Find the Latest Status about घाणा जालोर from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, घाणा जालोर.
Amin bhanu
सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ Amin bhanu Sangana शायरी की डायरी जालोर
Bharat Gehlot
मुफलिसी -गरीबी, दुश्वार -दुर्भर ,मुश्किल, भरत गहलोत जालोर राजस्थान
Bharat Gehlot
अल्फाज-शब्द, बेश्तर-बहुतायत ,बेशुमार, भरत गहलोत जालोर राजस्थान
Amin bhanu
न तू मिलने के अब क़ाबिल रहा है न मुज को वो दिमाग़ ओ दिल रहा है Khan Sab Snagana Amin bhanu sangana साँगाणा कविता की डायारी
Vachan Verma
मैं अस्पृश्यता का शिकार बोल रहा हूँ । हम तो सिर्फ़ राजनीतिक मुद्दों में चर्चा का विषय बनकर रह गए। सरकार के लिए वोट लेने का तरीका बनकर रह गए। हर बार के चुनावों में एक किस्सा बनकर रह गए। हर किसी के अस्पृश्यता का शिकार बनकर रह गए। भेदभाव हर जगह होता रहा मेरे साथ इसके भी गुनाहगार बनकर रह गए। हर हिस्से से पिछड़े हम, बिना सम्मान मिले रह गए। कभी मार दिया मुझे दो बूंद पानी के खातिर डर के साए में हम दुबक कर रह गए। ना मिला न्यायलय से न्याय मुझे सही ऐसे ही दर दर कि ठोकर खाते रह गए। यो कह रहा वचन वर्मा तुम हो जाओ एक साथ मिलकर लड़ो लड़ाई अपने हकों के लिए, शासक वर्ग को कर दो चौकन्ना हम आ गए अपने हिस्से के अधिकार लेने के लिए। Good&Positive Positivewriter ©Vachan Verma #Good_Positive #Positivewriter #goodpositivevibes #nojotopoetry #जालोर #water #india #untouchable prakriti goswami Pushpanjali Patel NIKHA
R.S. Meena
कर्मभूमि है 'रेवत ' जालोर, जन्मभूमि है 'खोह-दरीबा ' अलवर, पाँच सौ पन्द्रह किलोमीटर दूर। जिसके लिए है, दोनो एक ही, वो करते हैं अपने भाग्य पर गरुर।। #rsmalwar #yqdidi कर्मभूमि है 'रेवत' जालोर, जन्मभूमि है 'खोह-दरीबा' अलवर, से पाँच सौ पन्द्रह किलोमीटर दूर। जिसके लिए है दोनो एक ही, वो कर
R.S. Meena
कहानी अनसुनी भाई से मिलने अनुज आया, करने हमसें बातें चार। गये देखने किला जालोर का, हम भी मिलकर चार।। कहाँ से शुरू हुई कहानी, आओ तुम्हें सुनाता हूँ, सफर गाँव से जयपुर तक बस से लेकर जाता हूँ। मैं बैठा था अगली सीट पर, पीछे वाली उनकी थी, सब बैठे-बैठे ले रहे थे, नींद नहीं वो झपकी थी। नारायणी माता के पास पहुँचकर, करने लगे विचार। भाई से मिलने अनुज आया, करने हमसें बातें चार। गये देखने किला जालोर का, हम भी मिलकर चार।। तभी अचानक गिरा टूटकर, खिड़की का वो कांच, चेहरे और हाथ पर लग गए, टुकड़े-टुकड़े कांच। लगी चोट दोनों के, पर राहुल के चोट लगी कुछ ज्यादा, 'राहुल' है इस सफर का साथी और जीवन जीए है सादा। चोट का दर्द भुलकर, जयपुर पास आने को था बेकरार। भाई से मिलने अनुज आया, करने हमसें बातें चार। गये देखने किला जालोर का, हम भी मिलकर चार।। सुमित जी और शिम्भू जी के संग पहुँच गये किले के द्वार, भ्रमण किया घुमकर और लिया ज्ञान शिम्भू जी से अपार। छायाचित्र रहे संजोते, मेरे मोबाइल की शक्ति हुई निढाल, चढ़ने को तो चढ़ गए, पर उतरने में हो गई धीमी सब की चाल। किले से उतरकर घर को आये, तो भोजन मिला तैयार। भाई से मिलने अनुज आया, करने हमसें बातें चार। गये देखने किला जालोर का, हम भी मिलकर चार।। #rsmalwar कहानी अनसुनी भाई से मिलने अनुज आया, करने हमसें बातें चार। गये देखने किला जालोर का, हम भी मिलकर चार।। कहाँ से शुरू हुई
R.S. Meena
