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Stories related to पैसेंजर ट्रेन कब चालू होगी

theABHAYSINGH_BIPIN

#walkingalone राहों की खोज चलते रहिए आगे, बढ़ते रहिए आगे, कहीं तो मक़ान होगा, कहीं तो मंज़िल होगी।

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राहों की खोज

चलते रहिए आगे,
बढ़ते रहिए आगे,
कहीं तो मक़ान होगा,
कहीं तो मंज़िल होगी।

मिलते रहिए अपनों से,
मिलते रहिए गैरों से,
कहीं तो एहसास होगा,
कहीं तो पहचान होगी।

हाथ बढ़ाते रहिए,
हिम्मत बढ़ाते रहिए,
कहीं तो पुकार होगी,
कहीं तो सांस होगी।

लड़ते रहिए अंधेरों से,
लड़ते रहिए धुंध-कोहरे से,
कहीं तो आसमान होगा,
कहीं तो रोशनी होगी।

सदैव बढ़ते रहिए,
चौकस रहिए हर वक्त,
कहीं तो लकीर होगी,
कहीं तो नज़र होगी।

डरना क्यों है दोपहरी से,
उत्साह भरते रहिए,
कहीं तो धूप होगी,
कहीं तो छांव होगी।

अग्रसर रहिए जलधारा में,
थमने न पाए विजयी रथ,
कहीं तो मिट्टी होगी,
कहीं तो पत्थर होगी।

साधते रहिए हिम्मत,
सौर्य के गीत भी गाते रहिए,
कहीं तो सफ़लता होगी,
कहीं तो विजयी होगी।

©theABHAYSINGH_BIPIN #walkingalone 

राहों की खोज

चलते रहिए आगे,
बढ़ते रहिए आगे,
कहीं तो मक़ान होगा,
कहीं तो मंज़िल होगी।

रिपुदमन झा 'पिनाकी'

#कब

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White ज़िन्दगी  पूछती  है  ज़िन्दगी  जियोगे  कब।
स्वाद इस ज़िन्दगी की मौज का चखोगे कब।
ऊम्र अपनी बिता रहे हो फंँस के उलझन में -
आसमाँ  पर  उड़ानें सपनों की  भरोगे  कब।

आप खुद  से बताओ  यार अब  मिलोगे कब।
क़ैद कर रखा है खुद को जो तुम खुलोगे कब।
पालते हो  क्यूँ  दिल में  ग़म  उदास  रहते  हो-
रंग  जीवन में अपने खुशियों की  भरोगे  कब।

जी रहे हो घुटन में खुल के साँस लोगे कब।
दुःख के दुश्मन को हौसलों से मात दोगे कब।
कुछ  नहीं  मिलता  है औरों  के लिए जीने से-
हो चुके  सब  के  बहुत अपने बता  होगे कब।

रिपुदमन झा 'पिनाकी' 
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©रिपुदमन झा 'पिनाकी' #कब

Himanshu Prajapati

#love_shayari तुझे चाहूं तुझे देखूं कब तक, तुझे बुलाऊं तुझे तराशूं कब तक, तु तो रहतीं हैं अब किसी और के जहां में.. तुझे अपनाऊं या भुल जाऊ कब

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White तुझे चाहूं तुझे देखूं कब तक,
तुझे बुलाऊं तुझे तराशूं कब तक,
तु तो रहतीं हैं अब किसी और के जहां में..
तुझे अपनाऊं या भुल जाऊ कब तक..!

©Himanshu Prajapati #love_shayari तुझे चाहूं तुझे देखूं कब तक,
तुझे बुलाऊं तुझे तराशूं कब तक,
तु तो रहतीं हैं अब किसी और के जहां में..
तुझे अपनाऊं या भुल जाऊ कब

theABHAYSINGH_BIPIN

दुखों का घड़ा सिर पर रख कब तक घूमोगे, जज़्बातों से भरा है दिल तेरा, कब बोलोगे। खुद की बंदिशों में दम अब घुट रहा है मेरा, पड़ी ज़ंजीरों से ख़

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दुखों का घड़ा सिर पर रख कब तक घूमोगे,
जज़्बातों से भरा है दिल तेरा, कब बोलोगे।
खुद की बंदिशों में दम अब घुट रहा है मेरा,
पड़ी ज़ंजीरों से ख़ुद को कब तक बाँधोगे।

वक़्त के साथ बेहिसाब ग़लतियाँ की हैं तुमने,
सलाखों के पीछे ख़ुद को कब तक छुपाओगे?
जो कभी साथ छांव सा था, वह अब छूट गया,
आख़िर खुद से ये जंग कब तक लड़ोगे।

