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theABHAYSINGH_BIPIN
White तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में, तपने दो इस बदन की जलती आग में। बरसों मुझ पर बादल-सा बरसा करो, बह जाने दो मुझे दरिया की धार में। घटा बनके छाई तेरी ज़ुल्फ़ें घनी, खो जाने दो मुझे मखमली छांव में। ऐशगाह अब वीरान क्यों लगता है, ले चलो मुझे ख़्वाबों की गोद में। अरसों से खुद को सँवारा है मैंने, बांध लो अब मुझे नैनों के जाल में। लौट गए जज़्बातों के सारे खरीदार, मैं बिक गया बस इश्क़ के बाज़ार में। थक चुका हूं मैं इस कच्ची सर्दी से, ले चलो मुझे इश्क़ की गरमाहट में। ढूंढते रहे जो मुझे शहर के शोर में, अब बसा हूं 'अभय' कुदरत के गांव में। ©theABHAYSINGH_BIPIN #sad_shayari तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में, तपने दो इस बदन की जलती आग में। बरसों मुझ पर बादल-सा बरसा करो, बह जाने दो मुझे दरिया की धार
#sad_shayari तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में, तपने दो इस बदन की जलती आग में। बरसों मुझ पर बादल-सा बरसा करो, बह जाने दो मुझे दरिया की धार
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
उतार दो अपने बदन की हरारत मुझ पर, इस सर्द दिसंबर को जून कर दो। लहू में बसा है अब तेरा शरारत का सफर, मेरे ख्वाबों को शोलों सा सुलगा दो। जाग रहा है इश्क़ का कबूतर खत पर, तेरे अंगों की महक में बिखेर दो। मेरे होठों पे उकेर, अपनी सासों की लकीर, इस रात को मुझे अपने बदन में बसा दो। भड़क रही है आग तेरे बदन की लहरों में, तेरी छुअन से हर नस को झुलसा दो। कबसे क़ैद है इश्क़ का ये सिपाही, अपने कोमल स्पर्श से आज़ाद कर दो। हर सांस तेरे रिदम से बंधी है अब, तेरे बदन की नर्म लकीरों में खो जाने दो। हवाओं में मिलकर जलते हुए इन लम्हों को, मेरी हर शरारत को ख़ुद में समा लो। ©theABHAYSINGH_BIPIN #erotica उतार दो अपने बदन की हरारत मुझ पर, इस सर्द दिसंबर को जून कर दो। लहू में बसा है अब तेरा शरारत का सफर, मेरे ख्वाबों को शोलों सा सुलग
#erotica उतार दो अपने बदन की हरारत मुझ पर, इस सर्द दिसंबर को जून कर दो। लहू में बसा है अब तेरा शरारत का सफर, मेरे ख्वाबों को शोलों सा सुलग
read moreनवनीत ठाकुर
"उठाओ जाम, बहा दो हर ग़म की याद, आज के पल में छुपा है हर सवेर का राज। हँसी में डूबा दो हर दर्द की बात, दिलों में फिर से बसा दो वो पुराना साथ, मयखाना खोल दो, मिले हैं यार दो साल बाद।" हर दिल से मिटा दो दूरी की साज़िश, महफ़िल को बना दो जन्नत की सौगात।" ©नवनीत ठाकुर "उठाओ जाम, बहा दो हर ग़म की याद, आज के पल में छुपा है हर सवेर का राज। हँसी में डूबा दो हर दर्द की बात, दिलों में फिर से बसा दो वो पुराना साथ
"उठाओ जाम, बहा दो हर ग़म की याद, आज के पल में छुपा है हर सवेर का राज। हँसी में डूबा दो हर दर्द की बात, दिलों में फिर से बसा दो वो पुराना साथ
read moreneelu
White भजन सुनते थे बचपन में.. घर ना किसी का बसा सको तो झोपड़िया मत जला देना.. मरहम पट्टी कर ना सको तो घाव भी मत लगा देना दीपक बनकर जल ना सको तो अंधाय1रा भी मत करना पुष्प नहीं बन सकते तो फिर कांटे बनकर मत रहना.... मुबारक हो हमने कर दिखाया ©neelu #love_shayari #भजन #सुनते थे बचपन में.. घर ना किसी का बसा सको तो #झोपड़िया मत जला देना.. मरहम पट्टी कर ना सको तो घाव भी मत लगा देना #दी
#love_shayari #भजन #सुनते थे बचपन में.. घर ना किसी का बसा सको तो #झोपड़िया मत जला देना.. मरहम पट्टी कर ना सको तो घाव भी मत लगा देना दी
read moreAnjali Singhal
"हर पल ही मैं देखूँ तुझको, बसा हुआ है तू मेरी आँखों में; मैं तेरा चेहरा हूँ तू मेरा दर्पण है। रूह को जो रूह से बाँधे, ऐसा तेरा मेरा बंधन है;
read moreIG @kavi_neetesh
White चांदनी रात शरद पूर्णिमा पुरे शबाब पर है। जीवन तो चल रही है यु ही आजकल लोग हों रहें हैं चांद, तारों से दूर जिंदगी जीए जा रहें हैं जैसे कोई हिसाब पर है। शरद की पुर्णिमा तो बरस रही है। कृष्ण से मिलने को राधा तरस रही है। अब न जाने रास क्यों नहीं हो रहा है। दुःख से तड़प रहा इंसान,मानव भगवान से दूर कहीं खो रहा है। इसलिए इंसान रो रहा है। शरद पूर्णिमा की चांद की खुबसूरती जैसे प्रिया मिलन को सजी है। गहरे आकाश के माथे पर बसी कोई दुल्हन की बिंदी है। मंद मंद हवा बह रही है रात शीतल है। पेड़ पौधों के पत्ते डोल रहें हैं। तारों की बारात लेकर शरद की पुर्णिमा की चंद्रमा सुंदर सजी है। शरद पूर्णिमा में मैं बेगाना कवि प्रियसी की याद में रो रहा हूं। कब वो देंगी दर्शन मुझे बस यही चांद को देख सोच रहा हूं। वादियों में आज अजीब सा नशा है। क्यों की इस चांदनी रात में उसकी याद दिल में बसा है। जनम जनम से उसकी ही तलाश है। इस शरद पूर्णिमा में उस प्रभु से मिलन की आस है। ©IG @kavi_neetesh #sunset_time Hinduism प्रेम कविता हिंदी कविता हिंदी दिवस पर कविता देशभक्ति कविताकविता। शरद पूर्णिमा। चांदनी रात शरद पूर्णिमा पुरे शबाब प
#sunset_time Hinduism प्रेम कविता हिंदी कविता हिंदी दिवस पर कविता देशभक्ति कविताकविता। शरद पूर्णिमा। चांदनी रात शरद पूर्णिमा पुरे शबाब प
read moreAnjali Singhal
"मेरी नज़र का हर सफ़र, तुझ पर ही आकर ठहरा है; कहने को तो तू मेरा नहीं, पर दिल कहता तू मेरा है। थाम कर तू धड़कन अपनी, दिल की भी ज़रा सुन लेन
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