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Atmaram Kushwah
भारत में थोड़ा सा कदम भी रखे तो बिना मौत के ही मर जाओगे तुम । भारत के जमी पर यदि तुम गुजरे कहता हूं सच में गुजर जाओगे तुम। आग जीसम का सुलग ही रही है आगे बढ़े तो जल जाओगे तुम । बने हो आज जो बेईमानी का गोला ईमान के हथौड़े से बिखर जाओगे तुम पाक भी पक कर गिर गया जमी पर चीनी अब पिघल जाओगे तुम। सुधार जाओ वक्त अभी थोड़ा बचा है वरना वक्त पर सुधार जाओगे तुम । w.आत्माराम कुशवाहा चीनी पाक की औकात
Parasram Arora
अधूरे लफ्ज़ो मे बया नहीं ही सकती दास्ताँ किसी की भी क्रांति के सब्ज़ बाग़ अवाम को कैसे दिखाए हर कोई मुझे रोन्द कर आगे निकल रहा है इस रेंगति हुई जिंदगी को पटरी पर अब कैसे लाये ©Parasram Arora क्रांति के सब्ज़ी बाग़
Kranti Thakur
चलो कोशिशें करते हैं सारे खत को जलाने की। आदत डाल लेते हैं राब्ता तनहाईयों से निभाने की। रुख चाहतों का जब मोड़ लिया है तुमने। हक़ तो अपना भी है अब तुम्हे भूल जाने की।। - क्रांति #राब्ता #तनहाईयों की #क्रांति
Kabita Singh
शांत शांत, शांत है वातावरण विचली मेरी वाणी है ज्वाला फूटती हुईं शब्दों से अंगार विस्तृत हुईं कलम से रोंद्र रूप धारण किए काला बादल है निर्मल शीतल सी बहे पवन है निज तपवन में तपे हृदय दीन दुखी की कोई नहीं सहारा निज कवि जीवन की झंकार लिए बिजली सी चमकीली रोशनी विकराल रूप धारण किए प्रकृति शंखनाद आरंभ हुए चाहुदिशा में, गूंजती हुई मंत्रोउच्चारण जागृत हुई संसार की मति फिर से आवाह्न हुई क्रांति की सुनो हे कवि तेरी वाणी में है ओज उथल पुथल मचेगी इस बारी में सावधान हो जाओ इस क्रांति से क्रांति स्वर लहरियां होगी फिर से बदलाव की क्रांति
Dharmendra Gopatwar
📖 क्रांति की मशाल..✍️ __सुलगते हुए अंगारो से जल उठी इक चिंगारी हैं ...... इस चिंगारी से जल उठी आग की ललकार है घनघोर अंधेरों मे जल उठी क्रांती की यह मशाल हैं____ देशप्रेम की भावना रग - रग मे बरसे लहू का एक बूँद वतन के लिये मिट्टी पर गिरने को आज तरसे स्वतंत्रता की इस संग्राम मे .... कलम से लानी क्रांती है ..| लहू का एक - एक बूंद कलम मे भरकर आज़ादी लानी पडे तो संकोच नहीं हमे करना है ..... भारतवर्ष का भविष्य हमे लिखना है | ___ आज़ाद हिंद का गीत गाते हुए सिंध से ब्रह्मपुत्रा काश्मीर से कन्याकुमारी तक क्रांती की मशाल जलाना है | हिंदी सिंधी गुजरात मराठा द्रविड बंगल बिहार पंजाब उडीसा कन्नड तमिल तेलुगू मलयाली कश्मीरी लद्दाख असम अरूण-अचल सिक्किम वतन के हैं हम नाम ..____ देश के अखंडता का है हम मिसाल |___ देश भर मे हर एक हाथ में अब क्रांती की मशाल हैं आज़ादी तक न हमे रुकना हैं ... आज़ाद हिंद का गीत गाते चलना है भारतवर्ष का भविष्य का सूनहरा सूरज कल उगना है ____ बस अब ना पीछे मुड़ना है आगे बड़ते रहना है , आज़ाद है हम आज़ादी पर ही अडना है | ___ बांध पाये हमे विश्व में ऐसी जंजीर नहीं हम बलवीर शूर पराक्रम कर्ण और अर्जुन के वंशज है... विजय ही हमने सीखा है आज़ादी की हाथो में रेखा है । लहू में हार का कण नहीं जीत का जिद्द और हाथ में मशाल लिए क्रांति हमको लानी है .___। 2x आज़ाद इतिहास हमारा है , आज़ाद भविष्य हमारा है । अजय विजय भारत जन्मभूमि मां भारतभूमि विश्वकल्याण कारी है। विश्व से प्रेम सदा सिखाती है । नमो जन्मभूमि नमो आर्यवर्ते: । जम्बूद्वीपे : । विजय - अजय स्वर्णिम - हरित भूमि पहचान तुम्हारा ।____ भारतवर्ष विश्व को सिखाता भाईचारा विश्वगुरु अखंड भारतवर्ष हमारा ।_____ 📖 कवी _ ध . वि . गोपतवार 🔖 ©Dharmendra Gopatwar #क्रांति की मशाल #15अगस्त
Uttam Bajpai