishna_flute

read more
mute video

Shivam Gupta

जिंदगी का युद्ध #Light #Poetry

read more
जिन्दगी एक ऐसा युद्ध हैं
जहां हर पल जीत या हार मिलती हैं

©Shivam Gupta जिंदगी का युद्ध

#Light

(विद्रोही जी).!!

@हल्दीघाटी का युद्ध 'चेतक' #Mythology

read more
निर्बल बकरों से बाघ लड़े,भिड़ गये सिंह मृग-छौनों से
घोड़े गिर पड़े गिरे हाथी,पैदल बिछ गये बिछौनों से
हाथी से हाथी जूझ पड़े ,भिड़ गये सवार सवारों से
घोड़ों पर घोड़े टूट पड़े,तलवार लड़ी तलवारों से
हय-रूण्ड गिरे¸गज-मुण्ड गिरे,कट-कट अवनी पर शुण्ड गिरे
लड़ते-लड़ते अरि झुण्ड गिरे,भू पर हय विकल बितुण्ड गिरे
क्षण महाप्रलय की बिजली सी,तलवार हाथ की तड़प–तड़प
हय–गज–रथ–पैदल भगा भगा,लेती थी बैरी वीर हड़प
क्षण पेट फट गया घोड़े का,हो गया पतन कर कोड़े का
भू पर सातंक सवार गिरा,क्षण पता न था हय–जोड़े का
चिंग्घाड़ भगा भय से हाथी,लेकर अंकुश पिलवान गिरा
झटका लग गया,फटी झालर,हौदा गिर गया¸निशान गिरा
कोई नत–मुख बेजान गिरा,करवट कोई उत्तान गिरा
रण–बीच अमित भीषणता से,लड़ते–लड़ते बलवान गिरा
मेवाड़–केसरी देख रहा,केवल रण का न तमाशा था
वह दौड़–दौड़ करता था रण,वह मान–रक्त का प्यासा था
चढ़कर चेतक पर घूम–घूम,करता सेना–रखवाली था
ले महा मृत्यु को साथ–साथ,मानो प्रत्यक्ष कपाली था
रण–बीच चौकड़ी भर–भरकर,चेतक बन गया निराला था
राणा प्रताप के घोड़े से,पड़ गया हवा को पाला था
गिरता न कभी चेतक–तन पर,राणा प्रताप का कोड़ा था
वह दोड़ रहा अरि–मस्तक पर,या आसमान पर घोड़ा था
जो तनिक हवा से बाग हिली,लेकर सवार उड़ जाता था
राणा की पुतली फिरी नहीं,तब तक चेतक मुड़ जाता था
सेना–नायक राणा के भी,रण देख–देखकर चाह भरे
मेवाड़–सिपाही लड़ते थे,दूने–तिगुने उत्साह भरे
क्षण मार दिया कर कोड़े से,रण किया उतर कर घोड़े से।
राणा रण–कौशल दिखा दिया,चढ़ गया उतर कर घोड़े से
क्षण भीषण हलचल मचा–मचा,राणा–कर की तलवार बढ़ी
था शोर रक्त पीने को यह,रण–चण्डी जीभ पसार बढ़ी
वह हाथी–दल पर टूट पड़ा,मानो उस पर पवि छूट पड़ा
कट गई वेग से भू ऐसा,शोणित का नाला फूट पड़ा
ऐसा रण राणा करता था,पर उसको था संतोष नहीं
क्षण–क्षण आगे बढ़ता था वह,पर कम होता था रोष नहीं
कहता था लड़ता मान कहां,मैं कर लूं रक्त–स्नान कहां
जिस पर तय विजय हमारी है,वह मुगलों का अभिमान कहां
भाला कहता था मान कहां¸,घोड़ा कहता था मान कहां?
राणा की लोहित आंखों से,रव निकल रहा था मान कहां
,,,श्याम नारायण पाण्डेय

©ब्राह्मणवंशी जीतू मिश्रा (विद्रोही जी) @हल्दीघाटी का युद्ध 'चेतक'

Dipika Saini

मन के भीतर का युद्ध........

read more
इतिहास में कहा दर्ज होते हैं वो युद्ध..

जो मन के भीतर चलते हैं..
.💥💫✍✍

राधे राधे 👏♥

©Dipika Saini मन के भीतर का युद्ध........

पंडित सुधाकर शर्मा

"भीष्म पितामह "

read more
जिस देश भारत में पितामह
भीष्म से रणधीर थें,
जिनकी प्रतिज्ञा के वचन 
अति घोर थे गंभीर थे।
कुरु वंश संरक्षक बने
जो मीचु को झुठला गए,
पर स्नेहवश निज मृत्यु के
भी भेद को बतला गए।
 वह सोम वंशी शूर क्षत्रिय
धर्म प्राण महान थें,
सद्धर्म हेतु अधीर वह
मानव चरित्र प्रमाण थे। "भीष्म पितामह "
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile