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Yashpal singh gusain badal'
White जो प्रकृति के साथ उत्पन्न हुआ, वही सनातन है, सत्य है वही ! मिश्रण हीन ! प्राकृतिक ! धर्म निष्काम परोपकार कर्तव्य का प्रतिमान है, कर्तव्यों को धारण करना ही धर्म है, धर्म कभी बृद्ध नहीं होता है, धर्म समृद्ध होता जाता है समय के साथ, धर्म की उत्पत्ति कोई नहीं करता, धर्म बांधता नहीं, धर्म मुक्त करता है, धर्म स्वतंत्रता का समर्थन है, धर्म जीवन को सरल बनाता है, ©Yashpal singh gusain badal' धर्म
धर्म
read moreShailendra Anand
White रचना दिनांक 17फरवरी 2025 वार सोमवार समय दोपहर 12 बजे यह दीक्षार्थीहै नागा साधु संन्यासी में, कई ऐसे साधक साधना प्रकृति से, प्रेम करने वाले होते हैं दीक्षा संस्कार से पहले सांसारिक सुख मोह और जिज्ञासा लालसा तलफ तड़फ से पैदा हुए जीवन पर आधारित संयम सिखाया जाता है।। नाकि सिर्फ अपने गुरु से हवा, पानी, अग्नि, सुर्य प्रकाश में तप तपस्या से ध्यान योग योगासन उपवास करना और तांत्रिक, मांत्रिक, हठयोग, जैसी कई प्रक्रियाओं से गुजरने के पश्चात ही सनातन विचार सच में दत्त अखाड़ा के सान्निध्य में नागा साधु संन्यासी बनाया जा सकता है।। ््कवि शैलेंद्र आनंद 17 फरवरी2025 ©Shailendra Anand #sad_qoute धर्म संस्कृति में संन्यास आश्रम और अपने कर्म से निवृत्त होकर पवित्र और पूजनीय है ्््््कवि शैलेंद्र आनंद
#sad_qoute धर्म संस्कृति में संन्यास आश्रम और अपने कर्म से निवृत्त होकर पवित्र और पूजनीय है ्््््कवि शैलेंद्र आनंद
read moreN S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} जय श्री राधेकृष्ण जी!! कर्म तो करना है, लेकिन कर्म और उसके फल की आसक्ति से रहित होकर। इस तरह कर्म करने से कर्म प्रवाह का अंत होकर कर्म केवल क्रिया मात्रा रह जायेंगे और जीव कर्म बंधन से मुक्त हो जायेगा। ©N S Yadav GoldMine #Thinking {Bolo Ji Radhey Radhey} जय श्री राधेकृष्ण जी!! कर्म तो करना है, लेकिन कर्म और उसके फल की आसक्ति से रहित होकर। इस तरह कर्म करने स
#Thinking {Bolo Ji Radhey Radhey} जय श्री राधेकृष्ण जी!! कर्म तो करना है, लेकिन कर्म और उसके फल की आसक्ति से रहित होकर। इस तरह कर्म करने स
read morePooja Udeshi
White कर्म अच्छा किया पता है बुरा भी किया तो अपनों की खातिर किया पता है पर बुरा किया ही क्यो ये तेरी खता है और जो ईश्वर देगा वो तेरी सजा है ये तू भी जानता है..... ©Pooja Udeshi #GoodMorning #कर्म
Satish Kumar Meena
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset लहरों से नौका पार नहीं होती बल्कि पतवार को चलाना ही पड़ेगा उसी प्रकार बिना कर्म किए कुछ हासिल नहीं किया जा सकता है। ©Satish Kumar Meena कर्म
कर्म
read moreusFAUJI
पिछले कर्म की छोड़ो आज़ के कर्म को ठीक रखों। ©usFAUJI कर्म #Life #कर्म
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी उगलती आग,झूठ का आधार है हिंसा से धर्म का होता शंखनाद है वैमनस्यता का शिकार होता आज समाज है सत्ता के दम पर, आगजनी पत्थरबाजों को प्रोत्साहन है घृणा की लगी है चिंगारी नारो और बयानबाजी से खतरे में समाज है जीने नही दोगे सभ्यताओं को अगर हर कालखण्ड को दोहराओ को मुर्दे कब्र से निकालकर ढोंग धर्म का फैलाओगे साजिशों से एकता अखण्डता खण्डित कर महापुरुषों के चरित्रों और आदर्शों को जलाओगे प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Likho हिंसा से होता धर्म का शंखनाद है
