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faijan

बुलाती है मगर जाने का नाइ येदुनया है इधर जाने का नाइ jigar Khan Perfect💞 Neeraj Mishra masoom_ladka_09 kriSSWrites

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Pandey Sunil 🇮🇳

जेई करे मन से माई के प नाइ होला ,,,,,,,,,, अधूरा skp@basti time pass writting

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जेई करे मन से माई के पुजनिया, 
नाइ होला कबो उनके कवनो परेशानिया, 

माई कै महिमा जग में बड़ा है अपार हो, 
धन्य होई जाला जेई जाला माँ के द्वार हो, 
धन्य हई माई धन्य माई के चरनिया, 
नाइ होला ,,,,,,,,,, अधूरा 

skp@basti 
time pass writting जेई करे मन से माई के प
नाइ होला ,,,,,,,,,, अधूरा 

skp@basti 
time pass writting

D

#worldbeardday #Humour #Comedy #nojotohindi #Ac #jokes #beardDay बेचारे जब दाढ़ी न आये तो दवाई ढूंढते हैं जब आ जाती है तो नाइ ढूंढते

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आजकल के लड़कों की दाढ़ी जैसे सब के सब मेवाड़ की रियासत के सेनापति 😂😆 #Worldbeardday #Humour #Comedy #Nojoto #NojotoHindi #Ac #Jokes #beardDay 
बेचारे जब दाढ़ी न आये तो दवाई ढूंढते हैं जब आ जाती है तो नाइ ढूंढते

jai rangmanch

रामायण ।।जनक बचन सुनि सब नर नारी। देखि जानकिहि भए दुखारी॥ माखे लखनु कुटिल भइँ भौंहें। रदपट फरकत नयन रिसौंहें॥ कहि न सकत रघुबीर डर लगे बचन जन #विचार #नवश्रीमानवधर्मरामलीला #रमेशखन्ना #जयरंगमंच #jairanagmanch #navshrimanavdharamramlila

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Arpit Rathi

#dastaan #MajorMissing #longaloneway नए रास्ते है , नाइ मंजिले है.. पर उसकी झलक अभी भी मुजमे ऐसे है कि उन नए रास्तों में भी कही अपना पैन है #Poetry

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#dastaan #majormissing #longaloneway
नए रास्ते है , नाइ मंजिले है..
पर उसकी झलक अभी भी मुजमे ऐसे है कि उन नए रास्तों में भी कही अपना पैन है

Naveena Allad

#Dosti #my veers दोस्त वो है जो फ़ोन पे अचे से बात करने के बिना गलीयो से बात करते है वो है दोस्त दोस्त वो है जो बात हम किसीको नाइ बाथ थे वो

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#dosti #my veers
दोस्त वो है जो फ़ोन पे अचे से बात करने के बिना गलीयो से बात करते है वो है दोस्त 
दोस्त वो है जो बात हम किसीको नाइ बाथ थे वो

Vikas Sharma Shivaaya'

🙏सुंदरकांड 🙏 दोहा – 27 हनुमानजी माता सीता को प्रणाम करते है जनकसुतहि समुझाइ करि बहु बिधि धीरजु दीन्ह। चरन कमल सिरु नाइ कपि गवनु राम पहिं क #समाज

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🙏सुंदरकांड 🙏

दोहा – 27

हनुमानजी माता सीता को प्रणाम करते है
जनकसुतहि समुझाइ करि बहु बिधि धीरजु दीन्ह।
चरन कमल सिरु नाइ कपि गवनु राम पहिं कीन्ह॥27॥

हनुमानजी ने सीताजी को (जानकी को) अनेक प्रकार से समझा कर,कई तरह से धीरज दिया और फिर उनके चरण कमलों में सिर नवाकर
वहां से रामचन्द्रजी के पास रवाना हुए ॥27॥
श्री राम, जय राम, जय जय राम

हनुमानजी का लंका से वापस आना
हनुमानजी लंका से वापिस आते है
चलत महाधुनि गर्जेसि भारी।
गर्भ स्रवहिं सुनि निसिचर नारी॥
नाघि सिंधु एहि पारहि आवा।
सबद किलिकिला कपिन्ह सुनावा॥
जाते समय हनुमानजी ने ऐसी भारी गर्जना की,कि जिसको सुन कर राक्षसियों के गर्भ गिर गये॥समुद्र को लांघ कर हनुमानजी समुद्र के इस पार आए और उस समय उन्होंने किलकिला शब्द (हर्षध्वनि) सब बन्दरों को सुनाया॥