बस और होली होली से एक दिन पहले हुए सवार बस में जालोर से। थी सवारियाँ भरी हुई बस में खचाखच दोनो ओर से।। कर्मभूमि से जन्मभूमि जाने का उत्साह कम ना था, भरी हुई थी बस, मगर रंग खून का कम ना था । सफर तय करते हुए, आ पहुँचे गुलाबी शहर, लिया ऑटो का सहारा, पहुँचने को रामगढ़ मोड़, पहुँचे वहाँ, जहाँ से गाँव जाने वाली बस की है डगर । सवारियों के मन में थी होली के रंग में रंगने की होड़। आठ बजे की बस दो घण्टे पहले ही भर गई दोनो छोर से। थी सवारियाँ भरी हुई बस में खचाखच दोनो ओर से।। थी महिलाएँ बेचैन भीड़ में, लिए हुए गोदी में प्रहलाद को, कहीं गुस्सा था चेहरे पर, कहीं घूरती हुई नजरे प्रसाद को। नौंक-झौंक भी चली सवारी और परिचालक के बीच में, हुआ उठा के नीचे फेंकने का वाद, चढ़ती हुई भीड़ में। धीरे-धीरे चल रही थी बस, चरमरा रहे थे टायर जोर से, मेरे पैसे वापस नहीं दिए, आवाज दब गई भीड़ के शोर से। हिचकोले खाते हुए पहुँच गए अपने गाँव जालोर से। थी सवारियाँ भरी हुई बस में खचाखच दोनो ओर से।। बस और होली होली से एक दिन पहले हुए सवार बस में जालोर से। थी सवारियाँ भरी हुई बस में खचाखच दोनो ओर से।। कर्मभूमि से जन्मभूमि जाने का उत्साह
N S Yadav GoldMine
इस मंदिर के पास का वातावरण बेहद ताजा और आकर्षक है जानिए इस मंदिर के इतिहास के बारे में !! 🔱🔱 {Bolo Ji Radhey Radhey} सुंधा माता मंदिर :- 🎪 सुंधा माता मंदिर राजस्थान के जालौर जिले में स्थित सुंधा नाम की एक पहाड़ी पर स्थित चामुंडा देवी को समर्पित एक 900 साल पुराना मंदिर है। आपको बता दें कि यह मंदिर राजस्थान के एक मात्र हिल स्टेशन माउंट आबू से 64 किमी और भीनमाल महानगर से 20 किमी दूर है। अरावली की पहाड़ियों में 1220 मीटर की ऊंचाई पर स्थित चामुंडा देवी का यह मंदिर भक्तों के लिए एक पवित्र धार्मिक स्थल है। 🎪 गुजरात और राजस्थान के बहुत से पर्यटक इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं। इस मंदिर के पास का वातावरण बेहद ताजा और आकर्षक है। जैसलमेर के पीले बलुआ पत्थर से निर्मित यह मंदिर हर किसी को अपनी खूबसूरती से आकर्षित करता है। आपको बता दें कि इस मंदिर के अंदर तीन ऐतिहासिक शिलालेख हैं जो इस जगह के इतिहास के बारे में बताते हैं। यहां का पहला शिलालेख 1262 ईस्वी का है जो चौहानों की जीत और परमार के पतन का वर्णन करता है। दूसरा शिलालेख 1326 और तीसरा 1727 का है। सुंधा माता मंदिर का इतिहास :- 🎪 प्राचीन दिनों में इस मंदिर में पूजा नाथ योगी द्वारा की जाती थी। सिरोही जिले के सम्राट ने सोनाणी, डेडोल और सुंधा की ढाणी गाँवों में से एक नाथ योगी रबा नाथ जी को दी थी, जो उस समय सुंधा माता मंदिर में पूजा करते थे। नाथ योगी में से एक अजय नाथ जी में मृत्यु के बाद मंदिर में पूजा करने के लिए कोई नहीं था, इसलिए इसलिए राम नाथ जी (मेंगलवा के अयस) को जिम्मेदारी लेने के लिए वहां पर भेजा गया था। मेंगलवा और चितरोडी गाँवों की भूमि, नाथ योगी को जोधपुर के महाराजा जसवंत सिंह द्वारा दी गई थी। इसलिए मेंगलवा के नाथ योगी को अयस कहा जाता था। 🎪 आपको बता दें कि राम नाथ जी की मृत्यु के बाद उनके शिष्य बद्री नाथ जी सुंधा माता मंदिर में अयस बने और पूजा की जिम्मेदारी ली। इसके अलावा उन्होंने सोनानी, डेडोल, मेंगलवा और चितरोडी की भूमि की भी देखभाल की। