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Dileep katara
हाय में राजस्थान डूंगरपुर ओबरी डैचा से हू में एक गरीब होने से में पढाई नहीं कर पाया मेंरी उम्र 16 साल का हु ©Dileep katara दिलीप कटारा हू #Hindidiwas
AMAN SINGH
आँखों से ओझल हो गया, टूटा हुआ कोई तारा था वो फौजी शहीद हो गया, जिसे देश सबसे प्यारा था 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 # फौजी # शहीद सौरभ कटारा
Sachin Brahmvanshi
संग गुज़री यादों को अब भुलाया नहीं जाता ! दिल में जगे जज़्बातों को अब सुलाया नहीं जाता !! झेल लिए ढेरो सितम उनके हर घड़ी,हर डगर, मगर मासूम-सी उनकी सूरत देख बेवफ़ा उन्हें बुलाया नहीं जाता !! जी करता कि ग़मों से भर दें झोली उनकी हम, जबकि जो सच कहें तो पलभर भी उन्हें अब रुलाया नहीं जाता !! की हैं लाख नाकाम कोशिशें उनसे दूरियाँ बनाने की, पर चाहे भी हमदर्मियान ये अनूठा नाता अब छुड़ाया नहीं जाता !! पड़ जाएँ कितनी ही कुदरती बंदिशें इस गुलशन-ए-वफ़ा पर, फिर भी प्रीति का गुल यूँ ही तो मुरझाया नहीं जाता !! ज़िंदगी को मुहय्या हुई हर खुशहाली रहमत-ए-खुदा से, पर बगैर उनके इस दिल को कुछ अब लुभाया नहीं जाता ! इश्क़ करना छोड़ दो कहते ये ज़मानेवाले, मगर रोम-रोम में रौशन चिराग-ए-मोहब्बत को अब बुझाया नहीं जाता !! ~सचिन अ. पाण्डेय ‘सत्यवीर’ #NojotoQuote संग गुज़री यादों को संग गुज़री यादों को अब भुलाया नहीं जाता ! दिल में जगे जज़्बातों को अब सुलाया नहीं जाता !! झेल लिए ढेरो सितम उनके हर घड़ी,
Sachin Brahmvanshi
उल्हासपूर्ण सतरंग सहित, भिगो देंगे सभी को रोली में, अब की बार होली में! आमादप्रमोद के दृश्य दिखेंगे, चहु ओर सभी की खोली में, अब की बार होली में! परसेवा, परप्रेम, परहित, संदेशा यही दे हर एक गीत, ऊँच-नीच की देहरी लाँघ, समभावी रंग गढ़े जाएँ, घर-घर की रंगोली में, अब की बार होली में! जश्न मनेगा अब त्रिभुवन में, बनेगा हर कोई प्रिय नंदलाल, वही कृष्ण है, वही गोपाल, दर्शित होंगे गिरधर-राधिका, हर एक बाल व गोरी में, अब की बार होली में! दहन करें विषादपूर्ण जीवन का, कहीं और नहीं होलिका भोली में, प्रेम के गुलशन खिल जाएँगे, होंगी खुशियाँ सब की झोली में, अब की बार होली में! - सचिन अ. पाण्डेय 'सत्यवीर' #NojotoQuote 😍Wish you all a very blissful and safe Holi🙏 🤗Read the complete poem in caption👇 अब की बार होली में! उल्हासपूर्ण सतरंग सहित, भिगो देंगे