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Rashmi Vats
हर दर्द को अपना है बना लेतीं । हम स्त्रियां तकलीफ में भी हैं मुस्कुरा लेतीं। खुद रहती हैं बिखरी हुई, पर अपना आशियाना है बखूबी सजा लेतीं। एक आस लिए जीवन है जीती। खुश रखना है सभी को यही है चाहतीं। और कोई चाहत नही है उनकी, बस रिश्तों को सहेजना है जानती। अपनी ख्वाइशों को करती है दफ़न। निभाती हैं मान सम्मान और चलन। इन सबके बावजूद भी जब नही मिलता प्रेम, तो दो आसूं बहा गुजार देती हैं सारा जीवन। हर दर्द को अपना...। रश्मि वत्स । ©Rashmi Vats #स्त्री #प्रेम #वजूद #समर्पण
Mohit Kumar Goyal
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार । पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार ।।१ मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न । खाना सुत का अन्न तो , होना बिल्कुल सन्न ।।२ वृद्ध देख माँ बाप को , कर लो बचपन याद । ऐसे ही कल तुम चले , ऐसे होगे बाद ।।३ तीखे-तीखे बैन से , करो नहीं संवाद । छोड़े होते हाथ तो , होते तुम बरबाद ।।४ बच्चों पर अहसान क्या, आज किए माँ बाप । अपने-अपने कर्म का , करते पश्चाताप ।।५ मातु-पिता के मान में , कैसे ये संवाद । हुई कहीं तो चूक है , जो ऐसी औलाद ।।६ मातु-पिता के प्रेम का , न करना दुरुपयोग । उनके आज प्रताप से , सफल तुम्हारे जोग ।।७ हृदयघात कैसे हुआ , पूछे जाकर कौन । सुत के तीखे बैन से, मातु-पिता है मौन ।।८ खाना सुत का अन्न है , रहना होगा मौन । सब माया से हैं बँधें , पूछे हमको कौन ।।९ टोका-टाकी कम करो , आओ अब तुम होश । वृद्ध और लाचार हम , अधर रखो खामोश ।।१० अधर तुम्हारे देखकर , कब से थे हम मौन । भय से कुछ बोले नही , पूछ न लो तुम कौन ।।११ थर-थर थर-थर काँपते , अधर हमारे आज । कहना चाहूँ आपसे , दिल का अपने राज ।।१२ मातु-पिता के मान का , रखना सदा ख्याल । तुम ही उनकी आस हो , तुम ही उनके लाल ।।१३ २५/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार । पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार ।।१ मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न ।
Rajkumar Siwachiya
White बाथरूम म नहाते वक्त साबुन लगाते वक्त जैसे फिसलता है साबुन हमारे हाथों से ऐसे ही दिन बे दिन हमसे हमारी जवानी फिसलती जा रही है भले चाहे फिर हमको दिखे ना इसलिए पल पल का जीवन पुरे स्वाद के साथ जियो पुरे आनन्द के साथ जियो कल्ले जियो भीड़ मैं जियो यारों मैं जियो परिवारों मैं जियो भाईयों मैं जियो अनजानों मैं जियो बहनों मैं जीयों महबूब के साथ जियो महबूबा के साथ जियो पर जियो यारों पता नी कौनसा दिन कौन-सी घड़ी कौनसा वक्त कौनसा पल हमारा अंतिम हो सकता है 🙏 जय श्री राम 📿🚩🚩 ✨🎉✨♥️🔭📙🖋️ - Rajkumar Siwachiya ✍️♠️ ©Rajkumar Siwachiya Ye Zindagi Ye घड़ियां ना मिलेगी दुबारा जी लो पल पल जिंदगी का जी लो स्वादों में यारा ✨🎉✨♥️🔭📙🖋️ - Rajkumar Siwachiya ✍️♠️ #mountain #rajkumar
कवि: अंजान
White कहाँ ढूँढू सुकून तुझें इस जमानें में बिन राम के सुख कोई काम न आने में। वो किनारें भी ठहरे तो क्या ठहरें 'अंजान' मज़ा तो हैं राम नाम में डूब जानें में। ©कवि: अंजान #mountain #श्रीराम #Bhakti #Poetry #Shayari #भक्ति #भजन #कविता #शायरी
Sachin Pratap Singh