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bhishma pratap singh
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बिहार, झारखण्ड में छठ पूजा की तैयारियाँ बड़े ही उत्साह और पूर्ण श्रद्धा के साथ जाती है। विशेष रूप से हिन्दुओं का यह त्योहार वहां के लोगों की आस्था और निष्ठा का पर्व है जो दीवाली के चौथे दिन से आरम्भ होता है और छठ की पूजा के दिन समाप्त होता है।36 घण्टों का उपवास होता है। त्योहार मुख्यतः सूर्यदेव को अर्घ्य दोनों प्रात: तथा सन्ध्या समय व्रती महिलाओं (तथा पुरुषों द्वारा भी किया जाता है) पूरी स्वच्छता और सजगता के साथ साथ मनाते हैं। सेना में क्योंकि सर्व धर्म समभाव को बढ़ावा दिया जाता है इसलिए वहाँ के अधिकांश लोग इसकी अच्छी-खासी जानकारी प्राप्त कर लेते हैं और कुछ तो ये व्रत करने भी लगते हैं। इसी का परिणाम है कि आजकल इस पर्व की मान्यता भारत में ही नहीं सम्पूर्ण विश्व में तेजी से प्रचलित हो रही है। छठी के दिन व्रत का समापन दिन होता है तथा छठ मैया से अपनी मनोकामना पूर्ण हो जाने की विनती की जाती है, इसलिए छठ मईया और सूर्य देव दोनों के पूजन का विधान है। ©bhishma pratap singh #छठ पूजा#बिहार प्रदेश का अत्यंत कठिन व महत्वपूर्ण पर्व#इतिहास और पौराणिक कथा #भीष्म प्रताप सिंह #chhathpuja#नवंबर क्रिएटर
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बाल दिवस बोलो बच्चो, हम किसके लिये मनाते हैं? किसके लिये उपहार मिठाई, बोलो लेकर आते हैं? विविध प्रकार के खेलों का हम, क्यों करते हैं आयोजन? बोलो बच्चो बाल दिवस का, क्या होता है प्रयोजन? सब बच्चों ने एक ही स्वर में, कहा ये दिवस हमारा है। खेलों का आयोजन भी तो, हमारे लिये ही सारा है।। ये उपहार मिठाईयाँ सब, हम सभी में बाँटे जायेंगे। नाना प्रकार की प्रतियोगिताओं, में सब खेल दिखाएंगे।। जो भी अच्छे खेलेंगे हम, उनको मिलेंगे ये उपहार। आज हमारे लिए हुई है, मिठाईयों की सारी भरमार।। नेहरू जी के जन्म दिवस पर, बन गया बाल दिवस त्योहार। कहते हैं चाचा नेहरू करते, थे सब बच्चों से प्यार।। ©bhishma pratap singh #बाल दिवस#हिन्दी कविता#काव्य संकलन #भीष्म प्रताप सिंह#इतिहास और पौराणिक कथा#ChildrensDay#नवंबर क्रिएटर
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मित्रो माह नवम्बर आया,सर्दी को संग लाया है। लगने लगी है धूप सुहानी, इश्क़ भी सिर चढ़ आया है।। तनिक धूप को देख श्वेतिमा, में निकला प्रेमी जोड़ा। मिले एक दूजे से ऐसे, ज्यों बन्दीगृह से छोड़ा।। नेति। धन्यवाद। ©bhishma pratap singh #चार पँक्तियाँ#हिन्दीकविता#काव्य संकलन #भीष्म प्रताप सिंह#4linepoetry#लव और रोमांस#नवंबर creator
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#अनेकता_में_एकता अब खुला धोका है फरेब हैहिन्दी कविताकाव्य संकलन# #भीष्म प्रताप सिंहसस्पेंस और थ्रिलर#हॉररAnektaMeEktaनवंबर क्रिएटर
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पसरी हुई है धुंध घनी सी, पथ सारा निर्जन है। दीख रहे कुछ वृक्ष सामने, एक पथिक का गमन है।। उस वन के ही बीच, बनाया होगा उसने बँगला। कहीं हिमालय की गोदी में, बसता है वह सरला।। सन्ध्या ढलने चली तभी तो, गेह उसे जाना है। कार्य रहा होगा पड़ोस में, वह करके आना है।। इसीलिए निश्चिंत भाव से, वह चले जाता है। ऊबड़-खाबड़ पथ में कोई, वाहन भी नहीं आता है।। विद्युत की भी नहीं वयवस्था, घरों में दीप जलाकर। भोजन पकाते होंगे सारे, चूल्हे में अग्नि बलाकर।। मैंने भी कश्मीर में झेला, हर कोई बड़ा मगन था। किन्तु वर्ष उन्नीस सौ पिचासी, वह सैनिक जीवन था।। नेति। धन्यवाद। ©bhishma pratap singh #अपना_सैनिक_जीवन#हिन्दी कविता #भीष्म प्रताप सिंह#प्रेरक कहानी #काव्य संकलन#findyourself #October creator
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नाम अटल है हर कठिनाई हंस कर गले लगाऊंगा। "बाधाएं आती हैं आएं " पार सभी से पाऊंगा।। भय, लिप्सा, और भ्रष्टाचार ये सारे मेरे काम नहीं। अटल बिहारी वाजपेयी हूँ, रहा कभी बदनाम नहीं ।। ©bhishma pratap singh #अटलबिहारीवाजपेयी #सच्चे राष्ट्रवादी नेता #काव्य संकलन #भीष्म प्रताप सिंह #हिन्दी कविता
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