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Nisheeth pandey

अंतिम साँसें ले रहा हूँ, मैं हूँ साल दो हज़ार बीस, क्षमा प्रार्थी हूँ , नफ़रत और धृणा स्वाभाविक है, हर लिया है जो तुम्हारा बहुत कुछ, बच् #poetryunplugged #celibration #kahanikaar #CapableEnough #happynewyear2021 #thowback2020 #ManyThanks #Safer2020

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अंतिम साँसें ले रहा हूँ,
मैं हूँ साल दो हज़ार बीस,
क्षमा प्रार्थी  हूँ , 
नफ़रत और धृणा स्वाभाविक है,
 हर लिया है जो तुम्हारा बहुत कुछ, 
बच्चों से पिता को, 
बहन से भाई को, 
पत्नी से पति को, 
ना जाने कितने
रिश्तों से रिश्तों को,
उद्द्योग धंधा , ऐशो आराम, सुख चैन,
क्या क्या गिनाऊँ , लंबी ह सुचियाँ, द्वेष है,
क्रोध है, नाराज़गी है ,
घृणा है,
इच्छा यह सभी की है,
कब जाओगे,
कब आएगी चैन की नींद,

जा रहा हूँ, मैं हूँ
साल दो हज़ार बीस।।

दीवार की कील से,
 टूटने वाला ही है,
 अब मेरी साँसें,
 इतिहास बनने को हूँ तैयार ,
 मगर 
 मेरे भाई मेरे अजीज 
लौटाया भी है बहुत कुछ मैंने,
नदियों को किया स्वक्ष पानी,
पेड़ों को दी हरियाली, 
पहाड़ों के झरनोे की किया फिर जीवंत
बेघर पशु-पक्षियों को घर,
घुटती धड़कनों को दिया सांसें,
जीवन को समझाया प्रकृति का अर्थ,
रिश्तों को प्यार और मिलन,
बागों में फूलों की बहार,
सर्दी की बर्फ़,
गर्मी को शीतल हवाएं,
प्यासी मिट्टी को पिलाई बारिस की बूंदे,
ज़िंदगी को  प्रकृति की सौगात,
रखना याद 
हर हार के बाद है जीत,
हर दर्द की आह बताती है खूंशी का मोल, 
जा रहा हूँ,मैं हूँ 
साल दो हज़ार बीस।।

पीड़ा को नहीं
हर्ष को याद रखना,
दिखाया जो तुम्हें आईना,
उसे संजोग रखना,
प्रकृति से
अब और मत करना खिलवाड़,
संसार व्यक्तिगत नही ,
किसी की बपौती नहीं है, 
याद रखना,
ज़्यादा नहीं,थोड़े की है ज़रूरत,
स्वार्थ भरी ज़िंदगी की,
बदल लो सूरत,
खुशियों से भरा साल आएगा
दो हज़ार इक्कीस मेरे स्थान पर, 
जा रहा हूँ, मैं हूँ 
साल दो हज़ार बीस....

🙏निशीथ🙏

©Nisheeth pandey अंतिम साँसें ले रहा हूँ,
मैं हूँ साल दो हज़ार बीस,
क्षमा प्रार्थी  हूँ , 
नफ़रत और धृणा स्वाभाविक है,
 हर लिया है जो तुम्हारा बहुत कुछ, 
बच्

gopal soni

प्रकृति का ऐहसास #विचार

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यह प्रकृति का वो ऐहसास हैं, जो हर कोई पूरा नही कर पाता... प्रकृति का ऐहसास

विक्रम सिंह

प्रकृति का संकेत! #nojotovideo #विचार

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Rahul Pasricha

#प्रकृति का न्याय

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Raone

सबक प्रकृति का #बात

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इंसानों का ज़ुल्म प्रकृति भी क्या ख़ूब सह गयी ।






अब बस प्रकृति का सबक इंसानों के लिए बाकी रह गयी।।






राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी सबक प्रकृति का

Lyricist Gopal Boyal

प्रकृति का इन्तेक़ाम #विचार

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हाल बयां कर रहा है ये कुदरत 
खेल जो उसके साथ खेले है
शक्ल-सूरत बिगाड़ी है ना उसकी
तैयार हो जाओ अब बारी उसकी है
शक्ल क्या नश्ल भी बिगड़ जाएगी
जब पलटवार उसका होगा
एक बूंद नीर के लिए भी तरसेगा तू इंसान
जिस माटी की बिसात जो बिगाड़ी है तूने 
अब औकात तेरी मिट जाएगी
तू अगर चाहता है कि तेरा वज़ूद बना रहे
सवांर दे इस धरती को उसके गहनों से
लौटा दे वही खुसबू इस चमन की
और इस माँ का कर्ज उतार दे मय सुत 
फिर देख खुशियां-आनंद सिमटे नहीं सिमटेगा

©Lyricist Gopal Boyal प्रकृति का इन्तेक़ाम

mangalviras

प्रकृति का रंग #जानकारी

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om sinha

@प्रकृति का #आनंद # #न्यूज़

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Arora PR

प्रकृति का दर्द #कविता

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Shashi Bhushan Mishra

#प्रकृति का संदेश# #कविता

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बड़ी सिद्दत से चिड़िया घोंसला अपना बनाती है, 
कई तिनकों से डाली पर हुनर अपना दिखाती है, 

बड़े  ही  लार  से  सेती है अंडे पंख से ढककर, 
निकल पड़ते हैं चूजे फिर उन्हें दाना चुगाती है,

बड़े नाज़ोअदा से पालती कुछ दिन वो बच्चों को,
विरासत सौंप अनुभव की उन्हें उड़ना सिखाती है,

हिफाज़त में खड़ी रहती है हर पल पास बच्चों के,
यही  ममता  कुदरती उसको जग में माँ बुलाती है,

बहुत  जल्दी  ही बच्चे सीख लेते ख़ुद-परस्ती को, 
दिया हर सीख माँ का ज़िन्दगी भर काम आती है,

रहे  कुनबे  में  ज्यादातर  परिंदे  उम्रभर  'गुंजन',
प्रकृति  हर रूप में संदेश हम तक रोज लाती है,
    --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
       चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #प्रकृति का संदेश#
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