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Radhe Mohan Giri
सिसा से कभी पथर नहीं टूटती है और जिस में दम है वहीं बाज़ीगर होता है कविता सारांश
Nagendra Dahayat
ना हारना जरूरी ना जीतना जरूरी जो रूठ गए ना उनको मना ना जरूरी यह जिंदगी है साहब बस इसे समझना जरूरी है ©nagendra dahayat ©nagendra dahayat जिंदगी का सारांश
Shailendra Singh Yadav
एकान्त मे शान्त हैं घोर निराशा के पल हैं गुजर जायेंगे। किसी को नहीं पता कहाँ से आये हैं किधर जायेंगे। शायरः-शैलेन्द्र सिंह यादव #NojotoQuote शैलेन्द्र सिंह यादव की कविता एकान्त में।
SHAILESH RANA
क्या लिखूं, मैं अमर कथा। या जो मिला है वह अभिशाप लिखूं ।। इस जीवन की दोड़ भाग में। जो मिला नहीं तनिक विराम लिखूं।। अपनों की मित्रता प्रगाढ़ लिखूं। या ह्रदय की व्यथा अपार लिखूं।। वियोग का पूर्ण सार लिखूं। उम्मीदों का संसार लिखूं,।। या किस्मत की मैं हार लिखूं। उमंगो का प्रभात लिखूं, या शोक भरी मैं रात लिखूं क्या लिखूं, मैं अमर कथा। या जो मिला है वह अभिशाप लिखूं ।।....):- मेरी कविता का सारांश #srtheshayar #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqhindi #yqkavita #yqshayari #yqdada
शैलेश राणा
क्या लिखूं, मैं अमर कथा। या जो मिला है वह अभिशाप लिखूं ।। इस जीवन की दोड़ भाग में। जो मिला नहीं तनिक विराम लिखूं।। अपनों की मित्रता प्रगाढ़ लिखूं। या ह्रदय की व्यथा अपार लिखूं।। वियोग का पूर्ण सार लिखूं। उम्मीदों का संसार लिखूं,।। या किस्मत की मैं हार लिखूं। उमंगो का प्रभात लिखूं, या शोक भरी मैं रात लिखूं क्या लिखूं, मैं अमर कथा। या जो मिला है वह अभिशाप लिखूं ।।....):- मेरी कविता का सारांश #srtheshayar #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqhindi #yqkavita #yqshayari #yqdada
Ajay Kumar Dwivedi
कलम और कागज़ जब भी एकांत मे होता हूँ लेखनी स्वयं उठ जाती है। जो कुछ चलता मेरे मन में कागज पर लिख जाती है। जीवन के इस चक्रव्यूह मे अक्सर उलझा रहता हूँ। दुख हो या हो सुख दोनों को हसते हसते सहता हूँ। होती जब भी बोझिल आँखें सब कुछ ही कह जाती है। जो कुछ चलता मेरे मन में कागज पर लिख जाती है। सुख मे तो सब हसते है मुझे दुख मे हसना पड़ता है। पांव चाहें थके हो कितने पर मुझको चलना पड़ता है। हृदय से निकली बातें जिभ्यां पर आते ही रूक जाती है। जब भी एकांत मे होता हूँ लेखनी स्वयं उठ जाती है। कभी-कभी मन कहता है सब मुझको ही क्यों दिखता है। देख तरक्की मानव की यहां मानव ही क्यों जलता है। एक अमीर के सम्मुख गरीब की इज्जत क्यों घट जाती है। जो कुछ चलता मेरे मन में कागज पर लिख जाती है। मान और सम्मान से ज्यादा पैसा सबको प्यारा है। रिश्ते नाते झूठे जग में बस दौलतमंद हमारा है। बड़ी गजब है अजय गरीबी सब कुछ ही सह जाती है। जब भी एकांत मे होता हूँ लेखनी स्वयं उठ जाती है। जब भी एकांत मे होता हूँ लेखनी स्वयं उठ जाती है। जो कुछ चलता मेरे मन में कागज पर लिख जाती है। जब भी एकांत मे होता हूँ लेखनी स्वयं उठ जाती है। अजय कुमार व्दिवेदी Copyright@ajaykumardwivedi #ajaykumardwivedi कविता जब भी एकान्त मे होता हूँ ।
अमित नैथानी 'मिट्ठू'
दुनिया को उतना ही खूबसूरत होना चाहिए था , जितनी वो मेरे हिस्से की खिड़कियों से दिखती थी। एकान्त
ganesh suryavanshi
एकान्त ही सही... ना वाद -विवाद.... जिंदगी खुबसूरत हैं जऩाब.... उलझने के बजाऐं मूश्किलें सूलझाने के लिऐ.. अकेला ही रहेना बेहतर हैं... ©ganesh suryavanshi एकान्त
Harshada_Dhumal
मनात होणाऱ्या गप्पा नेहमी एकटेपणातच रमतात कारण , आपल्या मनीचे भाव इतरांना थोडीच कळतात... ©Harshada_Dhumal #एकान्त