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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White ग़ज़ल :- तुम्हें दिल की धड़कन बना लूँ । न देखे कोई मैं छुपा लूँ ।।१ सजा कर तेरी माँग को मैं । तुम्हें दिल की रानी बना लूँ ।।२ दफन कितने अरमान दिल में । ठहर तो जरा मैं मिटा लूँ ।।३ बुरा ही कहेगा जमाना । अगर गोद में जो उठा लूँ ।।४ खिलेंगे सुमन भी चमन में । कदम इश्क़ में जो बढ़ा लूँ ।।५ इजाजत हमें तुम अगर दो । नज़र से नज़र मैं मिला लूँ ।।६ प्रखर हर्ज तुमको नहीं तो । उसे देख कर मुस्कुरा लूँ ।।७ २२/०४/२०२४ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- तुम्हें दिल की धड़कन बना लूँ । न देखे कोई मैं छुपा लूँ ।।१ सजा कर तेरी माँग को मैं । तुम्हें दिल की रानी बना लूँ ।।२ दफन कितने अरमान द
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- प्यार में मनमर्जियाँ अच्छी लगे । मिल गले सरगोशियाँ अच्छी लगे ।।१ यार बिन कुछ भी नहीं भाता मुझे । गम कि फिर तंहाइयाँ अच्छी लगे ।।२ आ सँवरकर सामने मेरे कभी । मुझको तेरी शोखियाँ अच्छी लगे ।।३ सुर्ख कर लो होंठ ये मेरे लिए । तुझ पे ही ये सुर्खियाँ अच्छी लगे ।।४ आ रही घर में हमारे फिर खुशी । मेम को अब इमलियाँ अच्छी लगे ।।५ एक अच्छा नाम अब मैं सोच लूँ । मुझको देखो बेटियाँ अच्छी लगे ।।६ ढ़ल रही है ये जवानी अब प्रखर । अब न वो गुस्ताखियाँ अच्छी लगे ।।७ १०/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- प्यार में मनमर्जियाँ अच्छी लगे । मिल गले सरगोशियाँ अच्छी लगे ।।१
Krishna
एखादया व्यक्तीवर काही काळ प्रेम करणे हे केवळ आकर्षण असतं पण, एकाच व्यक्तीबद्दल कायम मरेपर्यंत आकर्षण असणे हे खरं प्रेम ❤️ असतं. ©Krishna #boatclub एखादया व्यक्तीवर काही काळ प्रेम करणे हे केवळ आकर्षण असतं पण, एकाच व्यक्तीबद्दल कायम मरेपर्यंत आकर्षण असणे हे खरं प्रेम ❤️ असतं.
Shaarang Deepak
Sangeeta Kalbhor
जगलेल्या क्षणांनी जागवून ठेवणे बरे नव्हे नाव प्रीतीचे गाव प्रीतीचे उमजून रडवणे खरे नव्हे कशाला हवा मार्ग परतीचा श्वास अनावर होताना लागावा की ठसका उगा ओरखडा मनावर करताना मुजून जातात खुणा व्रणाच्या घाव परी ठरलेला का म्हणून सोडावा हात हातात एकदा धरलेला सोडावा की स्वाभिमान नात्याला ह्रदयी कोरताना पाझरतील नयन आपसूकच प्रीत उरी स्मरताना जगलेल्या क्षणांनी व्हावे समजूतदार नको हट्ट उगा वाईट काळातही जगलेला क्षणच वाटतो की हो सगा काळ येवो कितीही सरसावून क्षणच होतात ढाल मनोदशा बदलायला क्षणांचीच तर ओढावी लागते शाल जगलेल्या क्षणांचा व्हावा जागर नाद मनी घुमवावा पडत्या क्षणांत असता आपण जगलेला क्षण आठवावा..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #boatclub जगलेल्या क्षणांनी जागवून ठेवणे बरे नव्हे नाव प्रीतीचे गाव प्रीतीचे उमजून रडवणे खरे नव्हे कशाला हवा मार्ग परतीचा श्वास अनावर होतान
Shaarang Deepak
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. ग़ज़ल :- हर तरफ़ है बहार होली में । दिल को आया करार होली में ।।१ देखकर जो बदलते थे रस्ता । वो भी आयें हैं द्वार होली में ।।२ इस तरह अब वफ़ा करो हमसे । हो जाऊँ मैं बीमार होली में ।।३ आप ऐसे अगर हमें चाहें । जान भी दूँगा वार होली में ।४ दुश्मनी भूल अब सभी जाए । रब से करता पुकार होली में ।।५ पी लिया भंग आज भी जिसने । बरसा उनपे ही प्यार होली में ।।६ हाथ में हाथ तुम प्रखर देना । तो करूँ इंतजार होली में ।।७ २५/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- हर तरफ़ है बहार होली में । दिल को आया करार होली में ।।१ देखकर जो बदलते थे रस्ता ।
Dk Patil
Dk Patil
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
यूँ ही लोगो को जोड़ते रहना । रंग जीवन में घोलते रहना ।।१ आप रिश्ते न तोलते रहना । कुछ दुआ भी तो मांगते रहना ।।२ दूरियां रख लो चाहे जितनी तुम । बस मधुर बोल बोलते रहना ।।३ तोड़ कर कुछ सही नही होता । बाद फिर आप सोचते रहना ।।४ बाँध के प्रीत का चलें धागा । दूर से क्यूँ यूँ ताकते रहना ।।५ बाँट देगें वो मजहबों में फिर । तुम खुली आँख से देखते रहना ।।६ लौट के फिर नहीं बहे गंगा । फिर प्रखर चाहे रोकते रहना ।।७ २१/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR यूँ ही लोगो को जोड़ते रहना । रंग जीवन में घोलते रहना ।।१ आप रिश्ते न तोलते रहना । कुछ दुआ भी तो मांगते रहना ।।२