लोग माफ़ी देते हैं एक-दूसरे को अक्सर,
आख़िर तुम खुद को कब तक सताओगे।
रिहाई जुर्म से नहीं मिलती, यह तो मालूम है,
आख़िर ग़लतियों पर कब तक पछताओगे।

प्रकृति में सूखी डालें भी बहार में पनपती हैं,
खुद को सहलाने का वक़्त कब तक टालोगे।
वक्त हर नासूर बने ज़ख्मों को भी भरता है,
आख़िर ज़ख्मों को भरने से कब तक डरोगे।

©theABHAYSINGH_BIPIN दुखों का घड़ा सिर पर रख कब तक घूमोगे,
जज़्बातों से भरा है दिल तेरा, कब बोलोगे।
खुद की बंदिशों में दम अब घुट रहा है मेरा,
पड़ी ज़ंजीरों से ख़

theABHAYSINGH_BIPIN

#love_shayari वक़्त के तराजू पर कब तक तौलते, बुरे वक्त की आहट को कब तक टालते। एहसासों को रखकर हाशिये पर, प्यार से यूँ ही कब तक भागते। हर

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White वक़्त के तराजू पर कब तक तौलते,
बुरे वक्त की आहट को कब तक टालते।
एहसासों को रखकर हाशिये पर,
प्यार से यूँ ही कब तक भागते।

हर दर्द के पीछे कोई बात होती है,
हर खामोशी में एक आवाज़ होती है।
पलकों के साए से कब तक छिपोगे,
दिल की पुकार से कब तक बचोगे।

प्यार बुरा है, ये बहाना कब तक,
खुद से दूरी का फसाना कब तक।
वक्त की इस रेत पर नाम लिखो,
एक बार प्यार से अपनी राह चुनो।

©theABHAYSINGH_BIPIN #love_shayari 

वक़्त के तराजू पर कब तक तौलते,
बुरे वक्त की आहट को कब तक टालते।
एहसासों को रखकर हाशिये पर,
प्यार से यूँ ही कब तक भागते।

हर

theABHAYSINGH_BIPIN

#good_night ज़िंदगी में आज़माइश तो होगी, ज़िंदगी से फरमाइश तो होगी। अगर न मिले चाहत के मोती, तो ज़िंदगी से शिकायत तो होगी। कैसे करूँ मैं

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White ज़िंदगी में आज़माइश तो होगी,
ज़िंदगी से फरमाइश तो होगी।
अगर न मिले चाहत के मोती,
तो ज़िंदगी से शिकायत तो होगी।

कैसे करूँ मैं प्यार की नुमाइश,
अंत तक ख़्वाहिश तो होगी।
हाथ थामे रखना, जब तक जान है,
छोड़ते वक्त, इतनी गुज़ारिश तो होगी।

यह दुनिया की रीतें खोखली हो गईं,
मोहब्बत में मुझको रियायत तो होगी।
जिगर को कैसे दबाकर बैठा हूँ,
लग जा गले से, ख़्वाहिश तो होगी।

©theABHAYSINGH_BIPIN #good_night 

ज़िंदगी में आज़माइश तो होगी,
ज़िंदगी से फरमाइश तो होगी।
अगर न मिले चाहत के मोती,
तो ज़िंदगी से शिकायत तो होगी।

कैसे करूँ मैं

Akshita Gautam

सिर्फ नीयत साफ रखो हर गलती माफ होगी।

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Parasram Arora

कब?

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Unsplash मेरी बिगड़ेल  चाहतो 
से मुझे राहत मिलेगी कब?

मेरे शरारती स्वार्थी तत्व 
आखिर कब समझ पायगे जीवन का यथार्थ?

मेरा मौन  चिल्लाना चाहता है युगो से 
आखिर उनकी आवाज़ मै सुन पाऊंगा कब?

©Parasram Arora कब?

Ravi_bhagat11

ईंटें बनाने की ऐसी तकनीक नहीं देखी होगी #trenging आज का विचार

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Praveen Jain "पल्लव"

#sad_quotes इंसानियत का आसमान कब तक साफ होगा

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White पल्लव की डायरी
कब छटेगे दुविधाओं के बादल
साफ कभी अरमानो का आसमान होगा
खता हमने कुछ की नही
फिर कहर कियो हम सत्ता का झेल रहे है
कण कण में भगवान रहते
फिर सर्वे कर गुमराह कियो है
सियासी दाँव मजहब बन गया
इंसानियत का आसमान कब तक साफ होगा
                                           प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #sad_quotes इंसानियत का आसमान कब तक साफ होगा
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