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Prerit Modi सफ़र
तुम त्रिया चरित्र मैं नादान प्रिये मान भी जाओ यूं ना सताओ प्रिये #Collab with me open... तुम त्रिया चरित्र मैं नादान प्रिये मान भी जाओ यूं ना सताओ प्रिये #hindishayari #yqdidi #yqbaba #hindiwriters #coll
Prerit Modi सफ़र
वो त्रिया चरित्र है पता है, अदाओं का जाल अच्छी तरहा फैंकना आता है उन्हें हम भी आशिक़ मिज़ाज हैं आशिक़ी करना आता है हमे वो त्रिया चरित्र है पता है, अदाओं का जाल अच्छी तरहा फैंकना आता है उन्हें हम भी आशिक़ मिज़ाज हैं आशिक़ी करना आता है हमे #yqbaba #yqdidi #quote
#काव्यार्पण
Das Sumit Malhotra Sheetal
कविता: स्त्री का चरित्र। धन-दौलत एशो-आराम के लिए, कुछ स्त्रियाँ प्यार में धोखा देती हैं। प्यार मोहब्बत रब का दूसरा रूप, स्त्री का चरित्र त्रिया चरित्र समान। अक्सर रूला जाते है हमें वो लम्हे, भविष्य में क्या होगा सोच घबराते। वैसे स्त्री नारायणी जो सघर्ष करती, हर रिश्ता वचन देकर भी निभाती। भेदभाव बिल्कुल ना कभी करती, ऊंच-नीच बिल्कुल नहीं ये मानती। स्त्री नारायणी हमेशा ही तो महान, उन पर बहुत ज़्यादा हैं अभिमान। ©Das Sumit Malhotra Sheetal कविता: स्त्री का चरित्र। धन-दौलत एशो-आराम के लिए, कुछ स्त्रियाँ प्यार में धोखा देती हैं। प्यार मोहब्बत रब का दूसरा रूप, स्त्री का चरित्र
Pushpvritiya
कि........... मेरे शब्दों में आ उलझ भ्रम में भ्रमित हो, दंभी हूंकार जो भरते हो....... इक क्षण में वो चकनाचूर हो, रसातल को शरण लेंगे............. और कहेंगे....... थम जा श्रवण से कर्ण श्रापित हो नयन जलधि बहेंगे.......... कि बूझो ध्यान से पाओगे तुम अपने गढ़न में भी....... न केवल काया कंचन में वरन् मलिन मन में भी..... कलाएं हस्त मेरी, और कौशल शिल्पकारी भी...... तुमको बनाया निज निमित्त, सुन मैं वो नारी भी..... कि पग पग पर छला छल छल तुम्हें पुरूष बना बना मैं बचती हूं........ कि मैं वो चरित हूं जो तुम संग व्यूह रचती हूं........ @पुष्पवृतियां ©Pushpvritiya बात तब की है जब ईश्वर ने पुरूष और स्त्री की रचना की.... स्त्री ने ईश्वर से कहा..यह तो अन्याय है प्रभु...जीवन चक्र की दो धुरी के निर्माण में
{¶पारसमणी¶}
स्त्री ...त्रिया चरित्र या आपकी रुग्णता? स्त्री क्या त्रिया, गूढ़ है बेबूझ है....ऐसी बातें स्त्री पर ? किन्तु स्त्री के किस रूप की बात करते हैं लोग समझ नही आया आज तक मुझे, किस स्त्री की बात करते हैं,लोग! स्त्री के जितने रूप को मैने जाना है उसे जीने से ज्यादा कहीं निजी! तौर पर समझा है फिर वो माँ, बहन, पत्नी, मित्र, और सभी कुटुम्बी रिश्तों में मुझे तो कहीं स्त्री अजनबी नही लगी, सारे रिश्तों में बराबर की साझेदार रही हैं, और हर रिश्तों में सहज सरल समर्पित स्त्री अपने इस चरित्र को खुद नही जानती होगी शायद जो पहचान समाज ने दी है! अवश्य जिस स्त्री की बात लोग करते हैं वो उनके अंतर मन की छुपी एक विक्षिप्त तस्वीर है स्त्री की जिसका कोई नाम नहीं दिया सका है, जिसका कोई नाम लोग नही दे सकते,अपनी विक्षिप्तता उजागर करना भी तो कोई मजाक नही है ना, सो अनजानी गूढ़ अनसुलझी बस जिये जाने वाली एक वस्तु से, ज्यादा देख नही पाते हैं लोग स्त्री में और वो स्त्री कहीं और नही लोगों की विक्षिप्त मानसिकता में पाई जाती है और कहीं नही! @शायरशुभ!💌 👇#स्त्री ...त्रिया चरित्र या आपकी रुग्णता? स्त्री क्या त्रिया, गूढ़ है बेबूझ है....ऐसी बातें स्त्री पर ? किन्तु स्त्री के किस रूप की बात करत
2novicity
क्या तुम इस दुश्मन के खिलाफ हो? Read in caption चलो आज एक सामाजिक दुश्मन का पर्दाफाश करते हैं, जिसके किस्से रोजाना सुनने और देखने को मिलते हैं। इसके दो चेहरे हैं, फर्क पता है क्या है एक
Sahil Kumar Singh
मुझे देख किसी के साथ क्यों होती है ' हलचल ' आपके मस्तिष्क में बड़े अनुभवी है ज़नाब जो मेरा ' चरित्र ' निर्धारित कर देते है। #NojotoQuote चरित्र #चरित्र
ALPHA FACT 2.0
मुस्कान” और “मदद” ये दोनों ऐसे इत्र हैं। जिन्हें जितना अधिक दूसरों पर छिड़केंगे उतना ही अधिक सुगंध आपके अन्दर आयेगी ।। ©ASHEESH Kumar #Argentina चरित्र #चरित्र