#Likho हिंसा से होता धर्म का शंखनाद है
read moreShailendra Anand
रचना दिनांक 30,, नवम्बर,,2024 वार शनिवार समय। सुबह पांच बजे ्््भावचित्र ््् ्््निज विचार ््् ्््शीर्षक ््् ््््देश धर्म राष्ट्र कर्म ही पूजा और संविधान है,, जो जाति धर्म संप्रदाय वर्णाश्रम से सबको बांधकर रखें , वो हम में सबमें अनूठा प्रभावी रुतबा कायम दीप प्रज्जवलित करके, शहीदों की कूरबानियों का आयना नज़रिया सहज महज़ एक जीवंत, देशभक्ति गीत संविधान धर्म कर्म है ््् ््भावचित्र ्् ््निज विचार ्् माना कि मेरे मित्र कलम दवात कागज पर लिखकर दे सकता हूं कि आप अपने विचार रखे ताकि सही रूप से जीवन पद्धति में आचार विचार व्यक्तित्व में निखार आता रहे,, व्यक्ति मैं जिंदगी में व्यवहार में सहजता सरलता विनम़ता में कहीं ना कहीं परम्परागत रूप से अनुवांशिकी गुणात्मक परिवर्तन हर समाज में सभ्यता संस्कृति और इतिहास पुराण में तदसमयाअनुसार तदकालीनराज्य के राजवंश में एक मानसिकता से सजाया गया सत्ता पर काबिज लोगों में समसामयिक घटनाचक्र से और लेखक और कथाकार सजीव चित्रण में राजाओं और उनके परिवार या फिर सिपाहसालारों का इतिहास जरुर उदघृत किया गया हो सकता है।।1।। तब जो भी व्यक्ति अपनी अजब गजब अनौखा सवाल उठाने वाले प्रश्न प्रतिप्रश्न में जान की जोखिम में डालकर मृत्युदण्ड तक दे दिया जाता था,, पहले इन्सान को बोलने की आजादी नहीं रहती थी।।2।। हर युग में आम से खास मुलाकात प्रतिभा को निखारना स्वयं को अग्नि परीक्षा देते हुए की महापूरुष ने समाज सभ्यता संस्कृति में समकालीन परिदृश्य में नजर आ रही बदलाव कुरीतियों पर सदैव तत्पर रहते हुए अंकूश लगाना का प्रबल प्रभाव से सजाया गया है,, ,,यह एक ऐसा सवाल पूछा गयाहैजाति,धर्म,कर्म आधारित मापदण्ड से व्यक्ति अपनी दिशा आत्मप्रेम आत्मसात कर कुछ लगन से अलग से जीवन व्यतीत करते हुए समाज सभ्यता संस्कृति को दिशा देने वाला सदैव महापुरुष जाति बंधन मुक्त रहा है ।।3।। सकल मानव समाज सभ्यता के लिए सम्पूर्ण जीवन में एक स्वर पुकार नाद प्रेम से अन्तर्मन केपरिद़ष्य सम्मान किया गया है,, यह माना कि कुछ लोग अवश्य शासन में शामिल लोगों ने जातियों पर आधारित अत्याचार से यातना पीड़ित रहे होंगे किन्तु परन्तु करने वाले अच्छे लगते नहीं है सच तो सच्चाई है।। तो देश दुनिया सुनती हैं।।4।। पहले इन्सान बनाया मानव जीवन में ,, नरऔर नारी हैतो यह दुनिया में एक निशानी है,, तो जाति धर्म भाषा की बात बईमानी है।।5।। आज विश्व में सबसे विश्वसनीय और मुमकिन है,, जो धरती पर साकार लोक में पहुंच गई है।।6।। जन जन में जनमत सर्वेक्षण ज्ञान, दर्शन, विचार, विज्ञान, प्रेम और तकनीकी धमाल ने विश्व में तहलका मचाने वाली अग्नि परीक्षा हौड कुटनीतिज्ञ में मानसिक सम्प्रेषण शांति वार्ता करो,कार्रवाई दण्ड प्रक्रिया संहिता में कहा है,, काल से लेकर आज तक जनजीवन प्रभावित हुआ है सिर्फ भाग्य में लिखा गया जिसे हम अनुसरण करें जनसेवा ही मानव सेवा है।।7।। आज हम दिलों से ही इस दुनिया में सबसे विश्वसनीय है तो देश में अवाम में खुशहाली आती है संविधान से सजाया गया है,, वह हिन्दूस्तान सर्व धर्म समभाव निष्ठ विचार से ही पंथनिरपेक्ष धर्मनिरपेक्ष देश भारत प्रजातांत्रिक देश है जहां चाह वहां राह दिखाने वाले इस पैगाम लेकर चलते रहो जमाने में क्या रखा है।।