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VEER NIRVEL
सिर झुका कर मोहतरमा की सारी बातें सुनी जाती हैं... पसंदीदा स्त्री से कभी बहस नहीं की जाती... #Veer_Ki_Shayari ©VEER NIRVEL सिर झुका कर मोहतरमा की सारी बातें सुनी जाती हैं... पसंदीदा स्त्री से कभी बहस नहीं की जाती... #Veer_Ki_Shayari
सिर झुका कर मोहतरमा की सारी बातें सुनी जाती हैं... पसंदीदा स्त्री से कभी बहस नहीं की जाती... #Veer_ki_Shayari
read moreBROKENBOY
Unsplash ज़माने से सुना था कि मोहब्बत हार जाती है, जो चाहत एक तरफ हो वो चाहत हार जाती है। कहीं दुआ का एक लफ्ज़ असर कर जाता हैं, और कभी बरसों की इबादत भी हार जाती है। ©BROKENBOY #traveling ज़माने से सुना था कि मोहब्बत हार जाती है, जो चाहत एक तरफ हो वो चाहत हार जाती है। कहीं दुआ का एक लफ्ज़ असर कर जाता हैं, और
#traveling ज़माने से सुना था कि मोहब्बत हार जाती है, जो चाहत एक तरफ हो वो चाहत हार जाती है। कहीं दुआ का एक लफ्ज़ असर कर जाता हैं, और
read moreYaad -E- November
कुछ ख्वाहिशें , बारिश की उन बूंदों की तरह होती हैं , जिन्हें पाने के लिए हथेलियां तो भीग जाती है पर हाथ हमेशा खाली ही रह जाते हैं .... wh
read moreMayuri Bhosale
❣️.......शायरी दिल की कहानी .......❣️ हर दिल मे छूपी है एक कहानी💌 पहले हमे लगती है ओ अपनी सहेली 👭 पर दिल के गहराई के समंदर तक जाकर 🌊🌊 देख लो ओ बन जाती है एक नई पहेली.....!!❓ ©Mayuri Bhosale दिल की कहानी की
दिल की कहानी की
read moreusFAUJI
White हर याद में जीवन का छोटा सा हिस्सा छूपा होता हैं ©usFAUJI हर कल यादें बन जाती हैं #Memories #usfauji #Son #Nojoto
Poet Kuldeep Singh Ruhela
White आखिर इंसान मजबूर हो ही जाता है वक्त के हाथों जब इंसान की लगी लगाई जॉब छूट जाती हैं कोई नहीं रहता साधन कमाई का जब सारी हिम्मत टूट जाती हैं और अपने भी साथ छोड़ जाते है! यही जीवन की सच्चाई है ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #जीवन आखिर इंसान मजबूर हो ही जाता है वक्त के हाथों जब इंसान की लगी लगाई जॉब छूट जाती हैं कोई नहीं रहता साधन कमाई का जब सारी हिम्मत ट
#जीवन आखिर इंसान मजबूर हो ही जाता है वक्त के हाथों जब इंसान की लगी लगाई जॉब छूट जाती हैं कोई नहीं रहता साधन कमाई का जब सारी हिम्मत ट
read moreकाव्य महारथी
आ. रवेंद्र पाल रसिक, मथुरा हिंदी कविता कविता कोश प्रेरणादायी कविता हिंदी कविताएं हिंदी दिवस पर कविता
read moreनवनीत ठाकुर
क्यों ज़िंदगी में ऐसे फ़ैसले कर रखे हैं, क्यों इतने बंधन पाल रखे हैं। इतनी लानतें बर्दाश्त करते हैं हम, जो हमारी इज़्ज़त पर रोज़ हमला करती है। रोज़ जूता मारती है ज़िंदगी मुँह पर, फिर भी हम उसे ख़ामोशी से सहते जाते हैं। ©नवनीत ठाकुर #क्यों बंधन पाल रखें हैं
#क्यों बंधन पाल रखें हैं
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