राका दिन पहूँचेउ हनुमन्ता।
धाय धाय कापी मिले तुरन्ता॥
हनुमानजीने लंका से लौट कर कार्तिक की पूर्णिमा के दिन वहां पहुंचे,उस समय दौड़ दौड़ कर वानर बडी त्वरा के साथ हनुमानजी से मिले॥

हनुमानजी का तेज देखकर वानर हर्षित होते है
हरषे सब बिलोकि हनुमाना।
नूतन जन्म कपिन्ह तब जाना॥
मुख प्रसन्न तन तेज बिराजा।
कीन्हेसि रामचंद्र कर काजा॥
हनुमानजी को देख कर सब वानर बहुत प्रसन्न हुए और उस समय वानरों ने अपना नया जन्म समझा॥हनुमानजी का मुख अति प्रसन्न और
शरीर तेज से अत्यंत दैदीप्यमान देख कर वानरों ने जान लिया कि हनुमानजी रामचन्द्रजी का कार्य करके आए है॥

हनुमानजी के साथ सभी वानर श्री राम के पास जाते है
मिले सकल अति भए सुखारी।
तलफत मीन पाव जिमि बारी॥
चले हरषि रघुनायक पासा।
पूँछत कहत नवल इतिहासा॥
और इसी से सब वानर परम प्रेम के साथ हनुमानजी से मिले और अत्यन्त प्रसन्न हुए।वे कैसे प्रसन्न हुए सो कहते हैं कि मानो तड़पती हुई मछलीको पानी मिल गया॥फिर वे सब सुन्दर इतिहास (वृत्तांत) पूंछते हुए और कहते हुए आनंद के साथ रामचन्द्रजी के पास चले॥

सुग्रीव का प्रसंग
वानरों का मधुवन के फल खाना
तब मधुबन भीतर सब आए।
अंगद संमत मधु फल खाए॥
रखवारे जब बरजन लागे।
मुष्टि प्रहार हनत सब भागे॥
फिर उन सबों ने मधुवन के अन्दर आकर युवराज अंगद के साथ वहां मीठे फल खाये॥जब वहां के पहरेदार बरजने लगे तब उनको मुक्को से ऐसा मारा कि वे सब वहां से भाग गये॥

आगे मंगलवार को ...,

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुंदरकांड 🙏

दोहा – 27

हनुमानजी माता सीता को प्रणाम करते है
जनकसुतहि समुझाइ करि बहु बिधि धीरजु दीन्ह।
चरन कमल सिरु नाइ कपि गवनु राम पहिं क

Divyanshu Pathak

एक बार सुबह सुबह ताऊजी ने गीत सुन लिया .... चोली के पीछे क्या है ? चोली के पीछे ! अब तो ताऊ जी पे सनक सबार हो गई आखिर चोली के पीछे है क्या ?

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चोली के पीछे क्या है ?😶
:

"ताऊ शेखावाटी"
एक दिन धुन सबार हो गई पता लगाके ही रहूँगा !
कैप्शन में ही पता लगाके रख देता हूँ
😀😁😁 
"रंगीला राजस्थान" एक बार सुबह सुबह ताऊजी ने गीत सुन लिया ....
चोली के पीछे क्या है ? चोली के पीछे ! अब तो ताऊ जी पे सनक सबार हो गई आखिर चोली के पीछे है क्या ?

Vikas Sharma Shivaaya'

ऊँ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट: ये अष्टदशाक्षर मंत्र दिव्य प्रभाव देता है, मंत्र महोदधी में कहा गया है, जिस घर में इस मंत्र का जाप होता ह #समाज

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ऊँ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट:
 ये अष्टदशाक्षर मंत्र दिव्य प्रभाव देता है, मंत्र महोदधी में कहा गया है, जिस घर में इस मंत्र का जाप होता है, वहां कभी भी कोई अनिष्ट नहीं होता। खुशहाली और सकारात्मकता का माहौल हर तरफ रहता है।