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, वहां पर सभी प्रबंध करने के लिए कोई नहीं था, इसलिए मंदिर की देखभाल और पर्यटन का प्रबंधन करने के लिए एक ट्रस्ट (सुंधा माता ट्रस्ट) बनाया गया। सुंधा माता मंदिर जालोर में मेले का आयोजन :- 🎪 नवरात्रि के समय यहां पर मेले का आयोजन किया जाता है जिस दौरान गुजरात और आसपास के क्षेत्रों से पर्यटक बड़ी संख्या में सुंधा माता की यात्रा करते हैं। बता दें कि इस समय गुजरात द्वारा पालनपुर, डीसा और अन्य जगहों से नियमित बसें चलाई जाती हैं। सुंधा माता मंदिर खुलने और बंद होने का समय :- 🎪 सुंधा मंदिर खुलने का समय हर दिन सुबह 8 बजे है और बंद होने का समय शाम 6 बजे है। सुंधा माता मंदिर रोपवे की जानकारी :- 🎪 सुंधा माता मंदिर के दर्शन करने के लिए आप पैदल भी जा सकते है नही तो आप रोपवे की सर्विस भी ले सकते है। यह रोपवे 800 मीटर लम्बा है और खरीब 6 मिनट में आप को पहाड़ी पर बने मंदिर तक ले जायेगा, एक समय में एक ट्राली में 4 ही लोग जा सकते है। उड़न खटोले के टिकेट की कीमत 50रु है जिस में आने और जाने की सुविधा उपलब्द करायी जाती है । सुंधा माता मंदिर घूमने जाने का सबसे अच्छा समय :- 🎪 जो भी पर्यटक सुंधा माता मंदिर जाने की योजना बना रहें हैं। उनके लिए बता दें कि इस मंदिर के लिए यात्रा करने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक होता है। सर्दियों का मौसम इस क्षेत्र की यात्रा करने के लिए अनुकूल समय है। रेगिस्तानी क्षेत्र होने की वजह से राजस्थान गर्मियों में बेहद गर्म होता है जिसकी वजह से इस मौसम में यात्रा करने से बचना चाहिए। बारिश के मौसम में यहां की यात्रा करना सही नहीं है क्योंकि ज्यादा बारिश आपकी यात्रा का मजा किरकिरा कर सकती है। इसलिए सर्दियों के मौसम में ही आप इस मंदिर की यात्रा करें। सुंधा माता मंदिर कैसे जाये :- 🎪 सुंधा मंदिर के लिए कोई भी भारत के प्रमुख शहरों से परिवहन के विभिन्न साधनों से यात्रा कर सकते हैं। आपको बता दें कि सुंधा माता मंदिर जाने के लिए जालौर का निकटतम हवाई अड्डा 140 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जोधपुर में हैं। यह हवाई अड्डा मुंबई, दिल्ली और देश के अन्य प्रमुख महानगरों अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा पर्यटक सड़क मार्ग द्वारा सुंधा माता मंदिर की यात्रा करने वाले पर्यटक पर्यटक जोधपुर, जयपुर, अजमेर, अहमदाबाद, सूरत और मुंबई जैसे शहरों से आसानी से इस पर्यटन शहर तक पहुँच सकते हैं। ट्रेन द्वारा सुंधा माता मंदिर की यात्रा करने वाले पर्यटक जालौर रेलवे स्टेशन के लिए जोधपुर डिवीजन नेटवर्क, मुंबई और गुजरात से ट्रेन ले सकते हैं। ट्रेन से सुंधा माता मंदिर कैसे पहुंचें :- 🎪 सुंधा माता मंदिर की यात्रा ट्रेन द्वारा करने वाले पर्यटकों के लिए बता दें कि जालोर रेलवे स्टेशन उत्तर पश्चिम रेलवे लाइन पर पड़ता है। समदड़ी- भिलडी शाखा लाइन जालौर और भीनमाल शहरों को जोड़ती है। इस जिले में 15 रेलवे स्टेशन हैं। देश के अन्य प्रमुख शहरों से जालौर के प्रतिदिन कई ट्रेन उपलब्ध हैं। सुंधा माता मंदिर सड़क मार्ग से कैसे पहुंचें :- 🎪 अगर आप सड़क मार्ग सुंधा माता मंदिर जाना चाहते हैं तो बता दें कि राजमार्ग संख्या 15 (भटिंडा-कांडला राजमार्ग) इस जिले से गुजरता है। यहां के लिए अन्य शहरों से कोई बस मार्ग उपलब्ध नहीं हैं। जालौर का निकटतम बस डिपो भीनमाल में है जो लगभग 54 किमी दूर है। ©N S Yadav GoldMine #TechnologyDay इस मंदिर के पास का वातावरण बेहद ताजा और आकर्षक है जानिए इस मंदिर के इतिहास के बारे में !! 🔱🔱 {Bolo Ji Radhey Radhey} सुंधा