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संजय श्रीवास्तव
मेरी मां थी हर गम से बचा लेती थी रफू करके मुफलिसी छुपा देती थी न जाने कौन सा गुल्लक था जादू का मेरी परेशानी चुटकी में मिटा देती थी मेरी गलती पर कभी डाँटा भी नही उसने खुद तो रोती थी और मुझको रुला देती थी मां तुम थी तो मै बड़ा हो पाया ही नही रात में लोरी सुनाकर जो सुला देती थी मेरी कमाई पर हक भी जताया था संजय हाथ में लेकर फिर मुझको थमा देती थी संजय अम्मा
Sunita Shanoo
उबल रहा था सूरज, धरती पिघल रही थी बिन बादल अम्मा की आँखें बरस रही थी अम्मा
Sangeeta Verma
सूना है वहाँ एक बूढी अम्मा की मौत हो गई थी पहले ये बहूत खूबसूरत घर था बहूत लोग ने खरीदने की कोशिश की पर उस बूढी अम्मा ने हमेशा मना कर देती बोलती " ये घर मेरी जान है जिस दिन ये मूझ से दूर हूआ समझ लेना मै मर गई " एक रोज उस अम्मा के बडे बेटे नै बीन बताये वो घर 2 करोड मे बेच दिया । 2 दिन बाद जीन लोगो ने घर खरीदा था वो आये और बोले "घर एक हफ्ते मे खाली कर देना हम को यहाँ होटल सेटप करना है " अम्मा बोल पडी " कोन सा घर किस का घर तेरे बाप ने बनवाया था क्या ये जो तू होटल बनायेगा" "अरे अम्मा आप के बडे बेटे ने ये घर मूझे 2 करोड मे बेच दिया है " ये सून कर अम्मा के पेरो जमीन ही न रही वो सीधा जाकर अपने रूम का दरवाज़ा बंद कर लिया दोनो बेटे दोनो बहू एक पोता छोटा एक पोती छोटी सब दरवाजा खूलवाने मे लग थे । पर अम्मा होतती तो दरवाजा खोलती ना अम्मा तो दूनियाँ छोड चूकी थी । बस तब से ये सुन्दर घर खण्डहर बन गया और होटल भी न बन सका क्योंकि अम्मा की आत्मा वहाँ भटकती है । ( चाँदनी) ©Sangeeta Verma अम्मा
Gautam_Anand
बहुत फैलाव था माँ के आँचल में जिसमें पूरी कायनात सिमटी होती थी जीवन की हर मुश्किल हर उलझन तब बिल्कुल छोटी होती थी #अम्मा
Gautam_Anand
सिर्फ तस्वीर बन के रहती है अब नहीं आती है सदा तेरी हौसला मुश्किलों में देती है हर घड़ी साथ है दुआ तेरी रौशनी सी अँधेरी रातों में और कोई नहीं वो माँ है मेरी #अम्मा
Harsh Srivastava
अम्मा ( एक प्यार ) अम्मा - असंख्य दर्द को झेलकर हमे अपने कोख मे जगह देने वाली| अम्मा - रोज़ अपनी ज़रुरतो को किनारे रख कर हमारी ज़रुरतो को पूरा करने वाली| अम्मा - खुद भूखा रह कर हमारा पेट भरने वाली| अम्मा - हमारी नन्ही उंगलियों को पकड़े हुए हमे स्कूल तक ले जाने वाली| अम्मा - हर गल्तियो पर ज़ोरो की मार और फ़िर बड़े प्यार की दुलार| अम्मा - पापा की डाँट से आपकॊ बचाने वाली| अम्मा - सारी रात जग कर पानी की पट्टिया करते हुए हमे सुलाने वाली| अम्मा - निस्वार्थ प्यार का एकमात्र नाम| है तो बहुत कुछ अम्मा,तुम्हें बोलने को पर मैं अगर लिखता रहा तब भी इसे पूरा नही कर सकता वो कहते है न कि ||सब धरती कागज करू लेखनी सब वनराय सात समुद्र की मसि करू मात् गुण लिखा ना जाय|| ©Harsh Srivastava अम्मा #MothersDay2021