शत्रु और रोगों पर विजय-
 ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा। 

                    "सुन्दरकांड"
सुन्दरकांड में 526 चौपाइयाँ,
60 दोहे, 6 छंद और 3 श्लोक है।

सुन्दरकांड में 5 से 7 चौपाइयों के बाद 1 दोहा आता है।

हनुमानजी वानरों को समझाते है-
जामवंत के बचन सुहाए।
सुनि हनुमंत हृदय अति भाए॥
तब लगि मोहि परिखेहु तुम्ह भाई।
सहि दुख कंद मूल फल खाई॥1॥
जाम्बवान के (सुन्दर, सुहावने) वचन सुन कर हनुमानजी को अपने मन में वे वचन बहुत अच्छे लगे और हनुमानजी ने कहा की – हे भाइयो!आप लोग कन्द, मूल व फल खाकर समय बिताना, औरतब तक मेरी राह देखना,
जब तक कि मैं सीताजी का पता लगाकर लौट ना आऊँ॥1॥

श्रीराम का कार्य करने पर मन को ख़ुशी मिलती है-
जब लगि आवौं सीतहि देखी।
होइहि काजु मोहि हरष बिसेषी॥
यह कहि नाइ सबन्हि कहुँ माथा।
चलेउ हरषि हियँ धरि रघुनाथा॥2॥
जब मै सीताजीको देखकर लौट आऊंगा,तब कार्य सिद्ध होने पर मन को बड़ा हर्ष होगा॥यह कहकर और सबको नमस्कार करके,रामचन्द्रजी का ह्रदय में ध्यान धरकर,प्रसन्न होकर हनुमानजी लंका जाने के लिए चले
2॥

हनुमानजी ने एक पहाड़ पर भगवान् श्रीराम का स्मरण किया-
सिंधु तीर एक भूधर सुंदर।
कौतुक कूदि चढ़ेउ ता ऊपर॥
बार-बार रघुबीर सँभारी।
तरकेउ पवनतनय बल भारी॥3॥
समुद्र के तीर पर एक सुन्दर पहाड़ था।
हनुमान् जी खेल से ही कूद कर उसके ऊपर चढ़ गए॥
फिर वारंवार रामचन्द्रजी का स्मरण करके,बड़े पराक्रम के साथ हनुमानजी ने गर्जना की॥

हनुमानजी, श्रीराम के बाण जैसे तेज़ गति से, लंका की ओर जाते है-
जेहिं गिरि चरन देइ हनुमंता।
चलेउ सो गा पाताल तुरंता॥
जिमि अमोघ रघुपति कर बाना।
एही भाँति चलेउ हनुमाना॥4॥
जिस पहाड़ पर हनुमानजी ने पाँव रखे थे,वह पहाड़ तुरंत पाताल के अन्दर चला गया और जैसे श्रीरामचंद्रजी का अमोघ बाण जाता है,ऐसे हनुमानजी वहा से लंका की ओर चले॥

मैनाक पर्वत का प्रसंग:
समुद्र ने मैनाक पर्वत को हनुमानजी की सेवा के लिए भेजा-
जलनिधि रघुपति दूत बिचारी।
तैं मैनाक होहि श्रम हारी॥5॥
समुद्र ने हनुमानजी को श्रीराम का दूत जानकर मैनाक नाम पर्वत से कहा की –हे मैनाक, तू इनकी थकावट दूर करने वाला हो,इनको ठहरा कर श्रम मिटानेवाला हो,॥

मैनाक पर्वत हनुमानजी से विश्राम करने के लिए कहता है-
सिन्धुवचन सुनी कान, तुरत उठेउ मैनाक तब।
कपिकहँ कीन्ह प्रणाम, बार बार कर जोरिकै॥
समुद्रके वचन कानो में पड़ते ही
मैनाक पर्वत वहांसे तुरंत ऊपर को उठ गया,जिससे हनुमानजी उसपर बैठकर थोड़ी देर आराम कर सके और हनुमान जी के पास आकर,वारंवार हाथ जोड़कर, उसने हनुमानजीको प्रणाम किया॥

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' ऊँ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट:
 ये अष्टदशाक्षर मंत्र दिव्य प्रभाव देता है, मंत्र महोदधी में कहा गया है, जिस घर में इस मंत्र का जाप होता ह
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