8।। ््कवि शैलेंद्र आनंद ्् 30,, नवम्बर,,2024,,रचना दिनांक 30,, नवम्बर,,2024 वार शनिवार समय। सुबह पांच बजे ्््भावचित्र ््् ्््निज विचार ््् ्््शीर्षक ््् ््््देश धर्म राष्ट्र कर्म ही पूजा और संविधान है,, जो जाति धर्म संप्रदाय वर्णाश्रम से सबको बांधकर रखें , वो हम में सबमें अनूठा प्रभावी रुतबा कायम दीप प्रज्जवलित करके, शहीदों की कूरबानियों का आयना नज़रिया सहज महज़ एक जीवंत, देशभक्ति गीत संविधान धर्म कर्म है ््् ््भावचित्र ्् ््निज विचार ्् माना कि मेरे मित्र कलम दवात कागज पर लिखकर दे सकता हूं कि आप अपने विचार रखे ताकि सही रूप से जीवन पद्धति में आचार विचार व्यक्तित्व में निखार आता रहे,, व्यक्ति मैं जिंदगी में व्यवहार में सहजता सरलता विनम़ता में कहीं ना कहीं परम्परागत रूप से अनुवांशिकी गुणात्मक परिवर्तन हर समाज में सभ्यता संस्कृति और इतिहास पुराण में तदसमयाअनुसार तदकालीनराज्य के राजवंश में एक मानसिकता से सजाया गया सत्ता पर काबिज लोगों में समसामयिक घटनाचक्र से और लेखक और कथाकार सजीव चित्रण में राजाओं और उनके परिवार या फिर सिपाहसालारों का इतिहास जरुर उदघृत किया गया हो सकता है।।1।। तब जो भी व्यक्ति अपनी अजब गजब अनौखा सवाल उठाने वाले प्रश्न प्रतिप्रश्न में जान की जोखिम में डालकर मृत्युदण्ड तक दे दिया जाता था,, पहले इन्सान को बोलने की आजादी नहीं रहती थी।।2।। हर युग में आम से खास मुलाकात प्रतिभा को निखारना स्वयं को अग्नि परीक्षा देते हुए की महापूरुष ने समाज सभ्यता संस्कृति में समकालीन परिदृश्य में नजर आ रही बदलाव कुरीतियों पर सदैव तत्पर रहते हुए अंकूश लगाना का प्रबल प्रभाव से सजाया गया है,, ,,यह एक ऐसा सवाल पूछा गयाहैजाति,धर्म,कर्म आधारित मापदण्ड से व्यक्ति अपनी दिशा आत्मप्रेम आत्मसात कर कुछ लगन से अलग से जीवन व्यतीत करते हुए समाज सभ्यता संस्कृति को दिशा देने वाला सदैव महापुरुष जाति बंधन मुक्त रहा है ।।3।। सकल मानव समाज सभ्यता के लिए सम्पूर्ण जीवन में एक स्वर पुकार नाद प्रेम से अन्तर्मन केपरिद़ष्य सम्मान किया गया है,, यह माना कि कुछ लोग अवश्य शासन में शामिल लोगों ने जातियों पर आधारित अत्याचार से यातना पीड़ित रहे होंगे किन्तु परन्तु करने वाले अच्छे लगते नहीं है सच तो सच्चाई है।। तो देश दुनिया सुनती हैं।।4।। पहले इन्सान बनाया मानव जीवन में ,, नरऔर नारी हैतो यह दुनिया में एक निशानी है,, तो जाति धर्म भाषा की बात बईमानी है।।5।। आज विश्व में सबसे विश्वसनीय और मुमकिन है,, जो धरती पर साकार लोक में पहुंच गई है।।6।। जन जन में जनमत सर्वेक्षण ज्ञान, दर्शन, विचार, विज्ञान, प्रेम और तकनीकी धमाल ने विश्व में तहलका मचाने वाली अग्नि परीक्षा हौड कुटनीतिज्ञ में मानसिक सम्प्रेषण शांति वार्ता करो,कार्रवाई दण्ड प्रक्रिया संहिता में कहा है,, काल से लेकर आज तक जनजीवन प्रभावित हुआ है सिर्फ भाग्य में लिखा गया जिसे हम अनुसरण करें जनसेवा ही मानव सेवा है।।7।। आज हम दिलों से ही इस दुनिया में सबसे विश्वसनीय है तो देश में अवाम में खुशहाली आती है संविधान से सजाया गया है,, वह हिन्दूस्तान सर्व धर्म समभाव निष्ठ विचार से ही पंथनिरपेक्ष धर्मनिरपेक्ष देश भारत प्रजातांत्रिक देश है जहां चाह वहां राह दिखाने वाले इस पैगाम लेकर चलते रहो जमाने में क्या रखा है।।8।। ््कवि शैलेंद्र आनंद ्् 30,, नवम्बर,,2024,, ©Shailendra Anand Hinduism््देशभक्तिऔर संविधान में न्याय निष्ठा ही मानव धर्म कर्म है ्् कवि शैलेंद्र आनंद
Hinduism््देशभक्तिऔर संविधान में न्याय निष्ठा ही मानव धर्म कर्म है ्् कवि शैलेंद्र आनंद
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